मुंबई। हिंदुस्थान समेत पूरी दुनिया में ब्रेस्ट कैंसर के मामले बिगड़ते जा रहा है। मौजूदा जीवनशैली से यह जानलेवा बीमारी तेजी से बढ़ रही है। राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ब्रेस्ट कैंसर के मामलों के आंकड़ों पर नजर दौड़ाएं, तो हिंदुस्थान में हर 15 महिला में से एक महिला को ब्रेस्ट कैंसर है। वहीं वैश्विक आंकड़ों का आकलन करे तो, हर आठ में से एक महिला ब्रेस्ट कैंसर की शिकार है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक पश्चिमी देशों की बिगड़ी हुई लाइफस्टाइल की वजह से वैश्विक स्तर पर ब्रेस्ट कैंसर का आंकड़ा बढ़ा हुआ है। वहीं प्राकृतिक और पारंपरिक रूप से अच्छा खान-पान कहीं न कहीं पिछले कुछ सालों तक ब्रेस्ट कैंसर के मामले में हिंदुस्थान को पीछे रखे हुए था। लेकिन धीरे-धीरे हिंदुस्थान में भी ब्रेस्ट कैंसर के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। कैंसर रोग विशेषज्ञ डॉ. विष्णु अग्रवाल का कहना है कि ब्रेस्ट कैंसर के शुरुआती लक्षण ब्रेस्ट के अंदर गांठ होना है। अगर ब्रेस्ट में छोटी या बगल में गांठ है और यह धीरे-धीरे बढ़ रही है, या फिर किसी तरह का कोई रिसाव हो रहा है, तो महिलाओं को डॉक्टर को दिखाना चाहिए। उन्होंने बताया कि शुरुआत में ब्रेस्ट में होनेवाली गांठ में किसी भी तरह का दर्द नहीं होता है। साथ ही शुरुआती समय में यह एक सामान्य गांठ की तरह लगती है। इसीलिए कई बार महिलाएं इसे नजरअंदाज करती हैं। लेकिन जब यह धीरे-धीरे बढ़ती है और या फिर यह शरीर के दूसरे अंगों में फैलती है, तब इसमें दर्द शुरू होता है।
यह है ब्रेस्ट कैंसर का इलाज
डॉ. अग्रवाल का कहना है कि सबसे पहले मेडिकल जांचों के जरिए गांठ में मौजूद कोशिकाओं का पता लगाया जाता है और अगर इसमें कैंसर डिटेक्ट होता है, तो इसका इलाज सर्जरी, कीमोथेरेपी रेडिएशन या फिर इम्यूनोथेरेपी द्वारा किया जाता है। उन्होंने बताया कि कई मामलों में ब्रेस्ट कैंसर का इलाज संभव है और अगर जल्द डिटेक्ट कर लिया जाए, तो इसको पूरी तरह से ठीक भी किया जा सकता है।
अन्य विकल्पों का न करें प्रयोग
डॉक्टरों का कहना है कि ब्रेस्ट कैंसर में किसी अन्य विकल्पों पर प्रयोग करने से बचना चाहिए। खास तौर से समाज में फैली भ्रांतियों से बचना चाहिए। ब्रेस्ट कैंसर में अक्सर डॉक्टर सर्जरी के लिए सलाह देते हैं। इसके अलावा कीमोथेरेपी या फिर कुछ महिलाओं को रेडिएशन थेरेपी डॉक्टर द्वारा दी जाती है। किसी-किसी महिला को हार्मोनल थेरेपी का भी सुझाव दिया जाता है और यह सब निर्भर करता है कि ट्यूमर का क्या प्रकार है।
जीवन शैली बन रहा कारण
ब्रेस्ट कैंसर हो या फिर किसी भी तरह का कैंसर हो, उसमें जीवनशैली का बेहद महत्वपूर्ण किरदार होता है। महिलाओं की जीवनशैली में अल्कोहल, धूम्रपान, मोटापा और थायराइड जैसी बीमारियां ब्रेस्ट कैंसर को बढ़ावा दे सकती हैं। इसके अलावा बच्चों को स्तनपान न कराने, 35 की उम्र के बाद बच्चों को जन्म देना या फिर बच्चों को जन्म ही न देना इसका एक बड़ा कारण बन सकता है।
इस उम्र में दिखता है रोग
डॉक्टरों का कहना है कि पश्चिमी देशों में ब्रेस्ट कैंसर होने की संभावना 45 से 50 के बाद की महिलाओं में होती है, जबकि हिंदुस्थान में 35 से 40 उम्र की ज्यादा महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर देखने को मिलता है। इसके लिए सबसे जरूरी यह है कि महिला अपने स्वास्थ्य के प्रति जागरूक रहें।