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Artificial Intelligence (AI): पढ़ाई होगी आसान, AI गुणों की खान

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    आज से दशकों पूर्व रात के समय बिस्तर पर नींद के बहाने अपनी दादी-नानी से चंदामामा की लोरियाँ और कहानियाँ  (Chandamama’s lullabies and stories from grandmothers)सुनकर हम जिज्ञासा और रोमांच से भर जाते थे। उस समय शायद किसी ने नहीं सोचा होगा कि एक दिन ऐसा आएगा कि चंदामामा दूर के नहीं रह जाएँगे और हम खुद उनसे मिलने उनके घर पहुँच जाएँगे। आज त्रेतायुग का पुष्पक विमान हवाई जहाज के रूप में हमारी सवारी बन गया है। द्वापरयुग में जो शक्ति ब्रह्मास्त्र में थी, वह हमारे अणु-परमाणु बम में समा गई है। शब्दभेदी और मन की गति से चलने वाले राजा दशरथ के तुनीर के बाण अब हमारी टार्गेटेड मिसाइलों ने ले ली है। इंटरनेट और वीडियो कॉलिंग की मदद से हम संजय की दिव्यदृष्टि से भी आगे निकल गए हैं। यह कोई चमत्कार नहीं, बल्कि विज्ञान की देन है। स्वास्थ्य, सुरक्षा, यातायात, संचार लगभग हर क्षेत्र में हम विज्ञान के आशीर्वाद से लगातार प्रगति कर रहे हैं, खासकर आर्टिफीशियल इंटिलिजेंस (AI) के आविष्कार ने एक नए दौर की शुरुआत कर दी है। इसका प्रयोग हर क्षेत्र में धड़ल्ले से हो रहा है और इसके नतीजे भी बहुत सकारात्मक और सटीक मिल रहे हैं।

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क्या है AI
आर्टिफीशियल इंटिलिजेंस का जनक जॉन मैकार्थी को कहा जाता है। आर्टिफीशियल इंटिलिजेंस का अर्थ है कृत्रिम बुद्धि। यह एक मानवनिर्मित मशीन है जिसमें कुछ हद तक सोचने-समझने की क्षमता है। उदाहरण के लिए यदि हम कंप्यूटर के माध्यम से कोई प्रश्न पूछते हैं, तो AI के पास उस प्रश्न से जुड़ी जो जानकारी होगी, उसे वह कंप्यूटर की स्क्रीन पर दिखाएगा। इसी तरह अन्य क्षेत्रों में भी जब AI से लैश मशीन को कोई आदेश दिया जाएगा, तो वह अपनी जानकारी के आधार पर कार्य करता है।

AI की धूम
शिक्षा क्षेत्र में भी विज्ञान ने जो क्रांति लाई है, वह किसी से छिपी नहीं है। कोरोना के दौरान विज्ञान ने दिखा दिया कि तकनीक का प्रयोग कर घर बैठे भी अध्ययन-अध्यापन किया जा सकता है। ऐसा नहीं है कि यह तकनीक पहले नहीं थी, लेकिन इसका प्रयोग और प्रभाव कोरोना काल में समझा गया। हमारे देश में तो कम ही, लेकिन विदेशों में यह तकनीक काफी समय पहले से प्रयोग में लाई जा चुकी है। यह कहना गलत नहीं होगा कि शिक्षा में तकनीक के प्रयोग के मामले में हम अब भी विदेश से पिछड़े हुए हैं। इसका सबसे बड़ा उदाहरण आर्टिफीशियल इंटिलीजेंस (AI) है। आज हमारे देश में जो यह AI का नया शगूफा सुनने को मिल रहा है, यह विदेशों में दशकों पूर्व से उपयोग में लाया जा रहा है। इसने शिक्षा को एक नया मानक दिया है। नई और कठिन चीजों को यूँ चुटकियों में बड़ी सरलता से इस तकनीक के माध्यम से समझा और समझाया जा रहा है।

