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Rahul Gandhi’s march: न्याय संकल्प पदयात्रा की कहानी, राहुल गांधी की जुबानी, जानिए कांग्रेस नेता ने हर मुद्दे पर क्या कहा.

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राहुल गांधी ने जन न्याय पदयात्रा को संबोधित करते हुए कहा –

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तुषार जी, योगेन्द्र यादव जी, स्टेज पर, कैसे बोलें, मैं नॉर्मली वरिष्ठ नेता बोलता हूं, पर स्टेज पर एमिनेंट पर्सनालिटी, सोशल एक्टिविस्ट और यहाँ हॉल में आप सब जो आए हैं, आप सभी का यहाँ बहुत-बहुत स्वागत, और नमस्कार।

मैं आपसे दो -तीन चीजें कहना चाहता हूं। पहली चीज यात्रा के बारे में और जो मेरा पिछले डेढ़ साल का एक्सपीरियंस रहा है, पिछले साल हम भारत जोड़ो यात्रा पर निकले। 4,000 किलोमीटर चले, कन्याकुमारी से कश्मीर और हम सबको, मुझे तो पहली बार हिंदुस्तान को नजदीकी से देखने का मौका मिला। मेरे दिमाग में एक हिंदुस्तान था, एक इम्प्रेशन था और जैसे ही मैंने चलना शुरू किया, वो इम्प्रेशन टूटता गया, टूटता गया, बदलता गया, बदलता गया, बदलता गया और अंत में मैं जब कश्मीर पहुंचा, मेरा रियलाइजेशन ये था कि जिस चीज को मैं हिंदुस्तान मानता था, वो एक्चुअली हिंदुस्तान था ही नहीं, वो मेरी इमेजिनेशन का हिंदुस्तान था, अनइनफॉर्मड (uniformed) हिंदुस्तान था और ये जो मैं हिंदुस्तान भारत जोड़ो यात्रा में जिसको देखा है, ये भी एक प्रकार से अनइनफॉर्मड हिंदुस्तान है, ये पहले वाले हिंदुस्तान से बेहतर इनफॉर्मड है, पर ये भी हिंदुस्तान की समझ नहीं है, सुपरफिशियल है।

मगर उस यात्रा में दो चीजें बड़ी क्लीयर थी। एक, कि हिंदुस्तान नफरत का देश नहीं है, मोहब्बत का देश है और इस देश में, इसके डीएनए में रिस्पेक्ट, मोहब्बत, ये बहुत गहरा है। तो चलते-चलते मेरे दिमाग में ये सवाल आना शुरू हुआ कि अगर ये नफरत का देश नहीं है, ये पहला देश है जिसने इंडिपेंडेंस की लड़ाई मोहब्बत से लड़ी और कोई देश है ही नहीं। मतलब, कहते हैं कि सिविल राइट मूवमेंट, गांधी जी की फिलॉसफी, उसने गांधी जी की फिलॉसफी का प्रयोग किया, मगर जो उनको डायरेक्शन किसने दिया, उनको डायरेक्शन गांधी जी ने दिया, हिंदुस्तान ने दिया।

साउथ अफ्रीका में मैं गया था, मंडेला जी ने मुझे यही कहा कि हमें जो औजार दिए गए, हमारी फ्रीडम स्ट्रगल के जो औजार दिए गए, वो अफ्रिका के औजार नहीं थे, वो आपके औजार थे, हिंदुस्तान के औजार थे और वो औजार हमें गांधी जी ने दिए। तो जब मैं चल रहा था, मेरे दिमाग में ये सवाल आया कि अगर हिंदुस्तान मोहब्बत का देश है तो इसमें नफरत क्यों फैल रही है, क्योंकि इतना आसान नहीं होना चाहिए नफरत को फैलाना। हम कहते हैं बीजेपी नफरत फैलाती है, but कोई ना कोई फाउंडेशन तो होगा, कोई ना कोई बेसिस तो होगा, इस देश में, इस नफरत का। तो ये सवाल मेरे दिमाग में था और आहिस्ता-आहिस्ता मुझे बात समझ में आने लगी कि नफरत का कारण अन्याय है।

ये देश में गरीबों के साथ, किसानों के साथ, दलितों के साथ, महिलाओं के साथ, युवाओं के साथ, सबके साथ हर रोज अन्याय होता रहता है। दो-तीन प्रतिशत लोग हैं इस देश में जिनको न्याय का एक्सेस मिलता है, दो-तीन प्रतिशत, ज्यादा से ज्यादा पांच प्रतिशत लोग हैं। उनके लिए कोर्ट काम करते हैं, उनके लिए सरकार काम करती है, सारे इंस्टीट्यूशन्स में उनके लिए जगह है, but अगर हम 90 प्रतिशत लोगों को देखें, उनके साथ 24 घंटे अन्याय हो रहा है।

