मुंबई। निसंतान दंपति को संतान प्राप्त हो सके इसके लिए आईवीएफ(IVF), आईयू(IIU) और सरोगेसी (SUROGACY) उपचार (sperm donation) देश भर में शुरू किया गया है । इस उपचार के दौरान स्पर्म बैंक (Sperm Bank) की होने वाली प्रक्रिया को पूरी करने के लिए बनाये गए नियम को सरकार ने और भी सख्त कर दिए हैं , जिसके चलते स्पर्म बैंकों पर ताला लगने की नौबत आ गई है। इन सख्त नियमों के कारण स्पर्म दाताओं ने मुंह फेर लिया है, जिसके चलते लाखों रुपये खर्च करके चलाये जा रहे स्पर्म बैंक बंद होने लगे हैं। इसमें सबसे बड़ा कारण है स्पर्म बैंक में स्पर्म देने वालो का आधार लिंक सख्ती करना है। जिसके कारण स्पर्म देने से कतरा रहे है और अब स्पर्म की कमी होने लगी है।
गौरतलब हो कि बांझपन के तीन प्रकार के उपचार होते है जिसमे आईईयू, आईवीएफ और सरोगेसी के दौरान स्पर्म बैंक में शुक्राणु दान करने वाले दाताओं के लिए भी ‘आधार’ अनिवार्य कर दिया गया है। इस अनिवार्यता से स्पर्म दाताओ में डर बैठ गया है कि आधार नंबर देने से उनकी गोपनीयता खो जायेगी। इस डर से अब वह शुक्राणु दान के लिए आगे नहीं आ रहे हैं। नतीजतन, स्पर्म बैंकों में शुक्राणुओं की कमी होने लगी है. वैसे भी इन स्पर्म बैंकों को चलने में लगने वाले लाखों रुपये के खर्च के कारण उनके पास इसे बंद करने के सिवाय कोई चारा नहीं बचा है।
बांझपन के इलाज की पद्धति जैसे जैसे विकसित हुई वैसे वैसे स्पर्म बैंक कांसेप्ट तेजी से प्रचलन में बढ़ा, जो कारगर साबित होने लगा। इस इलाज पद्धति में पुरुष शुक्राणु को स्पर्म बैंक में एकत्रित करके रखा जाता है, जिसे बांझपन के उपचार में इस्तेमाल किया जाता है। कई बार इसके लिए दानदाताओं को भुगतान भी किया जाता है। इस पूरी प्रक्रिया में स्पर्म डोनर की जानकारी गुप्त रखी जाती है।लेकिन अब दानदाताओं को यह डर सत्ता रहा है कि इन नए निर्देशों के कारण गोपनीयता के मानदंडों का पालन नहीं किया जाएगा। इस वजह से स्पर्म डोनेट करने के लिए आगे आने वाले डोनर्स की संख्या में तेजी से कमी आई है।इनफर्टिलिटी के तीनों प्रकार के उपचार, आईईयू, आईवीएफ और सरोगेसी में, जहां भी जरूरत थी, स्पर्म की उपलब्धता डोनर्स से ली गई।
इन बैंकों में आने वाले युवा दानदाताओं की संख्या सबसे अधिक रही। अब इसमें कमी आने से इन बैंकों का मकसद पूरा नहीं हो पा रहा है।सरोगेसी प्रक्रिया में नए नियमों के साथ-साथ कानून में लाए गए नियमों के कारण अभी भी अनिश्चितता है। यह स्पष्ट नहीं है कि सरोगेसी किसे करनी चाहिए। डोनर सिर्फ एक बार स्पर्म डोनेट कर सकते हैं। पहले यह दान कितनी बार किया जा सकता है इसकी कोई सीमा नहीं थी।चूंकि इन बैंकों द्वारा पालन किए जाने वाले चिकित्सा नियमों के बारे में अभी भी कोई स्पष्टता नहीं है, इसलिए सरकारी कार्रवाई का सामना करने के बजाय बैंक को बंद करने के विकल्प को स्वीकार कर लिया है।