Joindia
कल्याणठाणेदेश-दुनियानवीमुंबईमुंबईसिटी

Aadhar card से मिला मासूम को आधार! , तड़प रहे थे मां-बाप को मिला उनका लाल

मुंबई। आधुनिक युग में तकनीकी ने अच्छाई में फिर एक बार नई मिसाल कायम की है। आधारकार्ड (aadhar card) मां-बाप और बेटे के लिए आधार (aadhar) बना है। एक तरफ अपने जिगर के टुकड़े के लिए मां-बाप तड़प रहे थे तो दूसरी ओर बेटा गुमशुदगी का दंश झेल रहा था। फिलहाल तकनीकी ने मां-बाप और बेटे को मिलाकर उनके चेहरों पर खुशियां ला दी हैं।

मामला ठाणे के मेंटल हॉस्पिटल से जुड़ा हुआ है। मनोरोगियों की पहचान, सहायता और पुनर्वास के लिए अस्पताल की ओर ठाणे के कपूरबावड़ी स्थित आधार कार्ड (यूआईडीएआई) के सहयोग से एक अभियान चलाया गया था। इस अभियान में मनोरोगियों के आधार कार्ड के लिए फिंगर प्रिंट लिए गए। इसमें पता चला कि एक 20 वर्षीय लड़के का आधार कार्ड पहले से बना हुआ है। कपूरबावड़ी आधारकार्ड केंद्र के प्रभारी कैप्टन चंद्रदेव यादव ने आधारकार्ड नंबर पर दर्ज पते और फोन नंबर से परिजनों को ढूंढा और उस लड़के से अस्पताल में मुलाकात कराई। पिता- पुत्र मिलते ही दोनों भावुक हो गए और गले मिलकर रोने लगे। दरअसल अस्पताल की ओर से ठाणे के कपूरबावड़ी स्थित आधार कार्ड (यूआईडीएआई) से सहयोग मांगा गया था। आधारकार्ड केंद्र के प्रभारी कैप्टन यादव की टीम के सहयोग से इसे पूरा करने काम हाथ में लिया गया। क्योंकि किसी मनोरोगी के हमले की आशंका के बीच अनुमति प्राप्त करना बेहद कठिन कार्य था। आखिरकार टीम सभी नियमों को पूर कर यह काम करने में सफल रही।

MUMBAI : फ्रांसीसी और भारतीय नौसेना ने दिखाया अपने युद्ध कौशल का जलवा

परिवार में आई खुशियां

मुंब्रा के सैनिक नगर में रहनेवाला सारिक शेख एक साल पहले लापता हो गया था। पिता समसुद्दीन ने बेटे को बहुत ढूंढा लेकिन उसका पता नहीं चला। समसुद्दीन बताते हैं कि उनका बेटा थोड़ा ‌मतिमंद है। लेकिन घर में हर काम में हाथ बटाता था। मिलने के बाद सारिक ने बताया कि भटकते-भटकते नासिक जा पहुंचा, इसके बाद पता नहीं कैसे ठाणे मेंटल हॉस्पिटल पहुंचा। बेटे की उम्मीद छोड़ चुकी मां जिसका रोज रो-रोकर बुरा हाल था, वह भी अब खुश है। घर पहुंचते ही सारिक ने आस-पास के लोगों को भी पहचान लिया है। वह भी खुश है। इसके लिए हम आधार कार्ड टीम और अस्पताल प्रबंधन का आभार मानते हैं।

MUMBAI : फ्रांसीसी और भारतीय नौसेना ने दिखाया अपने युद्ध कौशल का जलवा

‌तीन महीने पहले लाया गया था अस्पताल

अस्पताल की सुपरिटेंडेंट डॉ. नेताजी मुलिक के अनुसार इस तरह का मामला मनोरोग चिकित्सालय के इतिहास में पहली बार हुआ है, जिसमें आधारकार्ड विभाग द्वारा अज्ञात मरीज व परिजन से मुलाकात कराई गई है। अस्पताल ने सारी प्रक्रिया पूरी कर सारिक को उसके परिजनों को सौंप दिया है। ‌सारिक को तीन महीने पहले नवी मुंबई पुलिस द्वारा अस्पताल को सौंपा गया था।

प्रेम, सौंदर्य, प्रकृति और जीवन के विभिन्न विषयों पर अविस्मरणीय कविता संग्रह है आत्मशारदा

कुछ और परिजनों का पता लगाने का प्रयास जारी

आधार केंद्र के प्रभारी कैप्टन चंद्रजीत यादव बताते हैं कि क्षेत्रीय विभाग प्रमुख निदेशक ले. कर्नल मुलिक व वरिष्ठ अधिकारियों से इस काम में भरपूर सहयोग मिला। कुल 282 आधार कार्ड अप्लाई हुए जिसमें से 171 बन गए हैं, शेष प्रोसेस में हैं।‌ सारिक के परिजनों को ढूंढने में हमारी टीम सफल रही। कुछ और गुमशुदा मरीज हैं, जिनके परिवार वालों का पता लगाने का प्रयास हमारी टीम कर रही है।

Related posts

जांच में खुला जहरीले पटाखों की पोल, स्वास्थ के लिए खतरनाक , सरकार को लिखा पत्र

Deepak dubey

भारत के ‘भगोड़े’ का कतर में स्वागत, FIFA WC में ‘इस्लाम का प्रचार’

Deepak dubey

फर्जी कक्षा, स्कूल ही हुआ गायब!

vinu

Leave a Comment