मुंबई। गोवंश हत्या को रोकने के लिए बने कानून को प्रभावी ढंग से लागू न करने के मामले की सुनवाई में महाराष्ट्र मानवाधिकार आयोग ने पुलिस महानिदेशक और अतिरिक्त मुख्य सचिव (गृह) के साथ साथ पशुसंवर्धन विभाग के प्रधान सचिव को व्यक्तिगत रूप से हाजिर होने का निर्देश दिया है।
मानवाधिकार आयोग ने यह निर्देश शिकायतकर्ता आशीष बारीक के उस मामले की सुनवाई में दिया है, जिसमें आरोप लगाया गया है कि सरकार ने गोवंश की हत्या को प्रतिबंधित करने वाला कानून तो लागू किया है, लेकिन उस पर अमल करने के लिए कोई भी नियम नहीं बनाए हैं और उसका ठीक से पालन नहीं हो रहा है। बारीक को 17 जनवरी 2021 को गोमांस तस्करों के हाथों पुलिस की उपस्थिति में तब जानलेवा हमले का शिकार होना पड़ा था, जब उन्होंने चुनाभट्टी पुलिस को सूचना दी थी कि कुछ तस्कर ट्रक में गोमांस ले जा रहे हैं. जब आशीष पुलिस के साथ उस ट्रक का पीछा कर रहे थे तो पुलिस की उपस्थिति में उनका रास्ता रोक कर उन पर घातक हमला किया गया, जिससे उन्हें आईसीयू में भर्ती होना पड़ा था। अपने ऊपर हुए कातिलाना हमले के बाद भी जब तस्करों द्वारा अधिकारियों पर हमले नहीं रुके तो आशीष ने अपनी वकील और महाराष्ट्र एनिमल वेलफेयर बोर्ड की सदस्य रह चुकी एड. सिद्ध विद्या के माध्यम से मानवाधिकार आयोग में 19 मई 2022 को शिकायत दर्ज कराई शिकायत में परिस्थितिजन्य साक्ष्य भी जोड़े गए थे, जिस पर आयोग ने मामले को गंभीरता से लिया और पुलिस तथा संबंधित अधिकारियों को नोटिस जारी किया।
बता दे आशीष को हाईकोर्ट द्वारा नामित कमेटी ने उन्हें पशु कल्याण अधिकारी नियुक्त किया है और उनका काम यह सुनिश्चित करना है कि महाराष्ट्र में सभी पशु कल्याण कानूनों का ठीक से पालन हो रहा है या नहीं। मामले की सुनवाई में आयोग ने एडिशनल चीफ सेक्रेटरी (होम) को नोटिस जारी कर जवाब मांगा।30 जून 2022 को दिए गए अपने जवाब में कहा गया है कि मामला पशुसंवर्धन विभाग का है। आयोग ने पशुसंवर्धन डिपार्टमेंट के 2 रीजनल ज्वाइंट कमिश्नर को निर्देश दिया कि वे चीफ सेक्रेट्री और डीजीपी से व्यक्तिगत रूप से मिलकर इस मामले की गंभीरता को एक्सप्लेन करें ताकि वे संतोषजनक उत्तर दे सके।उन्होंने डीजीपी और एसीएस (होम) को व्यक्तिगत रूप से उपस्थित रहने का निर्देश दिया।इस मामले की अगली सुनवाई 9 फरवरी को होगी।