मुंबई। इरशालवाड़ी(Irshalwadi)में आपदा पीड़ितों के पुनर्वास के लिए अंतिम विकास योजना तैयार की गई है। इस स्वीकृत योजना के अनुसार प्रभावित आदिवासियों के पुनर्वास की जिम्मेदारी अब सिडको को सौंपी गई है। भूस्खलन को रोकने के लिए इरसालवाडी के पुनर्विकसित जगह को आरसीसी सुरक्षा दीवार द्वारा संरक्षित किया जाएगा।
रायगढ़ जिला कलेक्टर द्वारा सूचित किए गए 2.6 हेक्टेयर भूमि पर महाराष्ट्र राज्य सड़क विकास महामंडल ने पुनर्वास के लिए यह विकास योजना केवल आठ दिनों में तैयार की थी और इसे जिला कलेक्टर को सौंप दिया था। मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर घोषणा की कि इरसालवाडी आपदा पीड़ितों के पुनर्वास की प्रक्रिया छह महीने के भीतर पूरी कर ली जाएगी और संबंधित विभाग को त्वरित कार्रवाई करने का निर्देश दी है ।
इरसालवाडी में सड़क ढहने की घटना के बाद कलेक्टर योगेश म्हसे ने 27 जुलाई को राज्य सड़क विकास महामंडल को पत्र लिखकर दुर्घटना ग्रस्तों का पूर्णवर्सन के लिए विकास योजना तैयार करने की विनती की थी | उसके बाद तहसीलदार कार्यालय , भूमि अधीक्षक आदि विभाग के अधिकारियों ने 1 अगस्त को क्षेत्र का निरीक्षण किया था । फिर अपडेट सॉफ्टवेयर सिस्टम जीआइएस के अनुसार यह योजना तैयार की गयी। हालांकि राज्य सरकार के निर्देशानुसार एमएसआरडीसी द्वारा विकास योजना तैयार की गई है, लेकिन इसे लागू करना सिडको की जिम्मेदारी है। लेकिन, सिडको के लचर प्रबंधन को देखते हुए विशेषज्ञों द्वारा संदेह जताया जा रहा है कि क्या यह परियोजना छह महीने में पूरी हो जायेगी।
44 घरों के साथ महत्वपूर्ण सुविधाएं
इस योजना के अनुसार इरसालवाडी निवासियों के लिए 44 पक्के घर बनाए जाने हैं। प्रत्येक मकान का क्षेत्रफल 300 वर्ग मीटर होगा। महत्वपूर्ण बात यह है कि प्रस्तावित स्थल जमीन से कुछ ऊंचा है, इसलिए भविष्य में कोई खतरा नहीं होगा। इससे बचने के लिए नियोजित स्थल के चारों तरफ आरसीसी सुरक्षा दीवार प्रस्तावित है। साथ ही इस योजना में प्राथमिक विद्यालय, आंगनबाड़ी, सामुदायिक मंदिर, पार्क, खेल का मैदान, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र आदि के लिए भूखंडों की योजना बनाई गई है।