मुंबई। राज्य सरकार(state government)ने दिव्यांगों के लिए अलग युनिवर्सिटी(University)बनाने के उद्देश्य से एक समिति का गठन किया है। यह 15 सदस्यीय समिति संत गाडगे बाबा अमरावती विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति डॉ. मुरलीधर चांदेकर (Dr. Muralidhar Chandekar, former vice chancellor of Sant Gadge Baba Amravati University) की अगुवाई में आगे की रणनीति तैयार करेगी। बता दें कि राज्य सरकार ने दिव्यांगों के लिए अलग युनिवर्सिटी बनाने पर विचार कर रही थी। इस उद्देश्य की पूर्ति हेतु समिति के गठन का काम शुरू था, जो अब पूर्ण हो चुका है। समिति अब दिव्यांगों के लिए विश्वविद्यालय बनाने हेतु आवश्यक मुद्दों जैसे कि युनिवर्सिटी की आवश्यकता और उपयोगिता के बारे में जाँच-पड़ताल कर अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंपेगी। इस रिपोर्ट के आधार पर युनिवर्सिटी के संदर्भ में आगे की योजना तैयार की जाएगी। ज्ञात हो कि वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार पूरे देश में लगभग 2.68 करोड़ दिव्यांग है, जिसमें से 29 लाख से अधिक दिव्यांग महाराष्ट्र में हैं। राज्य में दिव्यांगों को शिक्षा प्राप्त करने में कोई दिक्कत न आए और सभी को शिक्षा प्राप्त हो इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए यह समिति गठित की गई है।
दिव्यांगों के लिए वरदान
शिक्षा के क्षेत्र में अग्रणी टार्गेट पब्लिकेशंस की मैनेजिंग डायरेक्टर डॉ. कल्पना गंगारमानी का कहना है कि सरकार द्वारा लिया गया यह निर्णय दिव्यांगों के लिए किसी वरदान से कम नहीं है। इस फैसले से दिव्यांगों में शिक्षा के प्रति उत्साह बढ़ेगा। इससे दिव्यांग विद्यार्थियों की संख्या में निश्चित रूप से बढ़ोतरी होगी, जो एक सकारात्मक बदलाव होगा।
दिव्यांगों में खुशी की लहर
राज्य सरकार के इस फैसले से दिव्यांगों में खुशी की लहर दौड़ पड़ी है। दिव्यांग जयकुमार का कहना है कि कई बार जाने-अनजाने में सामान्य विद्यालयों में ऐसी परिस्थिति बन जाती है, जिससे दिव्यांगों को असहजता महसूस होती है। इस विश्वविद्यालय के शुरू होने से सभी को समान मौके मिलेंगे और उन्हें कोई असहजता भी महसूस नहीं होगी।