रायगड। जहां ‘मिंधे’ सरकार के मंत्रियों पर भ्रष्टाचार के आरोप लग रहे हैं, वहीं यह बात सामने आई है कि उद्योग मंत्री और रत्नागिरी के संरक्षक मंत्री उदय सामंत ने रत्नागिरी में 80 करोड़ का ‘डामर घोटाला’ किया है। तृतीय सामंत कंस्ट्रक्शन प्रा. लिमिटेड कंपनी के माध्यम से पिता और भाई की मिलीभगत से फर्जी बिल बनाकर ‘एमआईडीसी’, ‘पीडब्ल्यूडी’ और नेशनल हाईवे के काम में यह भ्रष्टाचार किया गया है. इस घोटाले का खुलासा आरटीआई से मिली जानकारी से हुआ है।
रत्नागिरी के पूर्व मेयर मिलिंद कीर ने आज मुंबई मराठी पत्रकार संघ में आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में इस बात की जानकारी दी। कीर ने आरोप लगाया कि उदय सामंत पिछले कुछ वर्षों से रत्नागिरी में सरकारी कार्यों में कई ठेके प्राप्त करके बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार में शामिल हैं। सरकारी अधिकारियों के हाथों चहेते ठेकेदारों को सरकारी काम सौंपने का यह भ्रष्टाचार चल रहा है। दिलचस्प बात यह है कि वर्षों से केवल पसंदीदा और कुछ खास ठेकेदारों को ही ठेके मिलते रहे हैं। कीर ने यह भी कहा कि कुछ ठेकेदारों का समूह बनाकर नये ठेकेदारों पर दबाव बनाया जा रहा है और चहेते ठेकेदारों को काम देकर भ्रष्टाचार और घटिया काम किया जा रहा है। इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में अशोक नाचनकर मौजूद थे। यह भी मांग की गई कि इस भ्रष्टाचार के लिए मंत्री उदय सामंत और संबंधित सरकारी अधिकारियों के खिलाफ मामला दर्ज किया जाना चाहिए।
कीर ने इस समय कहा कि उन्होंने पालक मंत्री उदय सामंत द्वारा किये गये करोड़ों रुपये के घोटाले के संबंध में मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और राज्य के मुख्य सचिव को शिकायत सौंपी है। इसलिए मांग की गई कि इन सभी मामलों की तुरंत जांच होनी चाहिए और उदय सामंत को नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए तुरंत इस्तीफा देना चाहिए।
यह एक घोटाला है…
टेंडर के नियम और शर्तों के अनुसार, जब इंजीनियर डामर का उपयोग दिखाता है, उसी समय ठेकेदार द्वारा दिए गए मूल बिल को पार करना होगा, हस्ताक्षर करना होगा और जेरॉक्स करके ठेकेदार को वापस भेजना होगा। लेकिन ठेकेदार को असली बिल बिना क्रासिंग और मोहर लगाए दे दिए गए। ठेकेदार ने इन बिलों का दुरुपयोग दूसरे कार्यों में कर करोड़ों रुपये हड़प लिए। इसमें एक ही बिल की राशि कई बार ली गई है और ठेकेदार ने आयकर की भी चोरी की है।