मुंबईरा: राज्य के सरकारी कर्मचारी अनिश्चितकालीन हड़ताल पर हैं, लेकिन पुरानी पेंशन लागू करने में ढिलमुल रवैया अपना रही है। शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) के पक्षप्रमुख उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) ने ईडी सरकार पर कल तंज कसते हुए सवाल उठाया कि पुरानी पेंशन योजना को लेकर हड़ताल पर क्यों चले गए हैं। शिंदे – फडणवीस सरकार के पीछे दिल्ली में ताकतवर लोग बैठे हैं। उनके पीछे महाशक्ति है, फिर इस पुरानी पेशन योजना को लागू करने में क्या दिक्कत आ रही है। उन्होंने कहा कि महाविकास आघाड़ी की एकता बनी ही रहनी चाहिए। क्योंकि भविष्य में हम साथ मिलकर नहीं लड़े तो देश में तानाशाही आ जाएगी। महाविकास आघाड़ी की वज्रमुट्ठी देशी की तानाशाही के चिथड़े उड़ाए बगैर नहीं रहेगी। ऐसा जबरदस्त आत्मविश्वास शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) पक्षप्रमुख उद्धव ठाकरे ने कल व्यक्त किया।
यशवंतराव चव्हाण प्रतिष्ठान में महाविकास आघाड़ी की कल बैठक हुई। इसमें शिवसेना, राकांपा और कांग्रेस पार्टी के नेता, प्रमुख पदाधिकारी और कार्यकर्ता शामिल थे। बैठक को संबोधित करते हुए उद्धव ठाकरे ने कहा कि हम न रहें तो भी चलेगा लेकिन देश का लोकतंत्र जिंदा रहना चाहिए। यह सभी को ठान लेना चाहिए। ईडी सरकार के बजट पर पंचामृत बजट पर निशाना साधते हुए उद्धव ठाकरे ने कहा कि राज्य सरकार कहती है कि वह आम लोगों के हितों को लेकर फैसला ले रही है। फिर नासिक से किसानों का मार्च मुंबई क्यों आ रहा है। यह दुखद है कि किसानों को अपनी बात कहने के लिए कड़ी धूप का सामना करते हुए मुंबई आना पड़ रहा है। युवासेना प्रमुख आदित्य ठाकरे ने किसानों से मुलाकात की है लेकिन अब तक राज्य सरकार की तरफ से कोई भी मंत्री किसानों से बात करने नहीं गया। शिवसेना को धोखा देनेवाले गद्दारों पर हमला बोलते हुए उद्धव ठाकरे ने इस्तेमाल करो और फेंक दो की भाजपा की इस नीति पर तीखे तंज कसे। इस बैठक में राज्य के कोने-कोने से जिलाप्रमुख व पदाधिकारी शामिल हुए थे। उद्धव ठाकरे ने आव्हान किया कि चुनाव में टिकट नहीं मिला तो भी चलेगा, इस दृढ़ संकल्प के साथ लड़ाई के लिए तैयार रहो। नहीं तो तानाशाही हावी हो जाएगी। ग्राम पंचायत हो या सोसायटी का चुनाव, हमारी पार्टी के हिस्से कुछ भी न आए तो भी चलेगा, शपथ लें कि आप भाजपा या मिंधे गुट से गठबंधन नहीं करेंगे। उन्होंने यह कहते हुए महाविकास आघाड़ी की कार्यकर्ताओं का उत्साह बढ़ाया कि यह लड़ाई केवल शिवसेना की नहीं बल्कि हम सबकी है। हमें पूरी मजबूती के साथ चुनाव का सामना करना है और एकसाथ रहकर अपनी ताकत दिखा देनी है।
छत्रपति शिवाजी महाराज के जयकारों से गूंजा हॉल
जैसे ही उद्धव ठाकरे मार्गदर्शन के लिए खड़े हुए, हॉल छत्रपति शिवाजी महाराज की जय के नारों से गूंज उठा। उद्धव ठाकरे ने कहा कि छत्रपति शिवाजी महाराज की जय का नारा केवल उत्साह पैदा करने के लिए नहीं होना चाहिए, बल्कि छत्रपति शिवाजी महाराज के कार्यों से प्रेरणा लेकर हममें वैसा करने की ताकत होनी चाहिए। जैसे ही उन्होंने पूछा कि क्या आप में वह ताकत है, हॉल फिर से नारों से गूंज उठा। उद्धव ठाकरे ने कहा कि मुझ पर हमेशा घर बैठे सरकार चलाने का आरोप लगाया जाता है। लेकिन मुझे इसमें कुछ भी गलत नजर नहीं आता। क्योंकि वह स्थिति ही एेसी थी। जो मैं घर बैठे कर सका, वह मिंधे-गद्दार सूरत, गुवाहाटी, दिल्ली जाकर भी नहीं कर सकते। उन्होंने ईडी सरकार को चुनौती दी कि मनपा और विधान सभा चुनाव कराने से सरकार कतरा क्यों रही है।
भाजपा में शामिल हो या जेल जाओ !
