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28 शस्त्र लाइसेंस ट्रांसफर कराए जाने का खुलासा
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यूपी |शस्त्र लाइसेंस प्रकरण की जांच में एक बड़ा खुलासा हुआ है। दो साल के भीतर नागालैंड(Nagaland) से 28 शस्त्र लाइसेंस यूपी (Up) ट्रांसफर कराए गए थे। एसटीएफ इन लाइसेंस से संबंधित दस्तावेज जुटा रही है। आगे की कार्रवाई में ये आंकड़ा बढ़ भी सकता है। ये पूरा खेल मुख्तार(mukhta ansari ) के गैंग के जरिये किया गया। जिनकी नागालैंड के शासन-प्रशासन में गहरी पैठ थी।यूपी एसटीएफ ने इस मामले में जांच करते हुए समाजवादी पार्टी के विधायक अभय सिंह के साले संदीप सिंह को गिरफ्तार किया है | संदीप सिंह ने नागालैंड से फर्जी नाम पते पर बनवाए थे और शस्त्र लाइसेंस को लखनऊ में मुख्तार अंसारी के सरकारी विधायक निवास के पते पर ट्रांसफर करवाया था |
एसटीएफ ने खुलासा किया था कि संदीप सिंह ने नागालैंड में फर्जी शस्त्र लाइसेंस बनवाकर वहां के चीफ सेक्रेटरी से एनओसी ली और उसे लखनऊ के पते पर ट्रांसफर करवा लिया। लखनऊ का पता मुख्तार अंसारी का था। जांच में सामने आया है कि वर्ष 2003 व 2004 के बीच करीब 28 शस्त्र लाइसेंस इसी तरह से एनओसी लेकर यूपी ट्रांसफर करवाए गए। जांच एजेंसी को कुछ ऐसे साक्ष्य मिले हैं, जिससे पता चला है कि मुख्तार के गैंग ने ये सभी लाइसेंस बनवाए।यही नहीं एसटीएफ की जांच में साल 2002 से 2004 के बीच मुख्तार अंसारी और उससे जुड़े गैंग के लोगों ने नागालैंड से लगभग 28 शस्त्र लाइसेंस बनवा कर यूपी ट्रांसफर करवाए थे, लेकिन इनके कागजात ढूंढे नहीं मिल रहे | बीते 27 मई को यूपी एसटीएफ ने लखनऊ के विभूतिखंड इलाके से समाजवादी पार्टी (सपा) के बाहुबली विधायक अभय सिंह के साले संदीप सिंह उर्फ पप्पू को गिरफ्तार किया | संदीप सिंह ने नागालैंड के मून जिले से जो राइफल लाइसेंस बनवाया था | वह जांच में संदीप के नाम पर बना ही नहीं था | नागालैंड के मून जिले से बनवाया गया |
एक शख्स का लिया था नाम, पूछताछ
संदीप सिंह से जब पूछताछ की गई थी तब उसने बताया था कि उसके गांव का ही रहने वाला शख्स है, जिसका कनेक्शन नागालैंड से रहा है। वही लाइसेंस बनवाया था। इस दावे में कितनी सच्चाई है कि एसटीएफ पता कर रही है। सूत्रों के मुताबिक इससे पूछताछ भी की गई है। अगर उसके खिलाफ पुख्ता सुबूत मिलेगा तो उस पर कार्रवाई की जाएगी।
अफसरों की रही मिलीभगत
फर्जी लाइसेंस पर वैध एनओसी जारी करने में अफसरों की भूमिका संदिग्ध है। गैंग का पैठ वहां की अफसरशाही में रही है। जिनकी मदद से ये खेल किया गया। अफसरों की मिलीभगत से ही लाइसेंस बनाकर एनओसी ली गई है। अगर खेल न किया जाता तो एनओसी जारी नहीं होती और ये खेल उसी वक्त खुल जाता।
असलहा विभाग पहुंची एसटीएफ, अफसर-बाबू गायब
लाइसेंस ट्रांसफर होने के बाद लखनऊ पुलिस का बड़ा खेल रहा था। संदीप सिंह का आपराधिक इतिहास होने के बावजूद साल दर साल उसका शस्त्र लाइसेंस रिन्यू होता रहा था। इस प्रकरण में पुलिस कमिश्नर ने जांच के आदेश दिए हैं। उधर एसटीएफ केस के संबंध में बुधवार को कलेक्ट्रेट पहुंची। शस्त्र अधिकारी व असलहा बाबू से एसटीएफ को पूछताछ करनी थी लेकिन दोनों में से कोई नहीं मिला। पता चला कि जब से एसटीएफ ने संदीप सिंह को जेल भेजा है तब से ये दोनों गायब चल रहे हैं। दोनों के फोन बंद हैं।
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