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प्रत्येक मामले के लिए कोर्ट में जाना पड़ता है मैदान के लिए भी कोर्ट में जाना पड़ता है

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प्रत्येक मामले के लिए कोर्ट (court) में जाना पड़ता है। मैदान के लिए कोर्ट में जाओ! उम्मीदवारी के लिए कोर्ट में जाओ। अरे हिम्मत हो तो मैदान में आओ न। मैं तैयर हूं। मैं अब मैदान में उतर गया हूँ। आमने-सामने होने दो। हो जाने दो जो होगा, ऐसी खुली चुनौती शिवसेना पक्षप्रमुख उद्धव ठाकरे ने कल भाजपा और गद्दार एकनाथ शिंदे गुट को दी। उन्होंने तीखे तेवर में कहा कि ‘ शिवसेना को कैसे मैदान मिलेगा, इस पर ध्यान देने की अपेक्षा एक साथ मैदान में आओ, फिर दिखाते हैं।
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राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के नेता छगन भुजबल के 75 वें जन्मदिन पर अमृत महोत्सव समारोह माटुंगा स्थित षणमुखानंद सभागृह में आयोजित हुआ। इस मौके पर उद्धव ठाकरे ने भाजपा और मिंधे गुट की खबर ली। शिवसेना का जन्म ही केवल लड़ाई लड़ने के लिए हुआ है। शिवसेना को रोज झटके लगते रहते हैं लेकिन हम हिम्मत से उसका सामना करते हैं। उद्धव ठाकरे ने यह भी कहा कि शिवसेना अब झटका प्रूफ हो गई है।
भुजबल शिवसेना में होते तो मुख्यमंत्री होते 
उद्धव ठाकरे ने इस दौरान छगन भुजबल को शुभेच्छा देते हुए पुरानी यादों पर रोशनी डाली। उन्होंने कहा कि अजित पवार ने बोला कि ‘4 महीने और सत्ता होती तो छगन भुजबल मुख्यमंत्री हुए होते’। लेकिन मैं कहता हूं कि ‘छगन भुजबल ने शिवसेना नहीं छोड़ी होती तो वह इससे पहले ही मुख्यमंत्री हुए होते हैं’। ‘ भुजबल ने शिवसेना छोड़ी वह हमारे लिए सबसे बड़ा झटका था। इससे उबरने में बहुत समय लगा, लेकिन भुजबल ने बालासाहेब के रहते ही सभी मतभेदों को मिटा दिया, यह बहुत अच्छी बात उन्होंने की। उस समय मां साहेब होती तो और अच्छा हुआ होता।’ ऐसा उद्धव ठाकरे ने कहा। उन्होंने यह भी कहा कि शिवसेना छोड़ते समय भुजबल अकेले गए, लेकिन महाविकास आघाडी की स्थापना के समय उन्होंने राष्ट्रवादी कांग्रेस और कांग्रेस को एक साथ लाया।
मैं लड़ाई की प्रतीक्षा कर रहा हूं
जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारुख अब्दुल्ला भी इस समारोह में उपस्थित थे। उद्धव ठाकरे ने इस दौरान फारुख अब्दुल्ला और हिंदूह्रदयसम्राट शिवसेनाप्रमुख बालासाहब ठाकरे की मित्रता की यादों को तरोताजा कर दिया। उन्होंने कहा कि फारुख अब्दुल्ला और बालासाहेब की अच्छी मित्रता थी। उन्होंने आते ही मुझसे कहा कि बिल्कुल मत घबराओ, पिता की तरह लड़ो। यह लड़ाई हम नहीं छोड़ेंगे। इस तरह का दृढ़ संकल्प व्यक्त करते हुए उद्धव ठाकरे ने आगे कहा कि भुजबल का यहां तूफान के रूप में उल्लेख हुआ। ऐसे अनेकों तूफानों का शिवसेना ने डटकर मुकाबला किया है, क्योंकि ऐसे कई तूफान उस समय शिवसेना के साथ थे। अभी भी कांग्रेस और राकांपा जैसे तूफान शिवसेना के साथ हैं। तूफान को पैदा करने वाले शरद पवार साथ हैं। तूफान हो या बारिश हो बिना डगमगाए खड़े रहने वाले के साथ रहते हुए मैं तो लड़ाई के क्षण की ही प्रतीक्षा कर रहा हूं, ऐसा उद्धव ठाकरे ने कहा। इस पर सभागार तालियों और नारेबाजी से गूंज उठा।
