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शिंदे सरकार ने खोया भरोसा, आदित्य ठाकरे का शिंदे पर हल्ला बोल

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शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) पक्ष नेता, युवासेना प्रमुख आदित्य ठाकरे ने राज्य सरकार पर हमला किया है। आदित्य ठाकरे ने पुणे महानगर पालिका आयुक्त के साथ मुलाकात की। बाद में उन्होंने पत्रकारों से बोलते हुए राज्य सरकार पर सीधे टीका टिप्पणी की।उन्होंने कहा कि वेदांत फॉक्सकॉन, बल्क ड्रग पार्क के बाद अब टाटा बस परियोजना भी गुजरात में चली गई। इस खोके सरकार पर ना उद्योजकों का और ना ही निवेशकों का, किसी का भरोसा नहीं है।
जिसकी वजह से राज्य में आने वाला निवेश अन्य राज्यों में चले जा रहा है। जो निवेशको के सामने नहीं जा सकता है, बात करने से घबराता है। तो वह बाहर से राज्य में उद्योग कैसे लेकर आएगा।आदित्य ठाकरे ने कहा कि अस्सी हजार करोड़ का निवेश राज्य में महाविकास आघाडी सरकार ने लाया था। अब केंद्र और राज्य में उनकी ही सरकार है। फिर परियोजना राज्य से बाहर क्यों जा रही है।
राज्य में निवेश हमेशा आते रहें इसलिए पूर्व उद्योग मंत्री सुभाष देसाई ने उद्योजकों के लिए सरल अनुमति प्रक्रिया की एक समिति बनाई थी। पिछले 3 महीने में इस समिति की एक भी बैठक नहीं हुई है। इस खोके सरकार ने एक भी उद्योग राज्य में नहीं लाया है। उद्योजकों का इस सरकार पर भरोसा नहीं है।
मुख्यमंत्री ने मंडलों से मुलाकात करने, दहीहंडी, राजनीतिक मुलाकात और तोड़फोड़ की राजनीति को छोड़कर कुछ नहीं किया है जोड़-तोड़ की राजनीति को छोड़कर वह अन्य मुख्यमंत्रियों की तरह दूसरे राज्य में भी नहीं गए। जब वह बाहर नहीं गए तो राज्य में निवेश कैसे आएगा ऐसा सवाल उन्होंने किया है।
कोरोना काल में भी महा विकास आघाडी सरकार ने छह लाख करोड़ का निवेश लाया था। इस संदर्भ में केंद्र सरकार से टैब भी हमने एअरबस परियोजना लाने के लिए चर्चा की थी, अब इस सरकार के उद्योग मंत्री झूठ बोल रहे हैं। उन्होंने राज्य के युवकों के साथ धोखा किया है। वह क्यों झूठे बोल रहे हैं? कितने महीने तक क्यों शांत थे। इसका उत्तर चाहिए?

शिवराज सिंह चौहान, नवीन पटनायक जैसे मुख्यमंत्री अपने महाराष्ट्र राज्य में आते हैं और उद्योजकों के साथ चर्चा करते हैं। हमारे मुख्यमंत्री ने क्या किया? ऐसा सवाल आदित्य ठाकरे ने उपस्थित किया। अबतक वेदांता फॉक्सकोन, ड्रग पार्क और मेडिकल डिवाइस परियोजना राज्य में होने वाला था जो गुजरात गया। अब चौथी बड़ी परियोजना भी अब हाथ से निकल गई है। दुख की बात है।

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