मुंबई। एशिया की सबसे बड़ी झोपड़पट्टी धारावी के पुनर्विकास (DRP) को लेकर धारावी वासियों में इन दिनों असमंजस की स्थिति है। राज्य सरकार और एमएमआरडीए (MMRDA) के बीच सर्वेक्षण को लेकर चल रही विसंगति से धारावीकरों में भ्रम बढ़ गया है। कई संस्थाएं इसका फायदा उठाकर लोकल स्तर पर सर्वेक्षण कर रही हैं। इस मामले में कई लोगों ने शिकायत की है। धारावी वासियों को समझ मे नहीं आ रहा है कि कौन सच्चा है और कौन झूठा है।
धारावी में पुराने सर्वेक्षण के अनुसार 56 हजार झोपड़ें हैं जिनमें 10 लाख लोग रहते हैं। यह आंकड़ा 10 साल पुराना हैं तब से लेकर अबतक धारावी में काफी बदलाव हुआ हैं वहां झोपड़ों के तादात भी बढ़े हैं। अवैध निर्माण हुआ है। कई नगर बसे हैं। जानकारों की माने तो अब धारावी में 90 हजार से अधिक झोपड़ें हो गए हैं। इन झोपड़ों में रहने वालों की आबादी भी अब 16 लाख से अधिक हो चुकी है। अब नए झोपड़ा धारकों को सर्वेक्षण सूची में शामिल होने की चिंता सता रही है। सरकार की ओर से कोई प्रतिसाद और समन्वयक ना होने की वजह से लोग भ्रम में हैं। इसका फायदा कुछ लोग उठा रहे हैं और लोकल स्तर पर सर्वेक्षण का हवाला देकर लोगों को झांसा दे रहे हैं। ऐसी शिकायत की लोगों ने की है।
इस बारे में धारावी बचाव आंदोलन समिति के अध्यक्ष रमाकांत गुप्ता ने कहा कि सरकार की ओर से धारावी पुनर्विकास योजना पुनः शुरू होने के बाद से लोगों में काफी भ्रम है। कई लोग सर्वेक्षण की अफवाह उड़ा रहे हैं। कुछ सोसायटियों में लोकल स्तर के सर्वेक्षण की बात सामने आ रही है। हमने इसका विरोध किया है। सर्वेक्षण फिर से किया जाए ऐसी हमारी मांग है।
बतादें वर्ष 2004 में डीआरपी बनाया गया। तबसे लेकर अबतक 20 साल होने को है लेकिन धारावी का विकास नहीं हो पाया है। यहां तक कि डीआरपी बनने के बाद वहां कई योजनाएं लागू नहीं हो पा रही है नतीजन जनता को तमाम समस्याओं के बीच गुजर बसर करना पड़ रहा है। अब एक बार फिर राज्य की ईडी सरकार ने धारावीवासियों को विश्वास में लिए बगैर धारावी पुनर्विकास की योजना शुरू की है। इसके लिए टेंडर जारी किया।
समन्वयक ना होने से लोगों में आक्रोश
धारावी विकास को लेकर सरकार और उद्योगपतियों के बीच सभी बातें हो रही है। निर्णय भी हो रहा है लेकिन जनता को इन सबसे दूर रखा गया है। जिसे लेकर लोगों में सरकार के खिलाफ आक्रोश बढ़ रहा है। सरकार और अडानी समूह के बीच क्या चल रहा है यह सिर्फ अखबारों के जरिये उन्हें पता चल रहा है। धारावी वासी जितेंद कुमार ने बताया कि स्थानीय लोगों को विश्वास में लिए बगैर सरकार मनमानी रूप से काम कर रही है। धारावी विकास की बात करते हैं और धारावी के लोगों को ही पता नहीं चलता कि क्या हो रहा है। लेदर व्यवसायी सलीम शेख ने कहा कि धारावी बिल्डर की झोली में चले गई, अडानी समूह ने ले लिया और हमें जानकारी सिर्फ अखबारों में मिल रही हैं। हम जानना चाहते हैं कि हमारे उद्योग धंधे का क्या होगा। सरकार को अडानी से मुनाफा होगा शायद इसी लिए राजनीतिक दबाव में बिना हमसे राय विचार के धारावी का टेंडर भी जारी कर दिया। समन्वयक कमेटी क्यों नहीं बना रही है सरकार
क्या है धारावी प्रोजेक्ट
कुल 68 हजार पात्र झोपड़ें
कुल 14 लाख से अधिक आबादी
कुल 10 हजार कामर्सियल गाले
कुल 240 हेक्टर का विकास
कुल 4 एफएसआई
कुल 28 हजार करोड़ का खर्च (लगभग)
कुल एक लाख करोड़ तक का विकास(लगभग)