16 लाख करोड़ रुपए 20-25 लोगों का कर्जा माफ हुआ, जीएसटी का पैसा है, जनता का पैसा है, किसानों का पैसा है, मगर किसानों का एक रुपया माफ नहीं होता है और मैंने सरकार के अंदर से देखा है, जब हमने किसान कर्जा माफी की बात उठाई, जब हम सरकार में थे, तो रेस्पॉंन्स मिला कि ये ठीक नहीं है, इससे किसान आलसी हो जाएगा। मनरेगा से गरीब व्यक्ति की आदत बिगड़ जाती है। मतलब, वो काम कर रहा है, उसको आप उस काम के लिए पैसा दे रहे हो और उसकी आदत बिगड़ रही है और दूसरी तरफ 20-25 लोग हैं, उनका 16 लाख करोड़ रुपए माफ हो रहा है, उनकी आदत नहीं बिगड़ रही! वो पता नहीं उसको विकास कहते हैं, डेवलपमेंट कहते हैं, प्रोग्रेस कहते हैं, पता नहीं क्या कहते हैं।

तो अगर आप हिंदुस्तान के धन को देखें और उसको ट्रैक करें, तो आपको दिखेगा कि ये जो सोने की चिड़िया कही जाती है, इसका पूरा का पूरा धन किसानों से, युवाओं से, दलितों से, आदिवासियों से, पिछड़ों से छीनकर ये 20, 25, 50, 200 कितने लोग हैं, ज्यादा नहीं है, इनकी ओर फनल होता है।

तो इसलिए हमने दूसरी यात्रा में ‘न्याय’ शब्द जोड़ दिया और इस यात्रा में हमारा फोकस उस पर था कि किस प्रकार का अन्याय हो रहा है और हर कदम पर स्टूडेंट्स के पेपर लीक हो रहे हैं, किसान को एमएसपी नहीं मिल रही, मजदूर को मिनिमम वेज नहीं मिल रही, छोटे व्यापारियों को जीएसटी से दबाया जा रहा है, मतलब हर स्टेप पर, हर कदम पर लोग आ रहे थे, कह रहे थे हमारे साथ ये हो रहा है। मगर, कंबाइंड कॉन्शियसनेस नहीं है। एक व्यक्ति कह रहा है, मेरे साथ अन्याय हो रहा है, मेरे पास छोटे व्यापारी आए गुजरात में। उन्होंने कहा कि जीएसटी से, नोटबंदी से हमें बहुत चोट लगी, मगर उसी डिस्कशन में जो किसान के साथ हो रहा है, वो उनको दिख नहीं रहा है, वो उनको देख ही नहीं पा रहे हैं। तो मेरे खिलाफ जो अन्याय हो रहा है, वो मुझे दिख रहा है। मगर मेरे भाई के साथ जो हो रहा है, वो मुझे दिख नहीं रहा है।

तो ये बहुत ज़रूरी बात है, क्योंकि जब तक आप अपने भाई के साथ जो अन्याय हो रहा है, वो नहीं देखोगे, तब तक कोई मूवमेंट खड़ा नहीं हो सकता। मैं जूडो करता हूं और उसमें एक बड़ी इंट्रस्टिंग चीज है, उसमें जमीन पर गिरना पड़ता है, फेंका जाता है व्यक्ति को। तो जब पहले व्यक्ति शुरू करता है, तो वो अपने आपको प्रोटेक्ट करना शुरू करता है। जमीन पर गिरोगे तो फिर आप अपने आपकी रक्षा करते हो, फिर थोड़ा एडवांस होता है, फिर उसको बात समझ में आती है, वो जमीन की रक्षा करना शुरू कर देता है। मतलब, don’t protect yourself, protect the mat और बड़े मजे की बात दिखती है कि जब आप जमीन को प्रोटेक्ट करते हो, तो ऑटोमैटिकली जमीन आपको प्रोटेक्ट करती है। तो मूवमेंट कब बनती है, मूवमेंट तब बनती है, जब मैं अपने दर्द को छोड़कर मेरे साइड में जो खड़ा है, उसके दर्द की रक्षा करना शुरू हूं, ऑटोमैटिकली वो मेरी रक्षा करेगा, उसको करना ही पड़ेगा। तो ये एक मेंटल लीप की जरुरत है। सबको दिख रहा है कि भाई, किसान को दिख रहा है, मजदूर को दिख रहा है, सबको दिख रहा है, मगर एक-दूसरे का दर्द नहीं दिख रहा है किसी को, मेरा एक्सपीरियंस है दूसरी यात्रा का।

