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‘मेड इन इंडिया’ सीएआर टी-सेल प्रोग्राम अपोलोने शुरू किया

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3 रोगियों में सीएआर टी-सेल थेरेपी को सफलतापूर्वक पूरा करने वाला नवी मुंबईका पहला अस्पताल
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नवी मुंबई। एक अभूतपूर्व विकास में, अपोलो कैंसर सेंटर (ACCs) 3 रोगियों में सीएआर टी-सेल थेरेपी को सफलतापूर्वक पूरा करने तथा इसे और आगे बढ़ाने के लिए भारत के पहले निजी हॉस्पिटल ग्रुप के रूप में उभरा है। ग्रुप अब 15 वर्ष और उससे अधिक आयु के रोगियों में बी-सेल लिम्फोमा और बी-एक्यूट लिम्फोब्लास्टिक ल्यूकेमिया के उपचार के लिए NexCAR19™ (एक्टालिकैब्टाजीन ऑटोल्यूसेल) से शुरुआत करते हुए ‘मेड इन इंडिया’ सीएआर टी-सेल थेरेपी तक पहुँच प्रदान करेगा।
अक्सर ‘लिविंग ड्रग्स’ के रूप में जानी जाने वाली सीएआर टी-सेल थेरेपी में एफेरेसिस (Aapheresis) नामक प्रक्रिया के माध्यम से रोगी की टी-कोशिकाओं (एक प्रकार की श्वेत रक्त कोशिकाएं जिनका कार्य कैंसर कोशिकाओं से लड़ना है) को निकालना शामिल होता है। फिर इन टी-कोशिकाओं को एक नियंत्रित प्रयोगशाला सेटिंग में एक सुरक्षित व्हीकल (वायरल वेक्टर) द्वारा जेनेटिकली मॉडिफाइड किया जाता है, ताकि उनकी सतह पर मॉडिफाइड कनेक्टर्स को विकसित किया जा सके जिन्हें चिमेरिक एंटीजन रिसेप्टर्स (CARs) कहा जाता है। ये सीएआर विशेष रूप से उस प्रोटीन की पहचान करने के लिए डिज़ाइन किए जाते हैं जो कुछ कैंसर कोशिकाओं पर असामान्य रूप से विकसित होता है। फिर उन्हें वांछित डोज तक बढ़ाया जाता है और सीधे रोगी को दिया जाता है। सीएआर टी-सेल थेरेपी ने चुनौतीपूर्ण बी-सेल असाध्यताओं वाले रोगियों के जीवन को बदलने में अपनी अद्वितीय सफलता के लिए वैश्विक पहचान प्राप्त की है। उपलब्ध आँकड़ों के अनुसार, दुनिया भर में लगभग 25,000 रोगी इस थेरेपी से लाभान्वित हुए हैं।
डॉ. पुनित जैन, कंसलटेंट – हेमेटोलॉजी, एसीसी नवी मुंबई, ने कहा,”व्यावसायिक स्तर पर सीएआर टी-सेल थेरेपी का उपयोग करके 3 रोगियों का सफल उपचार, बी-सेल लिम्फोमा और एक्यूट लिम्फोब्लास्टिक ल्यूकेमिया के खिलाफ हमारी लड़ाई में एक महत्वपूर्ण छलांग का निरूपण करता है। ये मामले इन चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों का सामना कर रहे रोगियों के लिए नई आशा प्रदान करने में इस परिवर्तनकारी थेरेपी की प्रभावकारिता और क्षमता को उजागर करते हैं।”
डॉ.विपिन खंडेलवाल, कंसलटेंट पेडियाट्रिक हेमाटो ऑन्कोलॉजी, एसीसी नवी मुंबई ने कहा,“सीएआर टी-सेल थेरेपी का सफल कार्यान्वयन भारत में कैंसर उपचार की प्रगति में एक महत्वपूर्ण क्षण का निरूपण करता है। इस क्रांतिकारी थेरेपी से रोगियों का उपचार करना चुनौतीपूर्ण बी-सेल असाध्यताओं का उपचार करने में इस परिवर्तनकारी थेरेपी की क्षमता और प्रभावकारिता को प्रदर्शित करता है। यह मील का पत्थर कैंसर के खिलाफ हमारी लड़ाई में एक नए अध्याय का प्रतीक है, जो इन स्थितियों से जूझ रहे लोगों को नई आशा और संभावनाएं प्रदान करता है।
अपोलो हॉस्पिटल्स के पश्चिमी क्षेत्र के रीजनल सीईओ संतोष मराठे ने कहा, “एक अग्रणी यात्रा शुरू करते हुए, अपोलो कैंसर सेंटर्स ने कैंसर उपचार के क्षेत्र में एक उल्लेखनीय उपलब्धि हासिल की है। सफल उपचार के साथ, सीएआर टी-सेल थेरेपी को आगे बढ़ाने की हमारी प्रतिबद्धता अटूट है। इस परिवर्तनकारी थेरेपी से 3 रोगियों में सफलता हासिल करने वाला भारत का पहला निजी हॉस्पिटल होने के नाते हमने एक नया मानदंड स्थापित किया गया है, जो अभूतपूर्व हेल्थकेयर के प्रति हमारे समर्पण को मजबूत करता है। स्वदेशी रूप से निर्मित सीएआर टी-सेल थेरेपी – NexCAR19, सुलभ और प्रभावी समाधानों के लिए हमारी प्रतिबद्धता को दर्शाती है। अपोलो कैंसर सेंटर सिर्फ कहानी नहीं बदल रहा है। हम पूरे भारत और उसके बाहर कैंसर रोगियों के लिए बेहतर उपचार परिणाम देने की संभावनाओं को नया रूप दे रहे हैं।”
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