Joindia
कल्याणठाणेदेश-दुनियानवीमुंबईमुंबईसिटी

MUMBAI KEM Hospital: दवाओं की कमी से मरीजों के इलाज पर पड़ रहा असर

मुंबई । मनपा द्वारा संचालित प्रमुख अस्पतालों में से एक केईएम (MUMBAI KEM Hospital) में मुंबई और महाराष्ट्र समेत देश के विभिन्न हिस्सों से मरीज इलाज कराने के लिए आते हैं, जिस कारण अस्पताल में हमेशा मरीजों (patients) और उनके परिजनों की भीड़ लगी रहती है। लेकिन बीते कई महीनों से जरूरी सुविधाओं के साथ ही दवाओं की कमी से केईएम कराह रहा है। इसका सीधा असर मरीजों के इलाज पर पड़ रहा हैं। डॉक्टरों के कहने पर मजबूरन उन्हें अपनी जेब ढीली करते हुए बाहर मौजूद मेडिकल स्टोरों से दवा खरीदने को बाध्य होना पड़ रहा है। मरीजों के परिजनों का आरोप है कि दवाओं की कमी से जूझ रहे केईएम अस्पताल में कार्यरत डॉक्टर और मेडिकल स्टाफ सीधे मुंह बात भी नहीं करते हैं। इससे उनके मरीज की स्थिति के बारे में उन्हें सही जानकारी नहीं मिल पा रही है।

जानकारी के अनुसार सा 1926 में स्थापित केईएम अस्पताल करीब 1800 बेड का अस्पताल है, जिसमें 390 स्टाफ चिकित्सकों और 550 रेजिडेंट डॉक्टर कार्यरत हैं। बताया गया है कि अस्पताल के ओपीडी में सालाना लगभग 10.8 लाख और 85,000 आंतरिक रोगियों का इलाज होता है। हालांकि वर्तमान समय में यह अस्पताल कई जरूरी सुविधाओं के अभाव और दवाओं की कमी की मार से कराह रहा है। अस्पतालों में भर्ती होनेवाले और ओपीडी में आनेवाले मरीजों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। चिकित्सकों द्वारा लिखी गईं दवाएं उन्हें अस्पताल में नहीं मिल रही है। इस स्थिति में उन्हें मेडिकल स्टोरों का सहारा लेना पड़ रहा है।

Modi govt. 2.0 budget: चुनाव पर नजर, बजट पर दिखा असर, जानिए क्या हुआ सस्ता और क्या महंगा

कड़ी धूप में बाहर जाने पर बाध्य

केईएम में इलाज के लिए आनेवाले मरीजों को दवाएं नि:शुल्क देने का फैसला लिया गया है। हैंडग्लोज, सलाईन, और दवाएं निःशुल्क प्रदान की जाती हैं। इतना ही नहीं दवाओं की कमी से मरीजों का इलाज प्रभावित हो रहा है। इसके अलावा मरीजों और उनके रिश्तेदारों को कड़ी धूप में दवा खरीदने के लिए अस्पताल से बाहर आना-जाना पड़ता है।

MUMBAI : फ्रांसीसी और भारतीय नौसेना ने दिखाया अपने युद्ध कौशल का जलवा

इलाज में भी हो रही लापरवाही

केईएम अस्पताल के पीडियाट्रिक इंटेंसिव केयर यूनिट में भर्ती 14 महीने की सिदरा खान के पिता बिलाल अहमद ने बताया कि अस्पताल में मेडिकल स्टाफ की तरफ से इलाज में लापरवाही बरती जा रही है। डॉक्टरों और मेडिकल स्टाफ का परिजनों के साथ उचित व्यवहार नहीं होता है। उन्होंने कहा कि उनकी बच्ची बीच में बेड से गिर गई थी। इस बारे में पूछे जाने पर पूछे जाने पर लीपापोती वाला जवाब देकर मामले को दबा दिया गया। उन्होंने कहा कि अब तक हजारों रुपयों की दवाएं बाहर से खरीद चुका हूं। नौ माह की एक और मरीज हुरेन शेख के पिता अहमद लतीफ शेख ने कहा कि उनकी बेटी को निमोनिया की शिकायत है। अस्पताल में दवाएं न मिलने से वे अब तक दस हजार रुपए से अधिक की दवाएं बाहर स्थित मेडिकल स्टोरों से खरीद चुके हैं। इतना खर्च करने के बाद भी बच्ची की हालत में सुधार नहीं हो रहा है।

प्रेम, सौंदर्य, प्रकृति और जीवन के विभिन्न विषयों पर अविस्मरणीय कविता संग्रह है आत्मशारदा

एक्सरे प्लेट लाने जाते हैं परिजन

मरीज चंद्रगुप्त जिंकले के परिजनों ने कहा कि अब तक वे दवाओं पर दस हजार रुपए खर्च कर चुके हैं। उन्होंने कहा कि इलाज का आर्थिक बोझ वहन करना संभव नहीं है। ऐसे में निजी अस्पतालों से परहेज कर मनपा अस्पतालों का रास्ता अपनाना पड़ रहा है, जबकि डॉक्टर उन्हें बाहर से दवा लाने को कह रहे हैं। इसके अलावा मरीज का खून जांच कराने के लिए कई बार लैब में चक्कर लगाना पड़ रहा है। उन्होंने आरोप लगाया कि एक्सरे प्लेट मरीजों और उनके परिजनों से मंगाया जाता है, जबकि यह काम वार्ड बॉय अथवा दाई का होता है। अस्पताल की डीन डॉ. संगीता राऊत ने भी माना कि केईएम में दवा का टोटा है।

Related posts

उंगलियों पर सुविधा: अर्बन सेक्टर-सोशल इंफ्रास्ट्रक्चर मैपिंग में मुंबई ने मारी बाजी

dinu

नई जल टैक्सी के साथ समुद्र के माध्यम से एक घंटे के भीतर गेटवे से बेलापुर तक की यात्रा, अधिक जानकारी अंदर

Deepak dubey

Navi Mumbai Metro 1 gets CMRS certificate, to be launched soon:नवी मुंबई मेट्रो एक को मिला सीएमआरएस प्रमाणपत्र,जल्द होगा शुभारंभ

Deepak dubey

Leave a Comment