शामिल हो या फिर अंदर जाओ, या तो भाजपा में प्रवेश करो, या जेल जाओ, इन शब्दों में भाजपा की खिल्ली उड़ाते ही पूरा हॉल ठहाकों से गूंज उठा। उद्धव ठाकरे ने आगे कहा कि् मंदिरों को नष्ट करते और गरीब का संसार उजाड़ते स्वराज में आया, उस अफजल खान का महाराज ने क्या किया, छत्रपति शिवाजी महाराज देख रहे हैं कि क्या वैसी ताकत और शक्ति हमारे पास है।
न्याय देवी के आंखों पर पट्टी है, फिर भी चीरहरण नहीं होगा
सत्ता संघर्ष के मामले में उद्वव ठाकरे ने कहा कि हमें भगवान और न्याय की देवी पर भरोसा है। लोकतंत्र के चार में से तीन स्तंभों ध्वस्त हो गए है। उनमें से एक मीडिया है। व्हाट्सएप पर कुछ अच्छी चीजें भी होती हैं। व्हाट्सएप पर कुछ अच्छी चीजें आती हैं। पत्रकारों के हाथ में कलम होनी चाहिए, लेकिन इन दिनों उनके हाथों में कमल है। म और ल यहां और वहां हो गए हैं। उन्होंने यह भी विश्वास व्यक्त किया कि ऐसी स्थिति में सर्वोच्च न्यायालय ही आशा की एकमात्र किरण है। न्यायदेवता की आंखों पर पट्टी अलग है और धृतराष्ट्र का चीरहरण अलग है। इसलिए मुझे यकीन है कि अगर न्याय की देवी की आंखों पर पट्टी है फिर भी अब देश में चीरहरण नहीं होगा।
मुफ़्ती महबूबा के साथ भाजपा ने क्यों बनाई सरकार
विधान भवन में मीडिया से बातचीत करते हुए उद्धव ठाकरे ने कहा कि भाजपा पर तंज कसते हुए कहा कि कहते हैं, शिवसेना ने हिंदुत्व को छोड़ दिया है। लेकिन भाजपा ने जब रथयात्रा शुरू की थी तो उनके पास सिर्फ दो सांसद थे। इसके बावजूद शिवसेना ने भाजपा का समर्थन किया था। जब सरकार के गठन की बात आई तो भाजपा के सहयोगी दलों ने धर्मनिरपेक्षता के नाम पर बतौर प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी का विरोध किया था। इसके बाद अटल बिहारी वाजपेयी प्रधानमंत्री बने। भाजपा को बताना चाहिए कि हिंदुत्व का साथ किसने छोड़ा। जम्मू कश्मीर में मुफ़्ती महबूबा के साथ भाजपा ने सरकार क्यों बनाई।
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