Joindia
आध्यात्मकल्याणकाव्य-कथाकोलकत्ताक्राइमखेलठाणेदिल्लीदेश-दुनियानवीमुंबईपालघरफिल्मी दुनियाबंगलुरूमीरा भायंदरमुंबईराजनीतिरोचकसिटीहेल्थ शिक्षा

माता-पिता को परेशान करने की सजा: 22 साल से चल रहा था संपत्ति का विवाद, अदालत ने बेटे से माता-पिता को 50 हजार रुपए देने को कहा

Advertisement

[ad_1]

मुंबई17 घंटे पहले

कॉपी लिंकजस्टिस शाहरुख कथावाला  और न्यायमूर्ति मिलिंद जाधव ने अपने 21 मार्च के आदेश में कहा, ‘ये एक बेहद दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति है जहां एक तरफ बेटा और दूसरी तरफ माता-पिता 22 साल से अधिक समय से मुकदमेबाजी कर रहे हैं।’ - Dainik Bhaskar

Advertisement

जस्टिस शाहरुख कथावाला और न्यायमूर्ति मिलिंद जाधव ने अपने 21 मार्च के आदेश में कहा, ‘ये एक बेहद दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति है जहां एक तरफ बेटा और दूसरी तरफ माता-पिता 22 साल से अधिक समय से मुकदमेबाजी कर रहे हैं।’

बॉम्बे हाईकोर्ट ने संपत्ति से जुड़े एक मामले में एक वृद्ध माता-पिता के बेटे को जमकर फटकार लगाई है। हाईकोर्ट ने अवमानना ​​​​याचिका को खारिज करते हुए बेटे से कहा है कि वो अपने मां-बाप को 50 हजार रुपये दे। ये पैसे केस में लगने वाले खर्चे के तौर पर देने को कहा गया है। अदालत ने कहा कि बेटे का आचरण लालच, कटुता और छल से भरा है। याचिकाकर्ता बेटे मनोज कुमार डालमिया ने कथित तौर पर अपने माता-पिता के साथ सहमति की शर्तों का पालन न करने का आरोप लगाया था।

जस्टिस शाहरुख कथावाला और न्यायमूर्ति मिलिंद जाधव ने अपने 21 मार्च के आदेश में कहा, ‘ये एक बेहद दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति है जहां एक तरफ बेटा और दूसरी तरफ माता-पिता 22 साल से अधिक समय से मुकदमेबाजी कर रहे हैं।’ न्यायमूर्ति जाधव ने सुनवाई के दौरान कहा, ‘ये एक दिन में नहीं हुआ है। किसी दिन कोई इस पर फिल्म बनाएगा। बूढ़े माता-पिता के साथ कैसा व्यवहार करें। पिता की उम्र 78 साल, मां की 74 और बेटे की 56 साल है।’

22 साल पुराना विवादविवाद की शुरुआत साल 1999 में हुई। एक कंपनी में पारिवारिक संपत्तियों और शेयरों से संबंधित पक्षों के बीच झगड़े शुरू हुए। 2007 में, सिटी सिविल कोर्ट द्वारा नियुक्त मध्यस्थ ने दंपति को अपने परिवार के साथ सांताक्रूज फ्लैट में उसका हिस्सा खाली करने पर बेटे को लगभग 38 लाख रुपये का भुगतान करने का निर्देश दिया। अगस्त 2014 में सुप्रीम कोर्ट ने बेटे को फ्लैट की चाबियां कोर्ट में लाने का निर्देश दिया। चाबी नहीं देने पर माता-पिता ने फिर से उच्च न्यायालय का रुख किया। अप्रैल 2015 में, हाईकोर्ट ने पुलिस को बेटे और उसके परिवार को फ्लैट का शांतिपूर्ण कब्जा सौंपने के लिए सुनिश्चित करने का निर्देश दिया।

बेटे ने अवमानना ​​का मामला दायर कियाइसके बाद बेटे ने अर्जी दाखिल की। उन्होंने 23 अक्टूबर, 2015 को अपने माता-पिता के साथ सहमति की शर्तें पेश कीं, जिसके तहत वह अपने परिवार के साथ सांताक्रूज फ्लैट में रहेंगे, और एक भायंदर फ्लैट और साथ ही एक कालबादेवी कमरा उन्हें ट्रांसफर कर दिया जाएगा। उसी दिन, हाईकोर्ट ने सहमति की शर्तों को रिकॉर्ड में लिया और उसकी अपील का निपटारा किया। 2019 में, बेटे ने अवमानना ​​का मामला दायर किया और सहमति की शर्तों को लागू करने का आग्रह किया। माता-पिता ने सहमति की शर्तों को मानने से इनकार किया। उनके हस्ताक्षर फर्जी थे और उन्होंने वकील को उनके लिए पेश होने के लिए अधिकृत नहीं किया था।

बेटे ने किया फर्जीवाड़ामाता-पिता ने कहा कि 2012 में, HC ने एक बैंक को फर्म के खाते में 1 करोड़ रुपये से अधिक की राशि HC में जमा करने का निर्देश दिया था। माता-पिता ने लगभग 52 लाख रुपये निकाले। करीब 38 लाख रुपये के हकदार होने पर बेटे ने बाकी 51 लाख रुपये से अधिक वापस ले लिया। उन्होंने कहा कि वकील एम एस हादी के साथ मिलकर ऐसा किया।

खबरें और भी हैं…

[ad_2]

Source link

Advertisement

Related posts

Demand to remove syllabus from ncert: केंद्र सरकार का कारनामा, बारहवीं की किताब से गांधी को हटाए, हिंदू-मुस्लिम एकता और आरएसएस के बंदी भी हटाए

Deepak dubey

MUMBAI : डॉक्टरों ने किया कमाल, बच्ची की जोड़ दी कटी तर्जनी, पंखे में अलग हो गई थी अंगुली

Deepak dubey

Shiv Sena will go to Supreme Court against the decision of 227 wards : 227 वार्ड के फैसले के विरोध में शिवसेना जाएगी सुप्रीम कोर्ट, जल्द ही निर्णय की करेंगे घोषणा

Deepak dubey

Leave a Comment