मुंबई। मुंबई में बड़े स्तर पर पुनर्विकास हो रहा है। एसआरए(SRA)की इमारतें भी 20 से 40 मंजिलों तक बन रही है। ऐसे में ऊंची इमारतों में आग की दुर्घटनाओं को रोकने के लिए अग्नि प्रतिबंधात्मक यंत्र व्यवस्थित होना बहुत ही जरूरी है। लेकिन मनपा के संबंधित अधिकारी बिना पैकेट लिए फायर एनओसी नहीं दे रहे हैं। उसके लिए कई बार चप्पल तक घिसने पड़ते है। इस तरह का गंभीर आरोप शिवसेना नेता व विधायक एड. अनिल परब ने कल विधान परिषद में लगाया। मुंबई में अग्नि प्रतिबंधात्मक को लेकर कठोर उपाय योजनाएं की जाए, इस तरह की मांग भी उन्होंने इस दौरान की।
एसआरए इमारतों को ओसी तो दी जाती है, लेकिन उनका फायर ऑडिट नहीं किया जाता। इस मुद्दे पर विधान परिषद में कल ध्यानाकर्षण प्रस्ताव लाया गया था। इस दौरान हुए चर्चा में अनिल परब के साथ ही शिवसेना विधायक सचिन अहिर, सुनील शिंदे आदि ने भी हिस्सा लिया। अनिल परब ने कहा कि मुंबई की ऊंची खासकर पुरानी इमारतों में अग्नि प्रतिबंधात्मक यंत्र की अवस्था बहुत ही विकट है। ऐसी इमारतों में आग की घटनाएं घटित होने पर ऊपरी मंजिल से खाली उतरते समय ही कई लोग झुलस जाते हैं। ऐसे में ऐसी इमारत को फायर एनओसी मिलना यानी बहुत ही कठिन होता है।
कई मॉल में फायर कंट्रोल तकनीक नहीं :- सचिन अहिर
शिवसेना विधायक सचिन अहिर ने इस दौरान मुंबई में अनेक मॉल में फायर कंट्रोल तकनीक के अभाव की पर सदन का ध्यान आकृष्ट किया। उन्होंने कहा कि अग्नि प्रतिबंधात्मक यंत्र के लिए कानून है लेकिन उसका क्रियान्वयन नहीं होता है। उन्होंने यह भी कहा की नई इमारत को लिफ्ट के लिए जैसे 10 साल का मेंटेनेंस बिल्डर की ओर से दी जाती है वैसे ही फायर कंट्रोल के लिए भी ली जाए, क्योंकि फायर मेंटेनेंस न होने के कारण ही आग की घटनाएं घटित होती हैं।
हर छह महीनों में ऑडिट करें :- सुनील शिंदे
एसआरए की इमारत में हर छह महीनों में फायर ऑडिट किए जाने की मांग इस दौरान विधायक सुनील शिंदे ने की। उन्होंने कहा कि ओसी और फायर एनओसी देनेवाला तंत्र अलग-अलग नहीं है। ये काम मनपा की ओर से ही की जाती है।
होगी जांच
उद्योग मंत्री उदय सामंत ने इस चर्चा में उठे सवालों का जवाब देते हुए कहा कि मुंबई में एसआरए इमारतों में लगे अग्नि प्रतिबंधात्मक यंत्र का ऑडिट किया जाएगा।