मुंबई। महाराष्ट्र राज्य के विवादास्पद राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी(Governor Bhagat Singh Koshyari)अब नई मुसीबत में फंस सकते हैं।आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली को एक जवाब में, महाराष्ट्र के राज्यपाल के परिवार प्रबंधन कार्यालय ने स्पष्ट किया है कि राज्यपाल रहते हुए भगत सिंह कोश्यारी द्वारा उनसे जुड़े संगठन के लिए एकत्र किए गए चंदे की जानकारी उनके कार्यालय से संबंधित नहीं है।
आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली द्वारा भगत सिंह कोश्यारी जब राज्यपाल थे, तब उनके सरस्वती शिशु मंदिर, पिथौरगढ़, विवेकानन्द विद्या मंदिर इंटर कॉलेज, पिथौरगढ़ और सरस्वती विहार शैक्षणिक संस्थान हायर सेकेंडरी, नैनीताल के लिए राज्य के उद्योगपतियों, डेवलपर्स और अन्य लोगों से प्राप्त चंदे की विस्तृत जानकारी मांगी गई। महाराष्ट्र के राज्यपाल के परिवार प्रबंधक कार्यालय की कार्यालय अधीक्षक ने यह स्पष्ट किया है मांगी गई जानकारी उनके कार्यालय से संबंधित नहीं है हालाँकि, आपको संबंधित संगठन से संपर्क करना चाहिए। राजभवन द्वारा खारिज किये गये आदेश के खिलाफ अनिल गलगली ने प्रथम अपील दायर की गई है। गलगली का कहना है कि राज्यपाल रहते हुए कोश्यारी ने उनकी संस्था के लिए चंदा इकट्ठा किया है। राज्य सरकार और राज्यपालों के परिवार प्रबंधक कार्यालय को इस चंदे की जानकारी देना आवश्यक था। ऐसी कोई जानकारी नहीं है तो राज्यपाल के परिवार प्रबंधक उन्हें लिखित पत्र भेजकर उस अज्ञात चंदे की जानकारी मांगे ताकि उस जानकारी को राजभवन स्थित रिकार्ड में सुरक्षित रखा जा सके।
अनिल गलगली के मुताबिक, उनके राज्यपाल रहने के दौरान जुटाए गए चंदे की जानकारी राजभवन को होनी चाहिए थी, लेकिन राज्यपाल ने गुपचुप तरीके से जुटाए गए चंदे की जानकारी छुपा ली। राज्य सरकार को इसकी जांच करनी चाहिए, ऐसी मांग अनिल गलगली ने वर्तमान राज्यपाल रमेश बैस सहित मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे से की है।