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हर साल इस जन्म दोष के साथ पैदा होते हैं 35000 बच्चे, महाराष्ट्र में 5000 हजार बच्चे

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मुंबई। बच्चे भगवान की देन होते हैं, लेकिन कई बार ये मन को उदास कर देता है। ये उदासी तब आती है जब पता चलता है बच्चा किसी जन्मजात दोष के साथ पैदा हुआ है। इनमें से एक शारीरिक विकृति फांक होंठ या तालु वाले बच्चे हैं, जिनमें यह दिक्कत जन्म के साथ होती हैं। ये ऐसी समस्या है जिसे सर्जरी से ठीक किया जा सकता है। स्माइल ट्रेन संस्था की अंजलि कोटच ने कहा कि ऐसे बच्चों के चेहरों पर मुस्कुराहट लौटाने का काम ‘एक नई मुस्कान’ पहल के माध्यम से किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि महाराष्ट्र में हर साल करीब पांच हजार बच्चे इस जन्मजात दोष के साथ पैदा होते हैं, जबकि यह संख्या हिंदुस्थान में करीब 35000 यानी कुल आबादी का 10 फीसदी के आस-पास है।

मुंबई में आयोजित एक कार्यक्रम में अंजलि कोटच ने कहा कि बीते 25 सालों से स्माइल ट्रेन संस्था दुनिया के 17 देशों, जबकि हिंदुस्थान के 13 राज्यों में बच्चों के क्लेफ्ट के शिकार बच्चों के चेहरों पर खुशी लाने की कोशिश कर रहे हैं। हमारा उद्देश्य ही है कि कोई भी बच्चा जन्म दोष से मुक्त होने में पीछे न रह जाए। उन्होंने कहा कि पूरी दुनिया में 700 में से एक बच्चा इस दोष के साथ पैदा होता है। इस जन्म दोष के साथ पैदा हुए बच्चों को सांस लेने से लेकर खाने, पीने और संवाद साधने में दिक्कतें होती है। इसके चलते अक्सर उन्हें गले, नाक और मुंह में संक्रमण होते रहता है। उन्होंने कहा कि इससे एंजाइटी और डिप्रेशन के भी शिकार हो सकते हैं। फिलहाल इसके सटीक कारणों का पता तो नहीं चल सका है, लेकिन अभी भी इस पर रिसर्च चल रहा है। हालांकि इसके लिए अभी तक जेनेटिक के साथ ही पर्यावरण और विटामिन की कमी को बताया जाता है। उन्होंने बताया कि यूपी में 5 से 6 हजार और बिहार में भी 3500 हजार बच्चे क्लेफ्ट के साथ पैदा हो रहे हैं।

45 मिनट में मिलती है जन्म दोष से मुक्ति

बिजनेस हेड रोहिणी हरिहन ने कहा कि केवल 45 मिनट की सर्जरी में इस जन्म दोष से बच्चों को मुक्त किया जा रहा है। इसके लिए संस्था हिमालय वेलनेस कंपनी की मदद भी ले रही है। इस पहल में देश के 150 अस्पतालों के साथ टाईअप है। इसमें निजी से लेकर देश के प्रतिष्ठित सरकारी अस्पतालों का भी समावेश है। फिलहाल शहरों के साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों में चलाया जा रहा है। इन सभी को फंडिंग के साथ ही मेडिकल उपकरण के साथ ही ट्रेनिंग सपोर्ट की भी मदद की जा रही है। उन्होंने कहा कि इस तरह के बच्चों की सर्जरी करने के लिए उनके घरों से अस्पतालों तक ले जाया जाता है। सर्जरी से लेकर उनके परिजनों का खर्च उठाया जाता है। हालांकि अभी भी इसे लेकर लोगों में जनजागरूकता का अभाव है, जिसे बढ़ाने की जरूरत है।

तीन माह के बच्चे की भी हो सकती है सर्जरी

अंजलि कोटच ने कहा कि इस जन्म दोष से पीड़ित तीन महीने के बच्चे की भी सर्जरी की जा सकती है। पहले अभिभावक 8 से 10 साल होने के बाद अपने बच्चों की सर्जरी कराने के लिए आते थे, लेकिन अब यह डेढ़ साल पर पहुंच गई है। हालांकि अभी भी देश में इस तरह की बहुत कम सर्जरियां हो रही हैं। हालांकि बीते 25 सालों में स्माइल ट्रेन संस्था ने हिंदुस्थान में करीब सात लाख और पूरी दुनिया में इस तरह की करीब दो मिलियन सर्जरी की गई है। देश में हर साल करीब 250 सर्जरी हो रही हैं।

निजी अस्पतालों में करनी पड़ती है जेबें ढीली

कोटच ने कहा कि किसी निजी अस्पताल में इस सर्जरी को कराने में कम से कम 50 हजार और अधिकतम 4 से 5 लाख रुपए खर्च करने पड़ सकते हैं। इससे लोगों की अच्छे तरीके से जेबें ढीली होती है। फिलहाल यह सर्जरी गरीब परिवारों को वहन करना संभव नहीं होता है। इसलिए वे इसे इग्नोर कर देते हैं। फिलहाल मुस्कान अभियान का 2024 संस्करण शुरू किया है।

जागरूकता बढ़ाने पर बल

क्रिकेटर युवराज सिंह ने इस अभियान को अपना सहयोग देते हुए बच्चों में कटे होठों के बारे में जागरूकता बढ़ाए जाने की जरूरत पर बल दिया और बताया कि एक छोटा सा योगदान किस प्रकार उनके चेहरों पर ‘एक नई मुस्कान’ लाने में मदद कर सकता है। इस कार्यक्रम में युवराज सिंह ने अपने जीवन के कई किस्से सुनाए और अनुभव भी साझा किए, ताकि क्लेफ्ट की समस्या से ग्रस्त बच्चों को स्वस्थ और खुशहाल जीवन जीने के लिए प्रोत्साहन मिले। कंपनी में कंज्यूमर प्रोडक्ट्स डिवीजन के बिजनेस डायरेक्टर राजेश कृष्णमूर्ति ने बताया कि कई बच्चों को क्लेफ्ट रिपेयर सर्जरी से स्वस्थ और अधिक आनंदमय जीवन प्राप्त करते देखना एक समृद्ध अनुभव है।

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