नई दिल्ली। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने संविधान दिवस पर आयोजित कार्यक्रम के समापन समारोह को संबोधित किया। संविधान दिवस के समापन समारोह को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को याद किया और महिला नेताओं की भूमिका की भी चर्चा की। उन्होंने कहा कि संविधान बनाने वाले गांधीजी के सिपाही थे। संविधान पर भी इसकी साफ दिखती है।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि महिला नेताओं ने भी संविधान सभा का सदस्य रहते हुए बड़ी भूमिका निभाई ।उन्होंने कहा कि प्रस्तावना हमारे संविधान की बुनियाद का पत्थर है। पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की चर्चा करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि वे भी विधि और न्याय क्षेत्र से जुड़े थे। कानूनी भाषा को लोक भाषा में सरल रूप से अनूदित होना चाहिए।
उन्होंने कहा कि हमारे संविधान की सबसे बड़ी खूबसूरती लोकतंत्र के तीनों स्तंभ विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका की लक्ष्मण रेखा है। सभी अपने-अपने दायरे में रहकर एक-दूसरे का सम्मान करते हुए काम करते हैं। राष्ट्रपति ने कहा कि एक छोटे गांव से आई हूं. हम गांव के लोग तीन ही लोगों को भगवान मानते हैं गुरु, डॉक्टर और वकील. उन्होंने कहा कि गुरु ज्ञान देकर, डॉक्टर जीवन देकर और वकील न्याय दिलवाकर भगवान की भूमिका का निर्वहन करते हैं।
सीजेआई बोले- संविधान मूल्यों पर आधारित
मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने संविधान को बाकी देशों से अलग बताते हुए कहा कि ये नई दिल्ली में लिखा गया। कई एशियाई और अफ्रीकी देशों ने अपना संविधान बकिंघम पैलेस (इंग्लैंड के शाही परिवार का निवास) के आसपास ही बनाया। उन्होंने कहा कि हमें गर्व है कि हमारा संविधान भारतीय जीवन और मूल्यों पर आधारित है। सात दशक के बाद भी हमारा संविधान मूल और परिवर्धित रूप में बरकरार है।