मुंबई। वाहन चालक शराब के नशे में है या नहीं, इसकी जांच करने के लिए ट्रैफिक पुलिस (traffic police) ब्रेथ एनालाइजर (Breath analyzers ) की जांच ( alcohal test) जबरदस्ती नहीं कर सकती है ऐसा महत्वपूर्ण निर्णय सत्र न्यायालय (session court) ने दिया है। दोपहिया वाहन चालक शराब के नशे में नहीं था ऐसा जांच में पता चला है, तो पिछली सीट पर बैठे व्यक्ति का ब्रेथ एनालाइजर (Breath analyzers ) जांच करने का कोई कारण ही नहीं था, ऐसा कहते हुए सत्र न्यायालय पुलिस की पिटाई करनेवाले व्यक्ति को बाइज्जत बरी कर दिया।
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बता दें कि 24 फरवरी 2013 को आरोपी प्रभाकर सोमवंशी अपने भाई के साथ दोपहिया वाहन पर शिव-ट्रोम्बे मार्ग पर जा रहा था। इस दौरान ट्रैफिक पुलिस ने बाइक रोक दी और चालक से उसका ड्राइविंग लाइसेंस मांगा। उस समय चालक के पास लाइसेंस नहीं था। इसलिए पुलिस को शक हुआ कि दोनों ने शराब पी रखी है। इसके बाद पुलिस ने सबसे पहले चालक का ब्रेथ एनालाइजर टेस्ट कराया। जिसमें साबित हो गया कि वाहनचालक ने शराब नहीं पी थी। उसके बाद जब पुलिस ने सोमवंशी का ब्रेथ एनालाइजर टेस्ट करने को कहा तो उन्होंने साफ इनकार कर दिया। इसी दौरान कहासुनी के चलते सोमवंशी ने दो ट्रैफिक पुलिसकर्मियों के साथ गाली-गलौज व मारपीट कर दी।
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इस मामले में सोमवंशी के खिलाफ आईपीसी की धारा 353, 332 समेत कई आरोपों में केस दर्ज किया गया था। हालांकि, पुलिस ने कथित मारपीट और गाली-गलौज के आरोपों को साबित करने के लिए कोई ठोस सबूत पेश नहीं किया। इसी आधार पर अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश एन. पी. मेहता ने सोमवंशी को बाइज्ज्त बरी कर दिया। वहीं पुलिस के मुताबिक आरोपी का मेडिकल कराया गया तो ब्लड सैंपल की रिपोर्ट सौंपना सरकारी पक्ष की जिम्मेदारी थी हालांकि,इस तथ्य कि यह रिपोर्ट प्रस्तुत नहीं की गई, यह साबित करता है कि आरोपी ने उस दिन शराब नहीं पी थी,ऐसा भी उल्लेख भी न्यायाधीश ने किया।ब्रेथ एनालाइजर टेस्ट कराने से इंकार करना किसी भी कानून या नियम के खिलाफ अपराध नहीं है। दरअसल, ट्रैफिक पुलिस ड्राइवर को यह टेस्ट कराने के लिए बाध्य नहीं कर सकती।