[ad_1]
मुंबई7 दिन पहले
कॉपी लिंक
मलिक ने ईडी कार्यालय से बाहर आते हुए हाथ ऊपर हिलाते हुए कार्यकर्ताओं को इशारा किया।
आठ घंटे की लंबी पूछताछ के बाद आखिरकार महाराष्ट्र सरकार में मंत्री नवाब मलिक को ED ने गिरफ्तार कर लिया। NCP नेता नवाब मलिक को प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम से जुड़ी जमीन के मामले में मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप में गिरफ्तार किया है।
मलिक की गिरफ्तारी के बारे में सरकारी वकील उज्जवल निकम का कहना है कि ईडी के नवाब मलिक को अरेस्ट करने का मतलब साफ है कि जांच एजेंसी के पास उनके खिलाफ ठोस और पुख्ता सबूत हैं। कस्टडी की मांग के लिए जांच एजेंसी को अरेस्ट करने की वजह के तौर पर प्रारंभिक सबूत पेश करने होते हैं। इसके बिना अरेस्ट करना गैरकानूनी होता है।
सरकारी वकील उज्जवल निकम ने मुंबई हमले के आतंकी अजमल कसाब समेत दर्जनों चर्चित मामलों में अपराधियों को सजा दिलाई है।
निकम ने कहा, इसके बाद नवाब मलिक के वकील भी कस्टडी के खिलाफ यह दलील पेश करेंगे कि उनके खिलाफ राजनीतिक मकसद से कार्रवाई की जा रही है। इसलिए सबूत की वैल्यू को देखते हुए कोर्ट फैसला देगा। यहां अदालत को यह पक्ष भी देखना होगा कि मलिक के खिलाफ की गई कार्रवाई राजनीति से प्रेरित तो नहीं है।
मलिक जमानत के लिए हाईकोर्ट भी जा सकते हैंउज्जवल निकम के मुताबिक, यह देखना होगा कि मलिक ईडी की कस्टडी में भेजे जाते हैं या न्यायिक हिरासत में। आप न्यायिक हिरासत में हैं तो ही जमानत के लिए आवेदन कर सकते हैं। मलिक के वकील जमानत के लिए हाईकोर्ट भी जा सकते हैं, लेकिन, यहां भी सबसे अहम बात यही होगी कि ईडी मलिक की कस्टडी पाने के लिए पुख्ता सबूत पेश कर पाती है या नहीं। फिलहाल नवाब मलिक को अदालत के फैसले पर ही निर्भर रहना होगा।
गृह मंत्री ने कहा- ईडी की कार्रवाई अवैधराज्य के अन्य नेताओं की तरह गृह मंत्री दिलीप वलसे पाटिल ने भी नवाब मलिक के खिलाफ ईडी की कार्रवाई का विरोध किया है। उनका कहना है कि ईडी ने कार्रवाई करने से पहले कोई पूर्व नोटिस जारी नहीं किया। वे बिना किसी सूचना के रात को मलिक के घर पहुंचे। गृह मंत्री ने कहा है कि यह कार्रवाई गैरकानूनी है।
कांग्रेस के दौर में बना कानून अब बनाने वालों के लिए ही सिरदर्दयहां ध्यान देने वाली बात ये भी है कि मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट कांग्रेस के शासन काल में ही तैयार किया गया था। इसके बाद इसे 2005 में लागू किया गया था। इस एक्ट में गिरफ्तारी से पहले जमानत का कोई प्रावधान नहीं है। इसलिए इस कानून का किसी भी तरह से इस्तेमाल किया जा सकता है। इस तरह कह सकते हैं कि कांग्रेस के दौर में बना यह कानून अब कई दलों के लिए सिरदर्द है।
खबरें और भी हैं…
[ad_2]
Source link