सभी का ही उम्र बढ़ते रहता है। बालासाहेब हमेशा कहते थे कि व्यक्ति उम्र से बड़ा होते रहता है, लेकिन जिस पर वह विचारों से थक जाता है, उसी समय वह वृद्ध हो जाता है। छगन भुजबल हो, फारुख अब्दुल्ला हो अथवा शरद पवार हो ये तरुण मन के व्यक्ति हैं। उद्धव ठाकरे ने कहा कि केवल मन तरुण हो यह नहीं चलता, बल्कि आपके मन में एक जिद और ईष्या भी रखनी पड़ती है।
यह देश के स्वतंत्रता की दूसरी लड़ाई
एक नए समीकरण को हमने महाराष्ट्र में पैदा किया महाविकास आघाडी। यह समीकरण जुड़ने के बाद विरोधियों के पेट में दर्द उठने लगा। सरकार गिराए, लेकिन और कितने निचले स्तर पर जाएंगे? ऐसा सवाल विरोधियों से करते समय उद्धव ठाकरे ने, यह लड़ाई अकेले शिवसेना कि नहीं, बल्कि देश की स्वतंत्रता की दूसरी लड़ाई है। केवल निशानी नहीं तो विचारों की धधकती मशाल लेकर तैयार हों, ऐसा जबरदस्त आह्वान उपस्थित राष्ट्रवादी कांग्रेस और कांग्रेस के कार्यकर्ताओं से इस दौरान किया। उद्धव ठाकरे के बोलते समय उद्धव साहेब आगे बढ़ो की नारेबाजी हुई। उस समय उद्धव ठाकरे ने कहा कि केवल नेता का जय जयकार कर नहीं चलेगा। भुजबल साहेब आगे बढ़ो… पवार साहेब आगे बढ़ो…की केवल घोषणाएं देने से चलेगा। साथ आएंगे क्या? ऐसा सवाल सभागृह में मौजूद कार्यकर्ताओं से किया। उस समय उपस्थित कार्यकर्ताओं ने एक सुर में हां का प्रतिसाद दिया।
पहले विधानसभा का कद अलग था, अब कौन क्या कहता है इसकी कोई सीमा नहीं!
इससे पहले विधानसभा का कद अलग था, यह सिर्फ मंजिल नहीं था, एफएसआई नहीं था, बल्कि एक वैचारिक एफएसआई अधिक था। मैं खुद एक-दो बार वहां की गैलरी से केशवराव धोंडगे का भाषण सुन चुका हूं। विधानसभा में छगन भुजबल, उससे पहले वामनराव महाडिक ये शिवसेना के एकमात्र विधायक थे। वसंतराव नाईक उस समय मुख्यमंत्री थे। उन्होंने शिवसेनाप्रमुख से कहा, बालासाहेब आपने किस व्यक्ति को विधानसभा में भेजा है, एक व्यक्ति को आपने भेजा है, लेकिन जब वह बोलने के लिए खड़ा होता है, तो पूरा सभागृह स्तब्ध उनका भाषण सुनता है। आजकल कौन क्या-क्या बोलता है, कौन क्या कहता है, इस पर कोई पाबंदी नहीं है। उद्धव ठाकरे ने इस तरह का खेद भी व्यक्त किया।
विचारों से राजनीति करने की जरूरत
लगातार और लगातार राजनीति करने का विचार करने की अपेक्षा विचारों से राजनीति करने की कितनी जरूरत है इसका ही कोई विचार नहीं करता है, ऐसे शब्दों में विरोधियों को सुनाते हुए, मुझे चाहिए… सभी चाहिए… प्रतिद्वंदी बचे नहीं रहने चाहिए… ऐसे शब्दों में उद्धव ठाकरे ने भाजपा पर तंज कसा।
नियति के मन में मर्द लोगों के हाथों मशाल देने की इच्छा होगी!
‘छगन भुजबल 75वां  साल पूरे कर रहे हैं और संयोग से देश भी आजादी के 75 साल पूरे कर रहा है। तीन साल पहले अक्टूबर में अगर किसी ने मुझसे कहा होता कि भुजबल के 75वें पर मुझे बुलाया जाएगा और हम सब एक ही मंच पर होंगे, तो किसी ने विश्वास नहीं किया होता, यह कहते हुए की यह नियति के मन में क्या होता है इसका पता किसी को नहीं होता। कदाचित उसके मन में यही होगा अब वास्तव में  मर्दों के हाथ में मशाल देने की आवश्यकता है। ऐसा उद्धव ठाकरे के कहते ही सभागार तालियों से गूंज उठा।
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