आगामी लोकसभा चुनाव (Loksabha election 2024) बेहद करीब है। भाजपा (bjp), कांग्रेस (congress) सहित सभी बड़े दलों ने प्रत्याशियों (loksabha candidate) की खोज शुरू कर दी है। कांग्रेस ने तो लगभग तय कर दिया है कि पूर्व केंद्रीय मंत्री व राज्य में कई बार मुख्यमंत्री रहे सुशील कुमार शिंदे (sushil kumar shinde) की विधायक बेटी प्रणीति शिंदे (praniti shinde) को मैदान में उतारेगी। लेकिन अभी तक भारतीय जनता पार्टी का उम्मीदवार तय नहीं हुआ है, भाजपा इस बार यहां प्रत्याशी इम्पोर्ट करने की योजना बना रही है। भाजपा यहां के लिए पुणे से किसी नेता को मैदान उतारने पर विचार कर रही है। जिसे लेकर क्षेत्र के पुराने भाजपाइयों और राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के पदधिकारियीं में समन्वय नहीं बन पा रहा है। आरएसएस के लोग तो काफी नाराज भी बताए जा रहे है, उनका कहना है कि यदि भाजपा के कुछ नेता जबरन यहां बाहरी प्रत्याशी लाने के पक्ष में हैं, लेकिन बाहर के लोगों को उम्मीदवारी सोलापुर में दी गई तो यह सीट निकलना मुश्किल होगा। भाजपा के जमीनी कार्यकर्ता भी इस बार अपने मे से ही किसी कर्मष्ट, निष्ठवान कार्यकर्ता को टिकट दिलाना चाहते हैं।
एससी सीट पर मिले लोकल एससी उम्मीदवार
सोलापुर लोकसभा सीट दरअसल शेड्यूल कास्ट के लिए आरक्षित है यहां पर शेड्यूल कास्ट के लोकल उम्मीदवार की मांग तेज है, कांग्रेस ने तो प्रणीति का नाम लगभग फाइनल कर दिया है। अब सवाल है कि भाजपा के पास क्षेत्र में एसटी कम्युनिटी के कितने सक्षम लोग हैं जिन्हें टिकट दिया जा सकता है तो बात दें उसमें संगीता जाधव (sangita jadhav), संघ के पुराने कार्यकर्ता दिलीप शिंदे (dilip shinde), नारायण बंसोले, संगदेव कांबले आदि शामिल हैं, यहां के स्थानीय विधायक विजय देशमुख भी इच्छुक हैं, लेकिन वे लिंगायत समाज के होने के नाते एसटी कोटे में फिट नहीं बैठते हैं, इसके साथ ही पुणे के पिछड़े वर्ग के नेता व राज्यमंत्री दिलीप कांबले, पूर्व सांसद अमर साबले भी टिकट चाहते हैं तो मुंबई के बिल्डर ब्रह्मानंद शिंदे भी अब सोलापुर से लोकसभा का टिकट चाहते हैं।
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भाजपा फिर से वही गलती नहीं चाहती
पिछली बार लोकसभा सीट में भाजपा ने यहां से सिद्धेश्वर महाराज को उतरा था सिद्धेश्वर महाराज उच्च जाति के माने जाते हैं, उन्होंने फर्जी प्रमाण पत्र बनाकर यहां एससी कोटे की सीट से चुनाव लड़ा था, वह चुनाव तो जीत गए थे लेकिन कुछ ही दोनों में कोर्ट ने उन्हें फर्जी जाति प्रमाण पत्र मामले में दोषी पाया और उनकी संसदीय सदस्यता को लेकर कोर्ट में निर्णय प्रलंबित है। जिससे भाजपा को झटका लगा और क्षेत्र में भी लोगों को विकास योजना का लाभ नहीं हो पाया। किसी तरह की केंद्रीय परियोजना व निधि क्षेत्र को नहीं मिल पाई। ऐसे में स्थानीय लोग अब भाजपा के फर्जी प्रत्यासी वाली योजना को लेकर बेहद नाराज हैं। सबक ले चुकी भाजपा फिर से वह गलती नहीं दोहराना चाहती है, जिससे उसके मतदाता नाराज नजर आए, इसलिए वह लोकल उम्मीदवार को ही प्राथमिकता देने विचार कर रही है।
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उधर आरएसएस भी अपने किसी निष्ठावान को ही उम्मीदवार बनाकर जीत दिलाने के पक्ष में है। ताकि लोगों में आरएसएस की सादगी वाली छवि बरकरार रहे। ऐसे में यहां तीन प्रत्याशियों में संगीता जाधव और दिलीप शिंदे को मजबूत माना जा रहा है दिलीप शिंदे पुराने संघीय हैं। पत्रकार बताए जाते हैं। दिलीप शिंद ने बेटी पढ़ाओं बेटी बचाओ अभियान को अपने घर मे ही सार्थक किया है। उनकी दो बेटियां एमबीबीएस डॉक्टर हैं। जबकि बेटा भी डॉक्टर की पढ़ाई कर रहा है। संगदेव कांबले और दिलीप शिंदे का पूर्व राज्य मंत्री विजयकुमार देशमुख, सुभाष देशमुख, स्थानीय नेता किशोर देशपांडे, मोहिनी पटकी के साथ अच्छे संबंध है। पार्टी के विभिन्न आंदोलनों में सक्रिय रूप से काम किया। विजय देशमुख यहां पर मजबूत पकड़ वाली नेता माने जाते हैं पिछली सरकार में राज्य मंत्री रहते हुए उन्होंने सोलापुर के टेक्सटाइल इंडस्ट्रीज को काफी विकास किया है विजय देशमुख जहां जिसके साथ होते हैं माना जाता है उसी की जीत होती है।
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