जोमुंबई। (Health Minister Tanaji Sawant got a shock) राज्य के सरकारी अस्पतालों के साथ ही प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों और उपकेंद्रों की यांत्रिक सफाई के लिए ठेकेदार की मदद ली जानी थी। हालांकि 30 अक्टूबर को घोषित टेंडर में कई अनियमितताएं थीं। संदेह जताया गया था कि यह टेंडर किसी को फायदा पहुंचाने के लिए निकाला गया था। इसके बाद पता चला कि यह टेंडर रद्द कर दिया गया है। ऐसे में कहा जा रहा है कि टेंडर रद्द होने से प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री तानाजी सावंत को तगड़ा झटका लगा है।
इस संदर्भ में एक खबर सामने आ रही है कि डॉ. तानाजी सावंत के स्वास्थ्य विभाग में ठेकेदारों के माध्यम से हजारों करोड़ की सेवाएं लेने का टेंडर जारी किया गया था। यह टेंडर 638 करोड़ का था। इस टेंडर के जरिए ठेकेदार को 5 साल के लिए करीब 3200 करोड़ रुपए का भुगतान किया जाना था। यह नया टेंडर पहले के विकेंद्रीकृत टेंडरों को मर्ज करके जारी किया गया था। लेकिन उसके बाद एक बार फिर ठेकेदार को उप-ठेकेदार नियुक्त करने की अनुमति दे दी गई। इससे यह संदेह हुआ कि इसमें कुछ काला है। यदि उप-ठेकेदार की नियुक्ति ही करनी थी तो संयुक्त निविदा क्यों? क्या किसी को फायदा पहुंचाने के लिए ऐसा टेंडर निकाला गया था? ऐसे सवाल उठाए गए।टेंडर में यह भी शर्त थी कि ठेकेदार के पास कम से कम 2500 का मानव बल और पिछले 7 वर्षों में कम से कम 100 करोड़ रुपए का काम पूरा किया गया हो। इस तरह की शर्त टेंडर में रखे जाने से भी संदेह पैदा हुआ।
छह गुना बढ़ा दी गई मूल लागत
पहले जिला स्तर पर टेंडर जारी किए जाते थे। इनका बजट भी आवश्यकतानुसार तय किया जाता था। इसके बाद वर्ष 2019-20 के आसपास राज्य के सभी अस्पतालों की यांत्रिक सफाई की राशि 100 करोड़ रुपए से बढ़कर नई निविदा के अनुसार 638.02 करोड़ रुपए हो गई है, यानी 5 साल के लिए यह 3190.13 करोड़ रुपए पहुंच गया था। मूल लागत लगभग 6 गुना बढ़ा दी गई। इतना ही नहीं 5 फीसदी वार्षिक दर वृद्धि भी दे दी गई। वार्षिक निविदा लागत का 10 फीसदी मोबिलाइजेशन एडवांस दिया जाना था। वास्तव में सेवा अनुबंध में कभी भी कोई अग्रिम भुगतान नहीं किया जाता है। तो फिर ऐसा फैसला क्यों लिया गया? ऐसा सवाल भी उठाया गया।
जांच कर दोषियों पर कार्रवाई की हुई थी मांग
आम आदमी पार्टी के महाराष्ट्र उपाध्यक्ष विजय कुंभार ने मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे, उप मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस, अजीत पवार, विधान परिषद में नेता प्रतिपक्ष अंबादास दानवे और विधान परिषद में नेता प्रतिपक्ष विजय वडेट्टीवार को एक ज्ञापन देकर मांग की कि मामले की गहन जांच कर दोषियों पर कार्रवाई की जानी चाहिए।
सोमवार को रद्द कर दिया गया ठेका
मुख्य बात यह है कि 5 साल के बाद भी ठेकेदार को अनुमोदन के आधार पर विस्तार दिया जाएगा। ठेकेदार को भविष्य में काम का आश्वासन दिया जा रहा है क्या? ऐसा सवाल भी उठाया गया था। इस संबंध में जोरशोर से चर्चा शुरू हो गई। टेंडर निकालने में गड़बड़ी की आशंका गहराती जा रही थी। ऐसे में आखिरकार सोमवार को यह टेंडर रद्द कर दिया गया है।