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Smoking is injurious to health: सावधान!मस्तिष्क को सिकोड़ रहा धूम्रपान, समय से पहले कर देता है बूढ़ा, रिसर्च में सामने आया चौंकानेवाला खुलासा

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मुंबई। (Smoking is injurious to health) धूम्रपान(smoking)न केवल दिल(Heart)और फेफड़ों  (lungs)को प्रभावित करता है, बल्कि यह मस्तिष्क को भी स्थाई रूप से सिकोड़ सकता है। इसके साथ ही अत्यधिक धूम्रपान करनेवाले लोगों को समय से पहले ही बूढ़ा कर देता है। इस संबंध में किए गए एक शोध में यह चौंकानेवाला खुलासा हुआ है। बायोलॉजिकल साइकियाट्री ग्लोबल ओपन साइंस जर्नल में प्रकाशित निष्कर्ष के मुताबिक धूम्रपान छोड़ने से मस्तिष्क के ऊतकों को और अधिक नुकसान होने से रोका जा सकता है। लेकिन यह मस्तिष्क को उसके मूल आकार में नहीं लौटा सकता।

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इस अध्ययन यह भी बताता है कि धूम्रपान करनेवालों में उम्र से संबंधित संज्ञानात्मक गिरावट और अल्जाइमर रोग का खतरा क्यों अधिक होता है। सेंट लुइस में वाशिंगटन यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ मेडिसिन के शोधकर्ताओं के अनुसार लोगों के दिमाग का आकार उम्र के साथ, प्राकृतिक तरीके से कम होने लगता है और धूम्रपान करने से दिमाग समय से पहले बूढ़ा हो सकता है। विश्वविद्यालय में मनोचिकित्सा के प्रोफेसर लौरा जे. बेरुत ने कहा कि वैज्ञानिकों ने मस्तिष्क पर धूम्रपान के प्रभावों को नजरअंदाज कर दिया था। हम फेफड़ों और दिल पर धूम्रपान के सभी भयानक प्रभावों पर ध्यान केंद्रित कर रहे थे, लेकिन जब हमने मस्तिष्क को अधिक बारीकी से देखना शुरू किया, तो यह स्पष्ट हो गया कि धूम्रपान वास्तव में आपके मस्तिष्क के लिए बुरा है।

खुराक पर निर्भर करता है धूम्रपान का खतरा

अध्ययन के लिए टीम ने 32,094 लोगों के मस्तिष्क में धूम्रपान के इतिहास और धूम्रपान के आनुवंशिक जोखिम के आंकड़ों का विश्लेषण किया। शोधकर्ताओं ने धूम्रपान के इतिहास और धूम्रपान से मस्तिष्क क्षति के आनुवंशिक जोखिम के बीच एक संबंध पाया। इसके अलावा धूम्रपान और मस्तिष्क पर प्रभाव के बीच संबंध खुराक पर निर्भर है। एक व्यक्ति प्रतिदिन जितना अधिक धूम्रपान करता है, उसका मस्तिष्क उतना ही अधिक समय से बूढ़ा होता जाता है।

मस्तिष्क के आकार में कमी उम्र बढ़ने के साथ है सुसंगत

शोधकर्ताओं ने मध्यस्थता विश्लेषण नामक एक सांख्यिकीय दृष्टिकोण का उपयोग करके घटनाओं का क्रम निर्धारित किया, जो धूम्रपान के प्रति आनुवंशिक प्रवृत्ति पैदा करता है। जिससे मस्तिष्क का आयतन कम हो जाता है। बिरुत ने कहा कि मस्तिष्क के आकार में कमी उम्र बढ़ने के साथ सुसंगत है।

ये है मनोभ्रंश के जोखिम के कारक

उम्र बढ़ना और धूम्रपान दोनों ही मनोभ्रंश के जोखिम कारक हैं। दुर्भाग्य से यह सिकुड़न अपरिवर्तनीय प्रतीत होती है। वर्षों पहले धूम्रपान छोड़नेवाले लोगों के डेटा का विश्लेषण करके शोधकर्ताओं ने पाया कि उनका दिमाग उन लोगों की तुलना में स्थाई रूप से छोटा रहता है, जिन्होंने कभी धूम्रपान नहीं किया था।

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