आखिरी बात देखिए, आपने राहुल गांधी का नाम बहुत बार लिया, कांचा जी मेरे दोस्त हैं, उन्होंने नारे भी दे दिए। ये राहुल गांधी नहीं है, ये हिंदुस्तान में करोड़ों लोगों की फिलिंग है। उनमें से एक मैं हूं और आप मेरे ऊपर फोकस कर देते हैं, but भारत जोड़ो यात्रा में मैंने अपनी आंखों से देखा, मैं अकेला नहीं चल रहा था, लाखों लोग चले थे मेरे साथ और एक्चुअली भारत जोड़ो यात्रा की स्ट्रेंथ राहुल गांधी नहीं था, भारत जोड़ो यात्रा की स्ट्रेंथ वो बाकी लोग थे। तो उन पर भी फोकस होना चाहिए, लड़ना हमें एक साथ है और ये हिंदुस्तान के दो एक्सप्रेशन के बीच में लड़ाई है, ये राहुल गांधी, मोदी, बीजेपी, कांग्रेस के बीच में लड़ाई नहीं है।

हिंदुस्तान के नेचर के अंदर दो आत्माएं हैं और ये उन दोनों आत्माओं के बीच में लड़ाई है। एक आत्मा कहती है कि हिंदुस्तान ऊपर से चलाया जाएगा और सारे लोग ऊपर देखकर ऑर्डर लेकर इस देश को चलाएंगे और ये एक सोचने का तरीका है हिंदुस्तान में, बहुत सारे लोग इसको मानते हैं, एक्सेप्ट करते हैं और एक दूसरा तरीका है कि हिंदुस्तान को डीसेंट्रलाइज्ड तरीके से, हिंदुस्तान के सब लोगों को सुनकर चलाया जाएगा, जिसको हम अगर आप धार्मिक तरीके से बोलना चाहते हैं, तो शिव की बारात बोल लीजिए कि सब लोगों को जगह देकर निर्णय लिया जाता है।

जैसे योगेंद्र यादव जी अभी बैठे हैं, बड़ी इंट्रेस्टिंग बात आपको बताऊं – तीन-चार महीने पहले इन्होंने हमें कहा कि देखिए, हमें ये जो गारंटी हैं, हमें क्लीयरली बता देना चाहिए देश को कि इंडिया गठबंधन आएगा, तो क्या करेगा और आज मैंने इनसे पूछा कि आप बताइए कि ये जो हमने गारंटी देश के सामने रखी हैं, इससे आप खुश हैं, तो इन्होंने कहा, हाँ, मैं खुश हूं, मगर बहुत केयोटिक (chaotic) डिस्कशन हुआ। केयोटिक डिस्कशन हुआ, क्योंकि, ये एक्चुअली कांग्रेस पार्टी की, राहुल गांधी की, खरगे जी की, इंडिया गठबंधन की गारंटी नहीं है। ये एक्चुअली हिंदुस्तान की आवाज है, उसको हमने चुन-चुनकर, चुनकर, सुन-सुनकर निकाला है, उसको रिफाइन किया है।

बीजेपी ये काम कर ही नहीं सकती, क्योंकि उनका तरीका सेंट्रलाइज्ड है, ऊपर से बोलते हैं। नरेंद्र मोदी जी रडार की बात करेंगे, सब कुछ नरेंद्र मोदी जी से निकलता है। उनके विजन में और आरएसएस के विजन में ज्ञान एक व्यक्ति के पास है। किसान के पास ज्ञान ही नहीं है, मजदूर के पास ज्ञान ही नहीं है, बेरोजगार युवा को कोई समझ नहीं है… आईआईटी की डिग्री है, तो वो पूरी दुनिया को समझ गया… ये थिंकिंग है। तो इसके खिलाफ हमारी लड़ाई हो रही है।

हिंदुस्तान का सबसे बड़ा साइंटिस्ट, जितना उसमें ज्ञान है, उतना ही ज्ञान हिंदुस्तान के किसान में है। बस दूसरे तरीके का है। मैं बंगाल गया और वहाँ पर वो महिलाएं थीं, इसी यात्रा पर महिलाएं थीं, वो बीड़ी बना रहीं थीं। उनके हाथ में जो स्किल थी, बीड़ी बनाती थीं, उनके हाथ में जो स्किल थी, मैंने अपनी जिंदगी में पहले कभी नहीं देखीं। मैंने ट्राई किया, मतलब एक बीड़ी मैंने रोल करने की कोशिश की, वो नहीं हो रही थी मुझसे। तो वो सालों का मतलब, सालों की स्किल है वो और उसका इस देश में कोई आदर नहीं हो रहा। उस महिला को आप फाइनेंशियल सपोर्ट दीजिए, उसकी मदद कीजिए, मेक इन इंडिया उससे करवाइए और फिर देखिए क्या मजा आता है। तो ये दो अलग तरीके की सोच की लड़ाई है, इसमें हम सब एक साथ लड़ रहे हैं, बहुत अच्छा लग रहा है और घबराने की कोई जरूरत नहीं है। ये आप मत सोचिए कि बीजेपी आ गई, कॉन्स्टिट्यूशन को खत्म कर देंगे, ये कर देंगे… कुछ नहीं है, इनमें इतना दम नहीं है, ये नहीं कर सकते। इन्होंने मीडिया को कैप्चर कर रखा है, ये आवाज बहुत करते हैं, मगर, सच्चाई और हिंदुस्तान हमारे साइड है।24

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