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Ganapati became expensive: इस गणेशोत्सव महंगे होंगे श्रीगणेश , अपनी ‘मिट्टी’ से बनेंगे भगवान, ५० से ६० प्रतिशत आएगी अतिरिक्त लागत , पर्यावरण को होनेवाली रासायनिक हानि में आएगी कमी

मुंबई। इस साल गणेशोत्सव के दौरान प्लास्टर ऑफ पेरिस   (Plaster of Paris) की गणेश मूर्तियों पर पाबंदी (Ganapati became expensive) लगाने की तैयारी शुरू कर दी गई है। इसे लेकर बनाई गई गाइडलाइंस से अवगत कराया जा रहा है। इन सबके बीच अब अपनी ‘मिट्टी’ (Soil) से ही भगवान गणेश की मूर्तियों बनेगी। ऐसे में मूर्ति बनाने में ५० से ६० प्रतिशत अतिरिक्त लागत आएगी। लेकिन मिट्टी की मूर्तियों को तैयार किए जाने से पर्यावरण ( Environment)को होनेवाली रासायनिक हानि (chemical damage) में जरूर कमी आयेगी। हालांकि इतना अवश्य है कि लागत बढ़ने से इस गणेशोत्सव में श्रीगणेश भी महंगे हो जायेंगे।

उल्लेखनीय है कि पूरे मुंबई में 71 प्राकृतिक (Natural ) और 27 कृत्रिम तालाबों (artificial ponds) में 10 दिवसीय उत्सव के दौरान दो लाख से अधिक गणेश मूर्तियों का विसर्जन किया जाता है। गणेशोत्सव के दौरान भक्त मिट्टी और पीयूपी से बनी गणेश मूर्तियों को स्थापित करते हैं। खासकर पीयूपी की मूर्तियां सस्ती होती है, इसलिए इसका डिमांड अधिक होता है। हालांकि पीयूपी से बनी मूर्तियां पर्यावरण के लिए हानिकारक है। इसकी मूर्तियां लगभग तीन से चार महीने में गलती हैं। एक अध्ययन से यह भी पता चला कि यह जलीय वनस्पति (aquatic plants) और जानवरों को नुकसान पहुंचाने में भी सक्षम है। समुद्री जीवविज्ञानियों( Marine biologists) का कहना है कि मूर्तियों को रंगने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले रंग में भारी धातुओं की विषाक्तता (Metal poisoning) और कागज की लुगदी भी एक समस्या बनी हुई है।

मूर्तियों की कीमत में होगी वृद्धि

मूर्तिकार आशीष महालेकर ने कहा कि गणेश मूर्तियों को बनाने के लिए इस्तेमाल होनेवाली शाडू मिट्टी समेत तमाम तरह के समान राजस्थान और गुजरात से आती है। इस बार सामानों पर जीएसटी बढ़ती है तो स्वाभाविक है इसका असर मूर्तियों की कीमतों पर पड़ेगा। अनुमान है कि गणेशोत्सव में इस साल गणपति की मूर्तियों की कीमत में भारी वृद्धि होगी। उन्होंने कहा कि कीमत में कितनी वृद्धि होगी यह अप्रैल में पता चलेगा, क्योंकि अभी तक इसका मार्केट पूरी तरह से खुला नहीं है।

शाडू मिट्टी से बनी मूर्तियां की खासियत

यह चिकनी मिट्टी की तरह होती है और पानी में जल्दी घुल जाती है। इस पर कलर करने के लिए मुलतानी मिट्टी, हल्दी, चावल का माड़, गेरु का इस्तेमाल किया गया। वहीं मिट्टी से बनाई गई मूर्तियां आमतौर पर भारी होती हैं। मूर्तिकार आशीष महालेकर ने कहा कि मिट्टी की गणेश मूर्ति दो से ढाई फीट से ज्यादा ऊंचा नहीं बना सके हैं। इससे अधिक ऊंचा बनाने पर रिस्क ज्यादा होता है।

पीयूपी और शाडू मिट्टी की कीमत में इतना है अंतर

मूर्तिकार महालेकार ने कहा कि शाडू मिट्टी के इस्तेमाल से दो फीट की मूर्ति बनाने और उसकी रंगाई का का काम हमारे यहां होता है। बाकी साज-सज्जा का काम अन्यत्र होता है। सभी तरह की सजावट करने के बाद इन मूर्तियों को करीब छह हजार तक बेची जाती है। वहीं पीयूपी की करीब पांच फीट तक की मूर्ति तैयार करने के बाद उसे २५,००० रुपए में बेची जाती है।

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मनपा की अपील चार फीट से अधिक न रखे मूर्ति

मनपा प्रशासन ने अपील किया है कि घर में स्थापित गणेश की मूर्ति दो और सार्वजनिक गणेशोत्सव मंडल मूर्तियों की ऊंचाई चार फीट से ज्यादा न रखें। इससे मूर्तियों को पास के कृत्रिम तालाब में विसर्जित करने में आसानी होगी। इस बार भी ज्यादा से ज्यादा गणेश मूर्तियों को कृत्रिम तालाबों में ही विसर्जित करने की कोशिश होगी। ऐसा करने से समुद्र सहित प्राकृतिक स्रोतों को प्रदूषण से बचाने में मदद मिलेगी।

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