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Sexual offense: “आजा आजा” कहना पड़ गया महंगा, माना जायेगा लैंगिक अपराध

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मुंबई। आठ साल पहले ट्यूशन क्लास जा रही 15 साल की नाबालिग का पीछा करने और “आजा आजा” (saying aaja aaja is sexual offense) कहने के आरोप में 32 वर्षीय एक आरोपी को मुंबई की सेशन कोर्ट ने एक साल जेल की सजा सुनाई है। दिंडोशी कोर्ट ने नाबालिग लड़की का पीछा करने और लड़की द्वारा 32 साल के शख्स के प्रति कोई रूचि नहीं दिखाने के बावजूद युवक द्वारा उसे बार-बार ‘आजा आजा’ कहने को लैंगिक अपराधों (sexual offense) से नाबालिगों के संरक्षण अधिनियम (पॉस्को) के तहत यौन उत्पीड़न का अपराध माना है।

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यह घटना वर्ष 2015 में घटित हुई थी। उस समय पीड़िता पीड़िता 15 साल की थी और कक्षा दसवीं की छात्रा थी। कोर्ट में पीड़िता ने बताया पीड़िता ने बताया था कि जब वह पैदल चलकर अपने फ्रेंच ट्यूशन के लिए जा रही थी, तब आरोपी ने साइकिल पर उसका पीछा किया था और बार-बार ‘आजा आजा’ बोलता बोले जा रहा था। पीड़िता के अनुसार आरोपी ने ऐसा कई दिनों तक किया।पीड़िता के मुताबिक घटना के पहले दिन उसने सड़क पर चल रहे अन्य लोगों से मदद मांगने की कोशिश की थी। उन्होंने उसका पीछा भी किया लेकिन युवक अपनी साइकिल से भाग गया था। पीड़िता ने इस घटना के बारे में अपने ट्यूशन टीचर और माता-पिता को भी बताया था। घटना के कुछ दिनों बाद युवती ने पाया कि वही आरोपी बगल की इमारत में चौकीदार के रूप में काम कर रहा था। ऐसे में लड़की ने इसकी जानकारी अपनी माँ को दी। इसके बाद मां ने पुलिस से संपर्क किया और शिकायत दर्ज कराई।

इस मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट में आरोपी ने खुद को निर्दोष बताया और सभी आरोपों से इनकार किया, जबकि जस्टिस ए. जेड. खान ने कहा कि मेरा विचार है कि अभियोजन पक्ष ने साबित किया है कि आरोपी ने नाबालिग छात्रा का पीछा किया और बार-बार ‘आजा, आजा’ कहकर संबोधित किया। यह यौन उत्पीड़न के दायरे में आता है। आरोपी द्वारा किया गया अपराध न तो दबाव में है और न ही लड़की की ओर से उकसावे पर किया है, बल्कि आरोपी ने नाबालिग के साथ ऐसा अपराध किया है, जिसके लिए आरोपी नरम रुख का हकदार नहीं है।आरोपी के एडवोकेट की ओर से दलील दी गई कि आरोपी की पत्नी और तीन साल की बेटी है, इसे देखते हुए उसकी सजा कम की जाए. लेकिन कोर्ट ने सजा कम करने से इनकार कर दिया।

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