Joindia
कल्याणठाणेदेश-दुनियामुंबईराजनीति

हाईकोर्ट में सत्ता संघर्ष की सुनवाई आज – संतोष जाधव, संतोष जाधव की याचिका पर होगी सुनवाई ,शिंदे गुट के विधायकों पर उठाए है सवाल

Advertisement

शिंदे सरकार का को किसका है समर्थन ?

Advertisement

ठाकरे के इस्तीफे के बाद कोश्यारी को किसका पत्र ?

आरटीआई में नहीं मिला था कोई जवाब

मुंबई। तत्कालीन राज्यपाल कोश्यारी(Governor Koshyari)   ने किस पार्टी को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित किया? इस बात की जानकारी ‘सूचना के अधिकार'(Right to Information)के तहत नहीं दिए जाने का आरोप लगाते हुए नवी मुंबई के संतोष श्रीमंत जाधव ने मुंबई हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है इस इस याचिका पर गुरुवार को सुनवाई होने वाली है |

उद्धव ठाकरे ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद किस पार्टी ने सत्ता गठन को लेकर तत्कालीन राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी को पत्र लिखा था? साथ ही कोश्यारी ने किस पार्टी को सरकार बनाने का न्योता दिया? इसकी जानकारी आरटीआई मे मांगे जाने के बावजूद नहीं दी गई | उस पत्र की प्रमाणित पत्र नहीं दी गई | इसको लेकर नवी मुंबई के संतोष जाधव ने मुंबई हाई कोर्ट में याचिका दायर किया है इस याचिका पर सुनवाई गुरुवार को होने वाली है ।

राज्य में सरकार बनाने के लिए किसी भी राजनीतिक दल द्वारा जारी किया गया पत्र और राज्यपाल द्वारा संबंधित पार्टी को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित करने के लिए भेजा गया पत्र सार्वजनिक दस्तावेज हैं। इसके अलावा राज्यपाल और उनका कार्यालय भी सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 के तहत सार्वजनिक प्राधिकरण के अंतर्गत आते हैं। हालाँकि सुप्रीम कोर्ट में न्यायिक सुनवाई के आधार पर संबंधित दस्तावेजों को अस्वीकार कर दिया था। उन दस्तावेजों को प्रस्तुत करने से न्याय प्रशासन की प्रक्रिया में कोई बाधा उत्पन्न नहीं होती है। इसके बावजूद राज्यपाल द्वारा जानकारी देने से मना कर दिया गया था। यह जानकारी दिए जाने पर कोर्ट की अवमानना होगी। इस तरह का जवाब दिया गया था। इसके बाद संतोष जाधव ने याचिका दायर की । जाधव ने याचिका में दलील दी है कि अगर इन्हें दिया गया तो राज्य के मुख्य सूचना आयुक्त ने दूसरी अपील पर फैसले में कहा कि यह अदालत की अवमानना होगी और दस्तावेज देने से इनकार कर दिया उन्होंने हाई कोर्ट से यह भी अनुरोध किया है कि मुख्य सूचना आयुक्त के 11 अगस्त के आदेश को रद्द कर सूचना के अधिकार के तहत सूचना उपलब्ध कराने का आदेश जारी करने की मांग कोर्ट से की है।

याचिकाकर्ता का क्या है कहना?

संतोष जाधव ने बताया कि 27 जुलाई 2022 को सूचना के अधिकार आवेदन के माध्यम से अनुरोध किया था कि किस दल ने सत्ता स्थापना हेतु राज्यपाल को पत्र भेजा तथा राज्यपाल द्वारा किस दल को आमंत्रित किया गया तथा सत्ता स्थापना के दावे का समर्थन करने वाले राजनीतिक दलों एवं विधायकों की सूची भी बतायी जाये। उसी दिन राज्यपाल ने विधानसभा सचिवालय को एक आवेदन भी सौंपा, जिसमें भाजपा या उस पार्टी के पत्र की एक प्रति का अनुरोध किया गया, जिसे सरकार बनाने के लिए आमंत्रित किया गया है। विधानसभा सचिवालय ने पत्र को राज्यपाल सचिवालय को भेज दियाm हालाँकि सभी प्रासंगिक जानकारी राज्यपाल के पास है और उपलब्ध होने के बाद दी जाएगी, राज्यपाल सचिवालय के सूचना अधिकारी ने 23 अगस्त 2022 को जवाब दिया।इसके ख़िलाफ़ पहली अपील के बाद उप सचिव ने भी ऐसा ही जवाब दिया। इसकी सुनवाई 26 सितंबर 2022 को हुई। उप सचिव ने 29 सितंबर, 2022 को जवाब दिया कि चूंकि अदालत में सुनवाई चल रही है, इसलिए संबंधित फाइल राज्यपाल के पास रखी हुई है और वह जानकारी उपलब्ध होने के बाद उपलब्ध कराएंगे। इसलिए मैंने अधिनियम की धारा 19(3) के तहत 6 अक्टूबर 2022 को मुख्य सूचना आयुक्त के समक्ष दूसरी अपील दायर की। साथ ही कानून के प्रावधानों के मुताबिक सूचना उपलब्ध नहीं कराने पर कर्तव्य में लापरवाही बरतने के लिए सूचना अधिकारी और उप सचिव पर जुर्माना लगाने का भी अनुरोध किया। हालांकि, मुख्य सूचना आयुक्त ने 19 अप्रैल 2023 को सुनवाई कर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया।फिर 11 अगस्त 2023 को फैसला सुनाते हुए मेरी अपील खारिज कर दी गई। मुख्य सूचना आयुक्त ने आदेश में कहा कि अपीलकर्ता द्वारा मांगी गई जानकारी अदालती कार्यवाही से संबंधित है जिसमें राज्यपाल प्रतिवादी हैं और संबंधित दस्तावेज उनके कब्जे में हैं। साथ ही चूंकि सुनवाई विधानसभा अध्यक्ष के समक्ष चल रही है, इसलिए यदि संबंधित जानकारी का खुलासा किया गया, तो विधानसभा के अधिकार का उल्लंघन होगा।हालाँकि जो जानकारी मांगी थी, उसका विधानसभा अध्यक्ष के समक्ष सुनवाई से कोई लेना-देना नहीं है। साथ ही राज्यपाल का कार्यालय सूचना का खुलासा न करने के अधिकार का दावा नहीं कर सकता क्योंकि यह सूचना के अधिकार के दायरे में आता है। अगर उनसे जानकारी सामने आ जाए तो अदालती सुनवाई और न्याय प्रक्रिया में कोई बाधा नहीं आती।बल्कि वे दस्तावेज़ सार्वजनिक हैं इसके अलावा जिस याचिका में राज्यपाल प्रतिवादी थे, उसे सुप्रीम कोर्ट ने 11 मई 2022 को निस्तारित कर दिया है। इसलिए आयुक्त का फैसला पूरी तरह से गलत होने का दावा याचिकाकर्ता ने याचिका में किया है।

Advertisement

Related posts

kolhapur status issue: स्टेटस पहुंचा सकता है जेल, औरंगजेब के व्हाट्सएप स्टेटस के बाद पुलिस ने चेताया

Deepak dubey

150 साल पुराना कर्नाक ब्रिज होगा धाराशायी, ट्रेन को लगेगा 27 घंटे का ब्रेक

vinu

महाराष्ट्र का दमन ही खोखे सरकार का उद्देश्य !

vinu

Leave a Comment