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उत्तर बंगाल से गैर कानूनी सरोगेसी से लाखो की कमाई
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दार्जिलिंग| सरोगेसी(surrogacy mother) कानून (act )सख्त होने के बाद भाड़े की कोख (Kiraye kee kokh )तस्करो की कमाई बढ़ गई है | विशेष कर उत्तरी बंगाल(Bangal ) और आसाम(Aasam ) में अधिक बढे है | उत्तरी बंगाल के दार्जिलिंग, जलपाईगुड़ी, और अलीपुरद्वार जिले में मानव तस्कर काफी दिन से सक्रिय हैं ये जिले नेपाल, भूटान, और बांग्लादेश से सटे हुए हैं| इन जिलों की सीमा असम और बिहार से लगती है| लेकिन, जवान लड़कियों की खरीद-फरोख्त के कारोबार ने पिछले कुछ सालों में जोर पकड़ा है| कारोबारी इन्हें ‘भाड़े की कोख’ कहते हैं. ये लड़कियां पूरे भारत में निसंतान दंपतियों की मांग को पूरी करने के लिए अपनी जिन्दगी बर्बाद करने को मजबूर हैं |
दार्जिलिंग की एक स्थानीय ब्यूटी पार्लर में काम करने वाली लड़की को एक आदमी मिला जिसने उससे बेहतर सैलरी वाली नौकरी देने अनजान जगह पर ले गया | एक महीने बाद उस लड़की का कृत्रिम गर्भाधान किया गया | इसके बाद उस लड़की को एक दंपति के घर पर छोड़ दिया गया छह महीने की पेट से होने के बाद, आखिरकार वह लड़की दंपति के कब्जे से भागने में कामयाब हो पाई | उसके बाद एक एनजीओ के मदद से उसे मुक्त कराया गया | वह लड़की अब शादीशुदा है और अपने बच्चे के साथ एक सामान्य जिन्दगी जी रही है. अपहरण करने वाले दंपति और एजेंट अब भी फरार हैं |
दार्जिलिंग की एक स्थानीय ब्यूटी पार्लर में काम करने वाली लड़की को एक आदमी मिला जिसने उससे बेहतर सैलरी वाली नौकरी देने अनजान जगह पर ले गया | एक महीने बाद उस लड़की का कृत्रिम गर्भाधान किया गया | इसके बाद उस लड़की को एक दंपति के घर पर छोड़ दिया गया छह महीने की पेट से होने के बाद, आखिरकार वह लड़की दंपति के कब्जे से भागने में कामयाब हो पाई | उसके बाद एक एनजीओ के मदद से उसे मुक्त कराया गया | वह लड़की अब शादीशुदा है और अपने बच्चे के साथ एक सामान्य जिन्दगी जी रही है. अपहरण करने वाले दंपति और एजेंट अब भी फरार हैं |
भारत में 25 जनवरी को सरोगेसी (रेगुलेशन) एक्ट 2021 लागू हुआ. जिसके बाद, कमर्शियल सरोगेसी गैरकानूनी हो गया है अब भारत में सिर्फ़ ‘ऐल्ट्रूइस्टिक सरोगेसी’ या ‘परोपकारी सरोगेसी’ ही कानूनी तौर पर मान्य है. इसके तहत सरोगेट माता को किसी भी तरह की नगदी सहायता नहीं दी जा सकती है. ‘ऐल्ट्रूइस्टिक सरोगेसी’ में सिर्फ़ मेडिकल खर्च और बीमा लाभ लिया जा सकता है.लेकिन, जमीनी सच्चाई जटिल और घिनौनी है. सरोगेट-बच्चे की मांग को पूरा करने के लिए, कानून को ठेंगा दिखाकर लड़कियों की तस्करी जारी है. दरअसल, देश के कई हिस्सों में ‘बच्चों की बिक्री’ का कारोबार खूब फलफूल रहा है| |
सूत्रों की माने तो आसाम ,दार्जिलिंग में चाय की खेती लगभग समाप्त होने के मार्ग पर है | यहाँ की महिलाएं इन्ही बागानों पर निर्भर है | लेकिन बंद होने के कारण उन्हें रोजगार समाप्त हो रहे है कमाई कम हो रही है | ऐसे में सरोगेसी तस्करो के माध्यम से इन कार्यो को अंजाम दे रही है |विशेष कर लड़किया इन तस्करो में झांसे में आकर मोटी कमाई के लिए कोख किराये पर देने के कारोबार में शामिल हो रही है |
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