मुंबई। महाराष्ट्र में टेंशन से पीड़ित नौजवानों की संख्या में बीते कुछ महीनों में बेतहाशा वृद्धि हुई है। आलम यह है कि प्रदेश में 18 से 45 साल के बीच सबसे अधिक लोग जूझ रहे हैं, जो स्वास्थ्य विभाग के लिए चिंता का सबब बनते जा रहा है। बताया गया है कि करीब 18 से 45 साल के बीच करीब 73.5 फीसदी युवाओं ने स्वास्थ्य विभाग द्वारा शुरू किए गए टेली मानस का सहारा लिया है। योजना के लिए शुरू किए गए कॉल सेंटरों के संपर्क क्रमांक पर कॉल करके अपनी समस्याओं को रखकर उसे सुलझाने की कोशिश की है।
उल्लेखनीय है कि बदलती जीवनशैली,अच्छे कॉलेज में दाखिला, नौकरी में काम का तनाव, परीक्षा, बिजनेस में असफलता, करियर की चिंता जैसे कई कारणों से आजकल युवा काफी तनाव में है। लगातार काम में व्यस्त रहनेवाले युवा बेहद थकान महसूस कर रहे हैं। लेकिन उन्हें इस बात का ध्यान नहीं रहता कि वे मानसिक तनाव में हैं। इस लगातार तनाव के कारण वे मानसिक रूप से कमजोर और उदास हो रहे हैं। अवसाद की स्थिति से बाहर निकलने के लिए उन्हें इलाज के लिए मनोचिकित्सक के पास जाना जरूरी होता है। लेकिन समाज में आम धारणा है कि मनोचिकित्सक के पास जाने का मतलब है कि व्यक्ति पागल हो गया है। इसलिए बहुत से लोग मनोचिकित्सक के पास जाने से बचते हैं। परिणाम स्वरूप उनकी मानसिक बीमारी बढ़ जाती है। राज्य सरकार द्वारा नागरिकों को परामर्श और मार्गदर्शन प्रदान करने के लिए शुरू किए गए कॉल सेंटर ‘टेली मानस’ को नागरिकों का भरपूर समर्थन मिल रहा है। एक साल में राज्य के विभिन्न हिस्सों से 50 हजार से अधिक नागरिकों ने इस पर संपर्क किया है। इसके साथ ही यह बात सामने आई कि 18 से 45 आयु वर्ग के युवाओं की संख्या अधिक है।
इस आयु के इतने प्रतिशत लोगों ने किया संपर्क
राज्य के 18 से 45 आयु वर्ग के 73.5 प्रतिशत युवाओं, 46 से 64 वर्ष की आयु के 16 प्रतिशत नागरिकों, 13 से 17 वर्ष की आयु के 4.3 प्रतिशत, 12 वर्ष से कम आयु के बच्चे 1.2 प्रतिशत और 65 वर्ष से अधिक आयु के 4.9 प्रतिशत ने ‘टेली मानस’ केंद्र से संपर्क कर अपनी समस्याओं का समाधान करने का प्रयास किया।
इस बीमारी से पीड़ित हैं युवा
युवाओं में अवसाद बढ़ रहा है। इसके बाद सामाजिक और कार्यस्थल तनाव, चिंता, परीक्षण तनाव, असफलता का डर और रिश्ते की समस्याएं बढ़ रही हैं।