शिक्षा में आधुनिकता की कमी
किसी भी देश का भविष्य उसके युवाओं के हाथ में होता है, यह जुमला हम सदियों से सुनते-सुनाते चले आ रहे हैं, लेकिन यदि सही मायने में देश के भविष्य को सशक्त बनाना है, तो शिक्षा का आधुनिकीकरण करना अनिवार्य है। आज समय वर्चुअल क्लासरूम का है, लेकिन शिक्षा की मूलभूत आवश्यकताएँ भी पूरी नहीं हो पा रही हैं। कई विद्यालयों में कंप्यूटर व विज्ञान की अच्छी प्रयोगशालाएँ तक नहीं हैं। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि विद्यार्थियों की शिक्षा की गुणवत्ता पर क्या असर हो रहा है।

AI के लाभ
आर्टीफीशियल इंटिलीजेंस एक तकनीकी शिक्षक की भाँति विद्यार्थी की मदद के लिए सदैव तत्पर रहता है। इसका प्रयोग विद्यार्थी पढ़ाई में अपने ढंग से कर सकते हैं। एआई तकनीक की कई विशेषताएँ हैं, जैसे- हर समय उपलब्ध होना, चीजों को मनचाहे ढंग से स्पष्ट करना, क्षमता व आवश्यकता के अनुसार पढ़ना-पढ़ाना, सवालों का जवाब देना, कठिन चीजों को मनचाही आसान भाषा में प्रस्तुत करना, प्रोजेक्ट्स बनाने में सहायता करना जैसे अनेक कार्य इसकी मदद से आसानी से किए जा सकते हैं।

AI से बढ़ेगी शिक्षा की गुणवत्ता

टार्गेट पब्लिकेशंस की मैनेजिंग डायरेक्टर डॉ. कल्पना गंगारमानी
ने बताया कि इतिहास गवाह है, जो बदलाव की बयार में नहीं बहा, उसका अस्तित्व खत्म हो गया। पढ़ाई की पारंपरिक पद्धति में कोई कमी नहीं थी, लेकिन समय के साथ बदलाव आवश्यक है। शिक्षा की गुणवत्ता को बढ़ाना यह आज शिक्षा विभाग का प्रमुख उद्देश्य होना चाहिए। 2020 की नई शिक्षा नीति को लागू करने की तैयारी से लेकर कक्षा 5वीं और 8वीं के कमजोर विद्यार्थियों को अनुत्तीर्ण करने का फैसला यह दर्शाता है कि बदलाव की बयार बहने लगी है। लेकिन इन छोटे-मोटे बदलावों के साथ ही तकनीकी शिक्षा के प्रयोग पर बल नहीं दिया गया, तो लाभ नहीं होगा। आज कृषि के साथ ही आर्टिफीशियल इंटीलीजेंस को विशेष तौर पर पाठ्यक्रम में शामिल किए जाने की आवश्यकता है। इससे शिक्षा के क्षेत्र में जो नई क्रांति देखने को मिलेगी वह दूरगामी सकारात्मक परिणाम देगी।

AI को पाठ्यक्रम में करें शामिल

पेशे से अध्यापक संजय ने बताया कि आर्टिफीशियल इंटिलिजेंस समय की माँग है। बच्चों को शुरुआती कक्षाओं से इसकी शिक्षा दी जानी चाहिए। इससे न केवल उनके मस्तिष्क का विकास होगा, बल्कि शिक्षा की गुणवत्ता भी बढ़ेगी। जिस तरह कंप्यूटर और कृषि को शामिल किया है, उसी प्रकार AI को भी पाठ्यक्रम में शामिल किया जाना आवश्यक है। वही अध्यापिका करुणा ने बताया कि AI का प्रयोग हर क्षेत्र में तेजी से किया जा रहा है। शिक्षा में भी इसका प्रयोग कर उसकी गुणवत्ता को और बढ़ाया जा सकता है। आज समय के साथ कदम-से-कदम मिलाकर चलना है, तो शिक्षा के क्षेत्र में खुले दिल से तकनीकी बदलावों का स्वागत करना होगा।

विद्यार्थियों को होगा बहुत लाभ

पेशे से लेखक अनुज यादव ने बताया कि AI के माध्यम से शिक्षा के क्षेत्र में बहुत सकारात्मक बदलाव देखने को मिल सकते हैं। यह विद्यार्थियों के लिए किसी वरदान से कम नहीं है। इससे शिक्षक व विद्यार्थी दोनों को लाभ होगा। शुरुआती कक्षाओं से तकनीक का प्रयोग करने से विद्यार्थी तकनीकी रूप से सक्षम होंगे और भविष्य में उन्हें इसका लाभ मिलेगा।

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