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KEM में होगा अग्नाशय प्रत्यारोपण

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मुंबई । मुंबई मनपा के प्रमुख अस्पतालों में से एक केईएम अस्पताल अब अंग प्रत्यारोपण के क्षेत्र में एक बड़ी छलांग लगाने की योजना बना रही है। अस्पताल ने मानव शरीर में इंसुलिन का उत्पादन करने वाले एक महत्वपूर्ण घटक अग्नाशय प्रत्यारोपण के लिए स्वास्थ्य सेवा निदेशालय (डीएचएस) को एक प्रस्ताव भेजकर अनुमति मांगा है। अस्पताल को यदि अनुमति मिल जाती है तो यह मधुमेह रोगियों के लिए रामबाण साबित होगा।
मनपा के प्रमुख अस्पतालों में शामिल केईएम, नायर और सायन अस्पताल में डॉक्टर कार्डियक, न्यूरोलॉजी, ईएनटी, ऑर्थोपेडिक, हाथ, लीवर और किडनी प्रत्यारोपण जैसी सर्जरी करते हैं। इसमें अग्नाशय ट्रांसप्लांट के लिए कई लोग वेटिंग लिस्ट में हैं। इसलिए अस्पताल अग्नाशय प्रत्यारोपण की योजना बना रहा है। इसके तहत अनुमति के लिए एक प्रस्ताव भेजा गया है। यदि सभी काम समय पर होते हैं तो अग्नाशय प्रत्यारोपण की प्रतीक्षा कर रहे रोगियों को बहुत राहत मिलेगी।

केईएम में होता है लिवर और किडनी प्रत्यारोपण

मनपा के केईएम अस्पताल में लिवर और किडनी प्रत्यारोपण के लिए सर्जरी की जाती है।यहां विशेषज्ञ चिकित्सक लाखों मरीजों को नया जीवन दे चुके हैं। इससे लोगों का मनपा अस्पतालों पर विश्वास बढ़ा है। ऐसे में यदि अग्नाशय प्रत्यारोपण की अनुमति मिलती है तो यह मधुमेह रोगियों के लिए वरदान साबित होगा। फिलहाल वर्तमान में अग्नाशय प्रत्यारोपण पर निजी अस्पतालों में 20 लाख रुपये से अधिक खर्च करने पड़ते हैं। यह सुविधा यदि केईएम अस्पताल में शुरू होता है तो गरीबों को इसका लाभ मिलेगा।

प्रशिक्षित चिकित्सकों की है आवश्यकता

मनपा के अतिरिक्त आयुक्त सुरेश काकाणी के मुताबिक अस्पताल को पहले से ही किडनी, लिवर और हाथ प्रत्यारोपण की अनुमति मिली हुई है। यहां प्रत्यारोपण को लेकर जरूरी सभी सुविधाएं उपलब्ध हैं। ऐसे में यहां अग्नाशय प्रत्यारोपण आसानी से किया जा सकेगा। हालांकि इसके लिए प्रशिक्षित चिकित्सकों की देखरेख की जरूरत है, जो शवों के अंगों को निकाल सकता है। इसके लिए नए शव पुनर्प्राप्ती ऑपरेशन थियेटर को शुरू किया गया है। इसके लिए चिकित्सकोंअब केईएम अग्नाशय प्रत्यारोपण को प्रशिक्षित किया जाएगा।

प्रतीक्षा सूची में 14 मरीज

क्षेत्रीय प्रत्यारोपण समन्वय समिति के मुताबिक मुंबई में अग्नाशय और किडनी ट्रांसप्लांट के लिए फिलहाल कुल 14 मरीज वेटिंग लिस्ट में हैं। यदि केईएम अस्पताल में यह सुविधा शुरू की जाती है तो ऐसे मरीज इसका लाभ उठा सकेंगे। अग्नाशय प्रत्यारोपण के रोगियों की जीवित रहने की दर पहले वर्ष में 95 फीसदी और पांच वर्षों में 88 से अधिक है।

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