मुंबई। दिवाली(Diwali)के मौके पर अच्छी वायु गुणवत्ता बनाए रखने के लिए हाई कोर्ट ने आज आक्रामक रुख अपनाया। विकास कार्यों से ज्यादा महत्वपूर्ण लोगों की जान है (POLLUTION) और अगर कुछ दिनों के लिए निर्माण बंद कर दिया गया तो क्या आसमान टूट पड़ेगा? ये सवाल आज सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने पूछा। मुंबई मनपा के अनुरोध के बाद हाई कोर्ट ने चार दिन का अल्टीमेटम दिया है हाई कोर्ट ने यह भी कहा कि अगर चार दिन के भीतर हवा की गुणवत्ता में सुधार नहीं हुआ तो निर्माण पर रोक लगाने का फैसला लिया जाएगा।
कोर्ट ने साफ किया है कि निर्माण पर रोक को लेकर प्रशासन को हाई कोर्ट ने आखिरी मौका दिया है| हाई कोर्ट ने कहा कि अगर अगले शुक्रवार तक वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) में कोई सुधार नहीं हुआ तो वह दिवाली पर चार दिन का प्रतिबंध लगा देगा। हाई कोर्ट ने कहा कि निर्माण में मलबा ले जाने वाले वाहनों को पूरी तरह से ढकना अनिवार्य है और पटाखों पर प्रतिबंध लगाने की कोई इच्छा नहीं है साथ ही कोर्ट द्वारा दिए गए निर्देशों का सख्ती से पालन किया जाए मुंबई मनपा और पुलिस को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि पटाखे फोड़ने के संबंध में अदालत के नियमों का पालन किया जाए। केवल शाम 7 बजे से रात 10 बजे के बीच ध्वनि वाले पटाखों की अनुमति है। हाईकोर्ट ने समय को लेकर निर्धारित नियमों का सख्ती से पालन करने का निर्देश दिया है।
हाई कोर्ट के तरफ से अमाइकस क्यूरी नियुक्त
मुंबई में वायु प्रदूषण को लेकर आज हाई कोर्ट में सुनवाई हुई| मुंबई में बिगड़ती वायु गुणवत्ता को लेकर हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई है| स्थिति की गंभीरता को देखते हुए हाई कोर्ट ने सुमोटो याचिका दायर की है मुख्य न्यायाधीश देवेन्द्र कुमार उपाध्याय एवं न्यायमूर्ति गिरीश कुलकर्णी की पीठ के समक्ष सुनवाई हुई। हाई कोर्ट ने इस मामले में वरिष्ठ कानूनी विशेषज्ञ दरयास खंबाटा को अमाइकस क्यूरी (कोर्ट का मित्र) नियुक्त किया है। आज सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने कहा कि प्रशासन इस मामले को गंभीरता से ले और तत्काल उपाय शुरू करें | मुंबई में बिगड़ती वायु गुणवत्ता जीवन और मृत्यु का प्रश्न बन गई है। चिंता है कि अगर आज उपाय नहीं किए गए तो आने वाली पीढ़ियों को इसकी भारी कीमत चुकानी पड़ेगी।
अमाइकस क्यूरी की बात दरयास खंबाटा ने व्यक्त की। मुंबई में बढ़ते निर्माण को कहीं न कहीं रोकना ही होगा। सीमेंट कंक्रीट कार्य से निकलने वाली धूल पर्यावरण के लिए हानिकारक है। इससे निकलने वाला अन्य कचरा भी पूरे शहर में घूमता रहता है।दरयास खंबाटा ने यह भी कहा कि मनपा को इस संबंध में कुछ ठोस कदम उठाने चाहिए। वायु गुणवत्ता सूचकांक के लिए केवल कार्ययोजना बनाना ही पर्याप्त नहीं है। खंबाटा ने कहा कि इसे तत्काल लागू करना जरूरी है। हवा की गुणवत्ता खराब होना किसी की जिम्मेदारी नहीं है| इस संबंध में सभी प्रशासनिक संस्थाओं को मिलकर काम करना चाहिए। मुख्य न्यायाधीश ने महाधिवक्ता बीरेंद्र सराफ को सुझाव दिया कि यह मामला केवल मुंबई मनपा तक सीमित नहीं है, यह अन्य मनपा की जिम्मेदारी है।
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