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…वरना रहने लायक नहीं बचेगी मुंबई!

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खतरनाक है मुंबई की आबोहवा, अधिकाधिक वृक्षारोपण की जरूरत

मुंबई।देश की आर्थिक राजधानी मुंबई में आबादी बढ़ने के साथ ही वाहनों की संख्या भी बढ़ रही हैं। उसी तेजी से शहर के विकास के नाम पर वृक्षों की कटाई की रही है।जिसके कारण मुंबई की आबोहवा खराब होते जा रही है ।इसे बचाए रखने के लिए वृक्षारोपण आवश्यक है इस असंतुलन के प्रति जागरूकता की कोशिश में जुटी हैं ज्योति मुणोत, जो मुंबई की हाउसिंग सोसायटियों व सार्वजनिक परिसरों में वृक्षारोपण की मुहिम चला रही है। वे मुंबई की लगभग 100 से ज्यादा सोसायटियों में अब तक वृक्षारोपण करवा चुकी है।

गोड़वाड़ पर्यावरण विकास समिति की संयोजक ज्योति मुणोत का कहना है कि मुंबई में बीकेसी, कुर्ला, गोवंड़ी, देवनार, धारावी, चेंबूर, वडाला, माहिम आदि इलाकों में सबसे ज्यादा वृक्षारोपण की जरूरत है, क्योंकि वहां का वायु गुणवत्ता जीवन सूचकांक सबसे ज्यादा खराब है। इसके साथ ही वेस्टर्न तथा ईस्टर्न एक्सप्रेस हाईवे की पट्टी पर रहने वालों के जीवन पर भी वाहनों की संख्या बहुत बढ़ जाने से ट्रैफिक जाम के कारण वायु प्रदूषण तेजी से बढ़ता ही जा रहा हैं। श्रीमती मुणोत का कहना है कि तेजी से बिगड़ती मुंबई की आबोहवा इस शहर के लोगों की जिंदगी के लिए खतरा बनती जा रही है, इसके लिए बड़े पैमाने पर वृक्षारोपण बेहद जरूरी है। उनका कहना है कि सरकार तो अपना काम करती ही है, सामान्य लोगों को भी वृक्षारोपण करना चाहिए, वरना आने वाले कुछ सालों में यह शहर स्वास्थ्य की दृष्टि से काफी खतरनाक हो जाएगा।

मुंबई सामान्य घरेलू महिलाओं व विभिन्न सामाजिक संस्थाओं के सक्रिय लोगों के सहयोग से वृक्षारोपण मुहिम चलानेवाली श्रीमति मुणोत का कहना है कि मुंबई पर ग्लोबल वॉर्मिग का खतरा तो है ही, लेकिन सबसे बड़ा खतरा है इस शहर का हवा और पानी, जो लोगों की जिंदगी पर खतरा बन रहा है। उनका कहना है कि मुंबई में किसी भी शहर के मुकाबले लोगों की स्किन जल्दी खराब होने का कारण भी यही है कि यहां की हवा और पानी की क्वालिटी बेहद खराब है। वे मुंबई के साथ साथ पश्चिमी राजस्थान के गोड़वाड़ इलाके के गांवों में भी जल संरक्षण व पर्य़ावरण विकास के क्षेत्र में काम कर रही हैं।

उल्लेखनीय है कि अमेरिका के शिकागो विश्वविद्यालय के वायु गुणवत्ता जीवन सूचकांक की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि दुनिया के बेहद खराब हवा पानी वाले शहरों में मुंबई छठे नंबर पर है, जहां ज्यादातर बीमारियां इसी वजह से बढ़ रही हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन के स्वास्थ्य मानकों का हवाला देते हुए श्रीमती मुणोत कहती है कि मुंबई के हवा पानी को स्वच्छ बनाने में अगर हम सफल हो जाएं तो इस शहर से बीमारियां बेहद कम हो सकती हैं। उनका कहना है कि तेजी से बढ़ती वाहनों की संख्या तथा विकास के लिए लगातार कटते पेड़ों से खराब होते पर्यावरण से मुंबई में जीवन पर मंडरा रहे खतरे को ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाकर ही दूर किया जा सकता है।

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