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महाराष्ट्र सरकार को बड़ा झटका: अनिल देशमुख के खिलाफ CBI जांच रोकने की याचिका की खारिज, SC ने कहा-हम इसे ‘टच’ नहीं करेंगे

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मुंबई17 घंटे पहले

कॉपी लिंक2 नवंबर 2021 को ED द्वारा गिरफ्तार किए जाने के  बाद से अनिल देशमुख अभी जेल में बंद हैं। - Dainik Bhaskar

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2 नवंबर 2021 को ED द्वारा गिरफ्तार किए जाने के बाद से अनिल देशमुख अभी जेल में बंद हैं।

शुक्रवार को महाराष्ट्र सरकार को एक बड़ा झटका देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने अनिल देशमुख के खिलाफ जारी CBI जांच पर रोक लगाने से इनकार कर दिया। अदालत ने इस मामले में दखल देने से इनकार करते हुए राज्य सरकार की तरफ से देशमुख मामले को SIT को देने की मांग को खारिज कर दिया। अदालत में सुनवाई के दौरान SC ने कहा कि हम इस मामले को ‘टच’ नहीं करेंगे। इससे पहले बॉम्बे हाईकोर्ट ने भी महाराष्ट्र सरकार की याचिका खारिज कर दी थी।

अदालत के इस फैसले के बाद पूर्व गृहमंत्री के खिलाफ CBI की जांच जारी रहेगी। सीबीआई ने अनिल देशमुख के खिलाफ कथित तौर पर आपराधिक साजिश से संबंधित आईपीसी की धाराओं और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा के तहत मामला दर्ज किया है। इसी मामले में मुंबई के पुलिस कमिश्नर संजय पांडे से पिछले सप्ताह सीबीआई ने भी पूछताछ की थी।

हालांकि, वे प्रवर्तन निदेशालय(ED) द्वारा दर्ज मनी लांड्रिंग के एक मामले में पिछले साल यानी 2 नवंबर को गिरफ्तार किए गए थे। इसी मामले में उनके निजी सचिव संजीव पलांडे और निजी सहायक कुंदन शिंदे को जून महीने में गिरफ्तार किया गया था।

SIT को केस देने के पीछे राज्य सरकार ने यह तर्क दियामहाराष्ट्र सरकार ने कहा था कि महाराष्ट्र के पूर्व DGP सुबोध कुमार जायसवाल अब CBI के निदेशक हैं। CBI की जांच में पक्षपात की आशंका है। जायसवाल पुलिस स्थापना बोर्डों का हिस्सा थे और तबादलों और पोस्टिंग का निरीक्षण करते थे। CBI डायरेक्टर संभावित आरोपी नहीं तो गवाह तो जरूर होंगे। जस्टिस एसके कौल और एमएम सुंदरेश की बेंच ने मामले की सुनवाई की।

देशमुख के खिलाफ दायर हुई है 7 हजार पेज की चार्जशीटअनिल देशमुख अभी न्यायिक हिरासत में है। पिछले साल 29 दिसंबर को वसूली और भ्रष्टाचार के आरोप में देशमुख और उसके बेटे के खिलाफ सात हजार पेज की पूरक चार्जशीट ईडी ने दायर की थी। इसके अलावा देशमुख के निजी सचिव संजीव पालाडे और निजी सहायक कुंदन शिंदे समेत 14 लोगों के खिलाफ चार्जशीट पहले ही दायर कर चुकी है।

क्यों गिरफ्तार किए गए अनिल देशमुख?

ये मामला मनी लॉन्ड्रिंग और वसूली के आरोपों से जुड़ा है। मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह ने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को लिखे एक पत्र में आरोप लगाया था कि अनिल देशमुख ने गृहमंत्री रहते हुए सचिन वझे से हर महीने 100 करोड़ रुपए देने की मांग की थी।इस मामले में CBI ने अनिल देशमुख के खिलाफ FIR दर्ज की थी। ED ने CBI की FIR के आधार पर कार्रवाई की है। आरोप है कि देशमुख जब महाराष्ट्र के गृहमंत्री थे तब उन्होंने बार और रेस्टोरेंट मालिकों से 4.7 करोड़ रुपए वसूले थे। ये रकम दिसंबर 2020 से फरवरी 2021 के दौरान वसूली गई थी और इस रकम को मुंबई पुलिस के असिस्टेंट इंस्पेक्टर सचिन वझे के जरिए वसूला गया था।ED के मुताबिक, इस रकम में से 4.18 करोड़ रुपए दिल्ली की 4 अलग-अलग शैल कंपनियों में जमा किए गए। इन कंपनियों ने इस रकम को श्री साई शिक्षण संस्थान नाम के एक ट्र्स्ट को डोनेट कर दिया। इस ट्रस्ट को अनिल देशमुख और उनका परिवार ही चलाता है। यानी वसूली का पैसा शैल कंपनियों के जरिए देशमुख के ट्रस्ट में ही इस्तेमाल किया गया।देशमुख ने अपनी पत्नी आरती देशमुख के नाम पर मुंबई के वर्ली में एक फ्लैट खरीदा था। ये फ्लैट 2004 में नगद पैसे देकर खरीदा गया, लेकिन बिक्रीनामा फरवरी 2020 में साइन किया गया, जब अनिल देशमुख महाराष्ट्र के गृहमंत्री थे। ED इस मामले में भी जांच कर रही है।देशमुख परिवार की प्रीमियर पोर्ट लिंक्स नामक एक कंपनी में 50 फीसदी हिस्सेदारी है। ये हिस्सेदारी 17.95 लाख रुपए में खरीदी गई, जबकि कंपनी और उसके बाकी एसेट की कीमत 5.34 करोड़ रुपए की है। इस मामले में भी ED जांच कर रही है।

पूरे मामले की शुरुआत कहां से हुई?25 फरवरी 2021 को मुकेश अंबानी के घर एंटीलिया के पास विस्फोटकों से भरी एक SUV बरामद हुई थी। पुलिस को SUV में जिलेटिन रॉड और वाहनों की नंबर प्लेट मिली थीं। ये SUV उस वक्त मनसुख हीरेन की कस्टडी में थी, जिसकी लाश ठाणे के एक नाले में मिली थी। इस मामले की जांच पहले सचिन वझे के ही जिम्मे थी, लेकिन बाद में जांच का जिम्मा NIA को सौंपा गया। NIA ने मार्च में वझे को गिरफ्तार कर लिया। NIA ने चार्जशीट में सचिन वझे समेत 10 लोगों को आरोपी बनाया था। वझे पर आरोप था कि उन्होंने खुद को सुपरकॉप साबित करने के लिए विस्फोटक भरी SUV अंबानी के घर के पास पार्क की थी।

इसके बाद महाराष्ट्र सरकार ने मुंबई पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह का ट्रांसफर कर उन्हें होमगार्ड का DG बना दिया। ट्रांसफर के बाद परमबीर सिंह ने उद्धव ठाकरे को चिट्ठी लिखी जिसमें अवैध वसूली के आरोप लगाए गए।

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