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एफएसएसए में बड़ा संशोधन, दो धाराओं में कैद की सजा खत्म

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कैट और महासंघ को मिली और एक सफलता

मुंबई | कॉन्फडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेड्स (कैट) महाराष्ट्र प्रदेश के महामंत्री एवं अखिल भारतीय खाद्य तेल व्यापारी महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष शंकर ठक्कर ने बताया हमारे दोनों संगठनों द्वारा लगातार एफएसएसए की धाराओं में कैद की सजा के प्रावधान हटाने मांग की थी। हमारे देश के  प्रधानमंत्री द्वारा ‘इस ऑफ़ डूइंग बिजनेस’ अभियान चलाया जा रहा है जिससे व्यापार में आसानी हो और व्यापारियों को गलत तरीके से प्रताड़ित न होना पड़े इसलिए भी यह होना आवश्यक था। इसलिए फूड सेफ्टी स्टैंडर्ड एक्ट-2006 यानि एफएसएसए में बड़ा संशोधन हुआ है। एक्ट की तीन धाराओं को संशोधित करते हुए कारोबारियों को बड़ी राहत प्रदान की है। दो धाराओं में संशोधन करते हुए कैद की सजा को समाप्त कर दिया है। जबकि जुर्माना बढ़ाया गया है। जबकि एक धारा में कैद की सजा को आधा किया गया है। इस संशोधन के बाद एक्ट की तीन धाराएं काफी हद तक लचीली बनाई गई हैं।

एफएसएसए 2006 की धारा 59 (1) के तहत असुरक्षित खाने की बिक्री करने और आरोप सिद्ध होने पर छह महीने कैद और एक लाख रुपये तक जुर्माने का प्रावधान था। अब इसमें संशोधन करते हुए तीन माह कैद और तीन लाख रुपये तक जुर्माना कर दिया है।

धारा 61 के तहत गलत जानकारी देने पर और आरोप सिद्ध होने पर तीन माह की कैद और दो लाख रुपये तक जुर्माने का प्रावधान था। अब इसमें संशोधन करते हुए कैद का प्रावधान खत्म कर दिया गया है। जबकि जुर्माना बढ़ाकर 10 लाख रुपये तक कर दिया गया है। धारा 63 के तहत बिना फूड लाइसेंस कारोबार करने पर छह माह कैद और पांच लाख रुपये तक जुर्माना का प्रावधान था। इसमें संशोधन करते हुए अब जुर्माना बढ़ाकर 10 लाख रुपये तक किया गया है।

शंकर ठक्कर ने कहा तीन धाराओं में संशोधन कर कैद की सजा को खत्म कर या कम कर ने के लिए हम देश के स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया जी एवं वरिष्ठ अधिकारियों के आभारी हैं। लेकिन इसमें जुर्माने की रकम बढ़ा दी गई है जिससे भ्रष्टाचार बढ़ने से इनकार नहीं किया जा सकता है इसलिए जुर्माने की रकम भी पहले की तरह ही रखनी चाहिए।

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