मुंबई । (New Parliament House) अखिल भारतीय खाद्य तेल व्यापारी महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं कॉन्फेडरेशन आफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के महाराष्ट्र प्रदेश के महामंत्री शंकर ठक्कर (General Secretary Shankar Thakkar) ने कहा हमारा देश आजाद होकर 75 साल हो चुके हैं लेकिन आज भी देश गुलामी की मानसिकता के साथ जी रहा है और जगह-जगह अंग्रेजी शब्दों का प्रयोग कर रहे हैं। दिनांक 28 मई 2023 को नई दिल्ली में भारत की लोक सभा, राज्य सभा और उनसे संबद्ध अन्य प्रतिष्ठानों के लिए एक भव्य, नवनिर्मित भवन को माननीय प्रधानमंत्री आदरणीय नरेन्द्र मोदीजी ने राष्ट्र को समर्पित किया। इसे अंग्रेजी में विस्टा (VISTA) कहा जा रहा है। इससे देश को यह संदेश जाता है कि कालान्तर में इस नव-निर्मित भवन-समूह को ‘विस्टा’ ही कहा जाएगा।
इस सम्बन्ध में हमने प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर मांग की है कि कि ‘विस्टा’ शब्द अंग्रेजी जानने वाले लोगों के लिए चाहे सुपरिचित हो और नव-निर्मित भवन-समूह की भव्यता व महिमा उसमें भली भांति ज्ञापित होती हो, किन्तु भारतीय भाषा-भाषियों के लिए यह शब्द बिलकुल अपिरिचित है। इसके प्रयोग से उनमें न भारत की संप्रभुता का भाव जागता है, न इस महान राष्ट्र की महानता द्योतित होती है, और न ही यह पता लगता है कि इसका वास्तविक अभिप्राय क्या है।
अतः सानुरोध प्रार्थना है कि ‘विस्टा’ शब्द के स्थान पर इस नव-निर्मित भवन-समूह का नाम ‘संसद संकुल’ रखा जाए। ज्ञातव्य है कि भारतीय संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल प्रायः सभी भाषाओं में ‘संसद’ और ‘संकुल’, ये दोनों ही शब्द विगत तीन चौथाई सदी से अधिक समय से प्रचलन में हैं। भारत की प्रायः सभी भाषाओं में इनका अर्थ एक समान है। जैसाकि भारतीय संविधा के अनुच्छेद 351 में निर्दिष्ट है, सभी भारतीय भाषाओं के लिए मातृ पद-प्राप्त संस्कृत भाषा से लिए गया यह ‘संसद संकुल’ पदबंध देश के सभी भाषा-भाषियों के लिए सहज ही बोधगम्य है और वे इसकी अर्थ-व्यंजना से भली भांति अवगत हैं।
भारतीय जनता के स्वाभिमान, आत्म-गौरव और जातीय अभिमान को अक्षुण्ण बनाए रखने और उसे निरन्तर वर्धमान बनाए रखने की दृष्टि से भी ‘विस्टा’ जैसे अपरिचित, अप्रचलित और दुर्ग्राह्य अंग्रेजी शब्द की तुलना में ‘संसद संकुल’ पदबंध हमारे देश के लोकतंत्र के मंदिर के शुभ्र, पवित्र भवन-समूह के लिए सर्वथा उपयुक्त रहेगा।
देश के सभी नागरिकों की ओर से विनम्र प्रार्थना है कि कृपया संसद के दोनों सदनों और उनके कार्यालयों के लिए निर्मित भवन-समूह को समवेत रूप से ‘संसद-संकुल’ नाम ही ज्ञापित व प्रचलित किया जाए। रोमन में भी इसे SANSAD SANKUL लिखना युक्तिसंगत रहेगा। विदित है कि राजभाषा नीति में भी नयी संस्थाओं व भवनों का नामकरण हिन्दी में किए जाने का प्रावधान है। कहने की आवश्यकता नहीं कि यदि इस बारे में विधितः कोई अधिसूचना जारी कर दी जाए तो इस नाम के व्यापक प्रचलन और प्रयोग को अप्रत्याशित बढ़ावा मिलने के साथ-साथ देश में राष्ट्रीयता की भावना भी और अधिक बलवती होगी।