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Big success of BMC, गोखेल पुल का 1300 मैट्रिक टन वजन वाला 91 मीटर लंबा गर्डर 4 घंटे में किया स्थापित, टेक्निकल चुनौतियों के साथ 15 दिन में होगा सेट, 15 फरवरी से खुलेगा पुल!

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मुंबई: मनपा (Big success of BMC) के इतिहास में सबसे तेज़ पुल निर्माण का काम गोखले पुल परियोजना  पर हो रहा है। अंधेरी में गोपाल कृष्ण गोखले रेलवे पुल परियोजना का एक महत्वपूर्ण चरण दो दिसंबर की आधी रात (2 दिसंबर, 2023) और आज (3 दिसंबर, 2023) की सुबह के बीच पूरा कर लिया गया। सबसे महत्वपूर्ण चरण के तहत 90 मीटर लंबा और 14 मीटर चौड़ा कुल मिलाकर 1200 मैट्रिक टन वजन का गर्डर स्थापित किया गया। इसका पहला गर्डर स्थापित कर पुल का तकनीकी रूप से सबसे चुनौतीपूर्ण काम अगले 15 दिनों में पूरा कर लिया जाएगा। संभवतः 15 फरवरी 2024 तक गोखले पुल की एक लेन को आम जनता के लिए खोलना संभव माना जा रहा है।

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अभी और काम बाकी

इसमें कुल निर्धारित दूरी में 75 प्रतिशत की कटौती करके गर्डर लगाने का लक्ष्य आज पूरा कर लिया गया। इस महत्वपूर्ण चरण को पूरा करने के बाद शेष दूरी में गर्डर इंस्टालेशन भी कम समय में और आसानी से किया जा सकेगा। अगले पखवाड़े में इस गर्डर को 14 मीटर उत्तर की ओर ले जाने और फिर 7.5 मीटर नीचे करने की योजना है।रेलवे क्षेत्र के पहले चरण में गर्डरों का वजन लगभग 1200 मीट्रिक टन है। लंबाई 90 मीटर और चौड़ाई 13.5 मीटर है।

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पश्चिम रेलवे में 11 दिन रहेगा ब्लॉक

पश्चिम रेलवे ने मनपा के इस पकरियोजन पर काफी सहयोग किया। रेलवे परिसर में 7.5 मीटर की ऊंचाई से पुल को नीचे लाने के लिए 11 दिनों की ब्लॉक अवधि स्वीकृत की है।  पश्चिम रेलवे के विशेष ब्लॉक में हर रात तीन घंटे में औसतन 550 मिमी तक गर्डर नीचे करना संभव होगा।

गोखले पुल की विशेषता

1 रेलवे पर पुल लंबाई – 90 मीटर

2 रेल के बाहर पुल – 210 मीटर पूर्व और पश्चिम में 185 मीटर

3 पुल की चौड़ाई – (रेलवे क्षेत्र में) – 13.5 मीटर (एक गर्डर)

4 रेलवे के बाहर सड़कें, फुटपाथ सहित- 12 मीटर (दोनों तरफ)

5 दोनो गार्डर सहित पुल कुल चौड़ाई– 24 मीटर

 

गोखले पुल निर्माण में 6 महत्वपूर्ण बातें

 1.  अंधेरी ईस्ट-वेस्ट को जोड़ने वाले गोपालकृष्ण गोखले रेलवे पुल परियोजना के निर्माण में लगभग 1275 टन वजन वाले दो गर्डरों (गर्डर्स) की स्थापना शामिल है।

 2.  पश्चिम रेलवे प्रशासन ने पुराने पुल को पूरी तरह से ध्वस्त कर दिया और 28 मार्च 2023 को परियोजना स्थल मनपा को सौंप दिया।

 3.  गोखले पुल के लगभग 1300 टन वजनी गर्डर की लॉन्चिंग, गर्डर को उत्तर की ओर खिसकाना और फिसलने के बाद पुल के गर्डर को 7.5 मीटर नीचे ले जाना महत्वपूर्ण काम है।

 4.  किसी पुल के काम में लगभग 1300 टन वजनी गर्डर को 7.5 मीटर की ऊंचाई से एक निश्चित ऊंचाई तक नीचे करने की यह भारत में अपनी तरह की पहली परियोजना है।

5. रेल के औसतन एक घंटे के ब्लॉक में एक गर्डर को केवल 15 सेमी नीचे किया जा सकता है।

6. गोखले पुल के इस विशाल 1300 टन के गर्डर को 7.5 मीटर नीचे करने में 14 दिन से अधिक समय लग सकता है।

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