होली (Holi festival) का पवित्रा त्योहार भारत से शुरू होकर अब लगभग पूरे विश्व मे मनाया जाता है। जहां भारतीयों की पहुंच है वहां यह रंगों का त्योहार पहुंच चुका है। ब्रिज की होली, बनारस की होली आदि काफी मशहूर है। मान्यताओं के बीच यह होली काफी रोचक वजह के चलते भी मनाई जाती है। जोइंडिया परिवार की ओर से आप सभी पाठकों को होली की शुभकामनाएं।
सावधान: रंग बिरंगी खाद्य पदार्थों में हैं खतरनाक केमिकल
होली का जश्न जरूर मनाएं लेकिन मिलावटी रंगों और खाद्य पदार्थों, मिठाइयों से भी बचें। होली के मौके पर रंग बिरंगी मिठाइयों, कचरी समेत कई खाद्य पदार्थों की भरमार रहती है। इसे रंगने के लिए रोडामाइन जैसे खतरनाक रसायन का प्रयोग होता है। कॉटन कैंडी और गोभी मंचूरियन ही नहीं, बल्कि इस रसायन के चलते होली के त्योहार पर घरों में प्रयोग होनेवाले चिप्स, कचरी जैसे खाद्य पादार्थों के साथ ही स्ट्रीट फूड, शरबत आदि रंगीन तो दिखाई देते हैं, लेकिन इनमें मिला रंग बिरंगी केमिकल बहुत अधिक खतरनाक होते हैं। ऐसे में सावधानी बरतें अन्यथा खतरनाक बीमारियां हो सकती हैं।
किसमे है मिलावट
होली के त्योहार पर भारी मुनाफा कमाने के चक्कर में मिलावट का कारोबार भी है। खाद्य पदार्थ में मिलावट सेहत के लिए बहुत ही खतरनाक है। चिप्स, पापड़, तेल, घी, बेसन, सूजी, गुझिया से लेकर मिठाइयों में खतरनाक केमिकल इस्तेमाल करने के साथ ही मिलावट का खेल शुरू हो चुका है। इसके साथ ही पनीर में पाउडर और खोआ में उबला शकरकंद व एसेंस डाला जाता है। आलम ये है कि मिलावट इतनी सटीकता के साथ की गई है कि आम आदमी इसे पहचान ही नहीं सकता है और वैज्ञानिक पद्धति से वह इसकी जांच कर नहीं सकता है। इसके साथ ही बाजारों में मिलने खाद्य पदार्थों रोडामाइन डी और सेकरीन समेत रंगों में खतरनाक केमिकल मिले हुए होते हैं। चिकित्सकों की मानें तो मिलावट और केमिकल युक्त पदार्थों का लगा ये बाजार न केवल इस रंगों के त्योहार को बदरंग करेगा, बल्कि लोगों के किडनी और लीवर से लेकर आंखों की सेहत तक को खतरे में डाल देगा। साथ ही कैंसर को भी न्योता दे सकता है। इसके अलावा गैस, कब्ज, एसिडिटी जैसी बीमारियां इन मिलावटी सामानों को खाने के बाद बोनस के रूप में मिलेंगी। हालांकि इस बार भी हर बार की तरह फूड विभाग मिलावट पर नकेल कसने का दावा कर रहा है।
मॉनिटरिंग जरूरी
मेंटल अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक व एमडी मेडिसिन डॉ. नेताजी मुलिक ने कहा कि मिठाइयों आदि में केमिकल युक्त हैवी मेटल मिश्रित होता है। इन फूडों में सस्ते एडल्ट्रेशन मिलाते हैं। कुल मिलाकर चमकीला और दिखावेपन के चक्कर में स्वास्थ्य से खिलवाड़ हो रहा है। खोवा में भी मिलावट होता है, जिस पर मॉनिटरिंग जरूरी है। इन केमिकल युक्त मिलावटों के कारण नेफ्रोपैथी इंजरी हो सकता है। कुछ केमिकल हार्ट और लीवर को प्रभावित हो सकता है।
स्किन में कर सकते हैं घाव
चर्म रोग विशेषज्ञ डॉ. कमलाकर जावले ने कहा कि इस समय बाजारों में कई तरह के घातक केमिकल युक्त रंग मिलने लगे हैं। ये कलर स्किन के लिए बहुत घातक हो सकते हैं। स्किन का डर्माटाइटिस हो सकता है। रंगों में मिश्रित कांच के छोटे टुकड़ों से स्किन में घाव हो सकते हैं। बर्निंग इचिंग होने का डर रहता है। इसके साथ ही पर्मानेंट कलर इस्तेमाल करने से उसे निकालना भारी पडेगा। ऐसे में रंग खेलते समय नारियल का तेल लगाकर निकलें। इससे स्किन रिएक्शन कम हो जाता है। इसके साथ ही वॉटर और पर्यावरण पूरक रंगों का इस्तेमाल करें।
आंखों की जा सकती है रोशनी
नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. हर्षवर्धन घोरपडे ने कहा कि केमिकल युक्त रंगों से आंखों में इंफेक्शन और एलर्जी हो सकती है। बाहर की काली पुतली डैमेज हो सकती है। आंखों के परदे डैमेज होने से अल्सर हो सकता है। केमिकल के आंखों में जाने से परदे में सूजन आने से रोशनी भी कम हो सकती है। कॉर्निया का रंग सफेद हो जाने पर दिखना बंद हो जाएगा।