मुंबई – राज्य सरकार(state government)में कुल 7 लाख 19 हजार स्वीकृत पदों में से विभिन्न संवर्गों में लगभग 2 लाख 75 हजार यानी 35 फीसदी पद खाली हैं। हर साल 3 प्रतिशत रिक्तियां सेवानिवृत्ति के कारण हो रही हैं। इसी पृष्ठभूमि में सरकारी कर्मचारियों की सेवानिवृत्ति की उम्र 60 साल करने की मांग उठ रही है।सेवानिवृत्ति की आयु बढ़ाने के आश्वासन बावजूद सरकार ऐसा करने में टाल मटोल कर रही है, जिससे सरकारी कर्मचारियों और अधिकारियों के बीच काफी तनाव पैदा हो गया है।
महाराष्ट्र राज्य राजपत्रित अधिकारी महासंघ ने एक पत्रक जारी किया है जिसमें केंद्र सरकार के अनुसार रिक्तियों की मांग और सरकारी कर्मचारियों की सेवानिवृत्ति की आयु 60 वर्ष तक बढ़ाने की मांग की गई है।केंद्र सरकार और 25 घटक राज्यों की तरह, अधिकारियों और कर्मचारियों द्वारा समय-समय पर यह सुझाव दिया गया है कि महाराष्ट्र में सरकारी कर्मचारियों की सेवानिवृत्ति की आयु 60 वर्ष होनी चाहिए। हालांकि इस मुद्दे पर कई बैठकें और पत्राचार हो चुका है, लेकिन अभी तक कोई निर्णय नहीं लिया जा सका है ऐसे में अब पता चला है कि महाराष्ट्र राज्य राजपत्रित अधिकारी महासंघ ने एक बार फिर इस मुद्दे पर आक्रामक रुख अपना लिया है।इसके मुताबिक, सरकार की लगातार टालमटोल को देखते हुए महासंघ के मुख्य सलाहकार डी कुलथे ने कहा कि इससे कर्मचारियों में काफी बेचैनी और आक्रोश पैदा हो रहा है
देरी निराशाजनक
केंद्र सरकार की तरह राज्य सरकार ने अभी तक राज्य सरकार के कर्मचारियों की सेवानिवृत्ति की आयु 60 वर्ष तक बढ़ाने पर कोई निर्णय नहीं लिया है। इस संबंध में आश्वासन देने के बावजूद निर्णय की अनदेखी की जा रही है, जिससे कर्मचारियों व अधिकारियों में भारी असंतोष बताया जा रहा है।इसलिए महाराष्ट्र राज्य राजपत्रित अधिकारी महासंघ ने कहा है कि राज्य सरकार की यह देरी समझ से परे और निराशाजनक है।
रिक्तियों के संबंध में महासंघ के अध्यक्ष विनोद देसाई ने कहा कि वर्तमान में राज्य सरकार में कुल 7.19 लाख स्वीकृत पदों में से विभिन्न संवर्गों में लगभग 2.75 लाख यानी 35 प्रतिशत पद रिक्त हैं। हर साल 3 प्रतिशत रिक्तियां सेवानिवृत्ति के कारण बढ़ रही हैं। हमारा आग्रह है कि इन रिक्तियों पर नए लोगो की उचित भर्ती के संबंध में कार्रवाई की जाए; लेकिन वेतन लागत को बचाने के लिए, नई भर्तियों को ठीक से किए बिना, सेवानिवृत्त लोगों को वेतन पर नियुक्त करना और साथ ही ठेके के आधार पर कर्मचारियों को काम पर रखना अनुचित है और यह शिक्षित युवाओं की कैरियर को खराब करके उनका शोषण कर रहा है।इसलिए इस संबंध में जल्द निर्णय लेने की मांग की है ।