मुंबई। गणपति के बाद अब नवरात्रि उत्सव शुरू होने वाला है मूर्तिकार दुर्गा पूजा की मूर्तियाँ बनाने और सुखाने में जुटे है । ऐसे में यह समय मूर्तिकारों के लिए बहुत व्यस्त दिन हैं।उसमे में भी इस साल देवी मूर्तियों की कीमत में 30 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है।
उरन और पनवेल का कुम्भरवाड़ा क्षेत्र मूर्तियाँ बनाने के लिए बहुत प्रसिद्ध है। यहां कई मूर्तिकार मूर्तियां बनाने का पुश्तैनी पेशा अपना रहे हैं। वह अपनी आजीविका मूर्तियां बनाकर ही चलाते है।इस साल देवी की मूर्ति को सजाना और पेंटिंग करना महंगा साबित हो रहा है । इस साल कीमत में 30 फीसदी का इजाफा हुआ है। इसलिए देवी के भक्तों को अतिरिक्त पैसे की भुगतान करनी होगी।गणेश उत्सव के दौरान गणेश मूर्ति शाडू मिट्टी से बनी होनी चाहिए। इसपर सरकार का जोर था । हालाँकि नवरात्रि उत्सव में पर्यावरण-अनुकूल देवी मूर्तियों की कोई बाध्यता नहीं है, इसलिए सभी देवी मूर्तियाँ पीओपी की हैं, पर्यावरण जागरूकता केवल गणेशोत्सव के लिए है।
सुखाने के लिए हैलोजन का उपयोग
गणेशोत्सव और देवी उत्सव के बीच सिर्फ 15 दिनों का अंतर है।अतः पीओपी मूर्तियाँ मूर्तिकारों द्वारा बनाई जाती हैं, पीओपी मूर्तियों को हैलोजन के माध्यम से तैयार और सुखाना पड़ता है। एक मूर्ति को सूखने में चार से सात दिन का समय लगता है। इसके बाद मूर्ति को चमकाना और फिर पेंट करना होता है।
शेर, बाघ पर सवार देवी की मूर्ति की मांग
मूर्तियों की कीमतें भले ही बढ़ गई हैं, लेकिन मूर्तिकार को प्रति मूर्ति 1 से 2 हजार का नुकसान उठाना पड़ रहा है। मूर्ति को सजाने और रंगने की जरूरत है शेर और बाघ पर सवार देवी की मूर्तियों की मांग अधिक है ऐसे में उसे कलर करने में लगने वाले रंग की कीमत अधिक होने से नुकसान सहना पड़ रहा है ।मूर्तियों की संख्या कम है, कारखाने में 50 से 60 प्रतिशत देवी की मूर्तियां तैयार हैं मूर्ति का आकार डेढ़ फीट से लेकर पांच से आठ फीट तक है। डेढ़ फीट की मूर्ति की कीमत 2500 और सात से आठ फीट की मूर्ति की कीमत 30 से 25 हजार रुपये है।