केंद्र सरकार के ब्लड (blood price) और ब्लड कंपोनेंट (blood component price) के शुल्क बढ़ाने के निर्देश के चलते राज्य के सरकारी और निजी ब्लड बैंकों में ब्लड के रेट बढ़ा blood price hike) दिए गए हैं इससे सामान्य मरीजों का ब्लड प्रेशर बढ़ना निश्चित है। पेट्रोल, डीजल, सीएनजी और खाद्य तेल जैसी आवश्यक वस्तुओं के बाद अब जीवनदायिनी कहलाने वाला ‘खून भी महंगा’ हो गया है।
क्यों हुआ महंगा
ब्लड और रेड सेल्स यानी खून के कंपोनेंट्स महंगे होने वाले हैं। सरकारी ब्लड बैंक में एक बैग की कीमत 1050 रुपए होती थी, लेकिन अब इसकी कीमत 1100 रुपए हो गई है। वहीं निजी ब्लड बैंकों में एक बैग की कीमत 1 हजार 450 रुपये होती थी, लेकिन अब एक बैग के लिए 1 हजार 550 रुपये देने होंगे। इसका यह मतलब है कि प्रति ब्लड बैग के लिए 50 से 100 रुपए अधिक चार्ज किए जाएंगे। वर्तमान में प्रदेश में सरकारी ब्लड बैंकों की संख्या 76 है, जबकि निजी एवं ट्रस्ट के अधिकार क्षेत्र में ब्लड बैंकों की संख्या 287 है। सरकारी ब्लड बैंकों में अक्सर ब्लड नहीं मिल पाता है। इसलिए अधिकांश मरीजों को निजी ब्लड बैंकों पर निर्भर रहना पड़ता है।
प्रति ब्लड बैग की कीमत
निजी ब्लड बैंक में रक्त की पूर्व कीमत- 1 हजार 450 रुपये
-नये रक्त की कीमत 1 हजार 550 रुपये
– सरकारी ब्लड बैंक में पूर्व दरें 1 हजार 50 रुपए
नई दर 1 हजार 110रुपए
रक्त किनके लिए जरूरी है?
रक्त की आवश्यकता गंभीर दुर्घटना, प्रसव, हृदय शल्य चिकित्सा, थैलेसीमिया, हीमोफिलिया, रक्त कैंसर जैसे मरीजों को पड़ती है।
क्या है ब्लड कंपोनेंट
राज्य के लोगों को व्यवस्थित रूप से रक्त आपूर्ति हो और राष्ट्रीय रक्त अभियान के कार्यान्वयन के लिए राज्य में सरकारी और गैर-सरकारी ब्लड बैंकों के माध्यम से रक्त और रक्त घटक आपूर्ति के लिए सेवा शुल्क निर्धारित किया जाता है। अब केंद्र के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के महानिदेशक ने महाराष्ट्र के सरकारी और निजी ब्लड बैंकों में ब्लड और ब्लड कंपोनेंट्स की दरें बढ़ाने के निर्देश दिए हैं। तदनुसार, राज्य के सार्वजनिक स्वास्थ्य विभाग ने नई रक्त दरों की घोषणा की है।