मुंबई: किसानों के मुद्दे पर मंगलवार को बुलाई गई बैठक को सरकार द्वारा अचानक रद्द करने से किसान काफी आक्रोशित (Farmar’s protest) हो गए और कहा कि चर्चा करनी है, तो हमारे पास कसारा घाट आए , ऐसा संदेह आंदोलनकारियों ने सरकार को दिया है।इसलिए सरकार ने किसानों की लाल आंधी से घबराकर अपने दो मंत्रियों को तुरंत चर्चा के लिए नाशिक की ओर रवाना किया है।
किसानों की विभिन्न मांगों को लेकर 13 मार्च को नासिक से मोर्चे की शुरूआत हुई। यह मोर्चा अधिवेशन के दरमियान द विधान भवन आएगा।ऐसी चेतावनी आंदोलनकारियों ने दिया है। प्याज उत्पादकों को 600 रुपये की सब्सिडी और अगले सीजन में 2,000 रुपये की गारंटी की मांग को लेकर मंगलवार रात कसारा घाट से पहले घाटनदेवी इलाके में पहुंचा है। यहाँ रात साढ़े 11 बजे प्रदर्शनकारी विश्राम किया।इसके बाद तड़के सुबह मोर्चा फिर से मुंबई की ओर निकल पड़ा। दोपहर तीन बजे तक करीब 25 से 30 किमी की दूरी तय की गई। कसारा घाट की मुश्किल चढ़ाई से उतरने के बाद प्रदर्शनकारियों ने कुछ समय के लिए खरडी में विश्राम किया और फिर से मुंबई के लिए रवाना हो गए।
बैठक को लेकर सरकार में असमंजस
मंगलवार को राज्य सरकार ने प्रदर्शनकारियों से चर्चा के लिए बैठक बुलाई थी। हालांकि, बैठक में शामिल होने वाले कुछ मंत्रियों के अनुपस्थित रहने के कारण बैठक रद्द कर दी गई। इसलिए सरकार की ओर से विधानसभा में आश्वासन दिया गया कि बुधवार को इस संबंध में शासन स्तर की बैठक होगी। इस सभा का संदेह विरोधी नेता व विधायक जीवा गावित को दी गई। उन्होंने पलटवार करते हुए कहा कि अगर सरकार वास्तव में चर्चा करना चाहती है तो सरकार को आंदोलन की जगह पर आकरहमसे चर्चा करनी होगी।इसलिए सरकार ने नासिक के पालक मंत्री दादा भुसे और सहकारिता मंत्री अतुल सावे को चर्चा के लिए भेजा है।
30 हजार किसान नासिक से करीब 10 हजार किसानों ने इस लॉन्ग मार्च में हिस्सा लिया है। मोर्चा जैसे जैसे कसारा घाट की ओर बढ़ाता गया, यह संख्या बढ़कर लगभग 20,हजार हो गई। कसारा के नजदीक पहुंचते ही नगर और नांदेड़ के किसानों ने इस मोर्चे में शामिल हो गए।इसके अलावा पालघर जिले के किसानों ने भी इसमें शामिल हुए।अनुमान है कि यह संख्या बढ़कर 30 हजार हो गई है।
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