मुंबई। देश की आर्थिक राजधानी मुंबई की आबोहवा लगातार जहरीली होती जा रही है। प्रदूषण के मामले में दिल्ली को पछाड़ कर मुंबई देश में नंबर वन और दुनिया में दूसरे पायदान पर पहुंच गया है। कंट्रक्शन, कचरे के ढेर के अलावा वाहनों से निकलने धुएं को
प्रदूषण की प्रमुख वजह बताई जा रही है। पुराने वाहन बड़ी मुसीबत बन गए हैं। केंद्र सरकार तो सिर्फ योजनाएं बना रही है लेकिन उसे अमलीजामा पहनाने के लिए केंद्र ही नहीं है। राज्य की ईडी सरकार पूरी तरह से असंवेदनशील बनी हुई है।
बढ़ती आबादी और वाहनों की संख्या से मुंबई में सिरदर्द बनती जा रही है। इसमें पुराने वाहन प्रदूषण के लिहाज से बड़ी समस्या बने हुए हैं। 15 वर्ष पूरे हो चुके तकरीबन 22 लाख 48 हजार 87 वाहन मुंबई सहित राज्य में दौड़ रहे हैं। इससे प्रदूषण में इजाफा हो रहा है। चौंकानेवाली बात सामने आई है कि पुराने वाहनों को भंगार में भेजने के लिए स्क्रेपिंग सेंटर ही नहीं बनाए गए हैं। इसलिए प्रदूषण के साथ-साथ पुराने वाहन यात्रियों की सुरक्षा के लिए भी खतरनाक साबित हो रहे हैं। गौरतलब हो कि वाहनों से होने वाले प्रदूषण को कम करने और सुरक्षा को बढ़ावा देने के लिए केंद्र सरकार ने वर्ष 2021 में मोटर वाहन पंजीकरण और पंजीकरण नियमों की घोषणा की थी। राज्य में इसे दिसंबर 2022 में स्वीकृत किया गया। पुराने वाहनों को हटाकर ज्यादा से ज्यादा वाहनों के इस्तेमाल पर बल दिया जा रहा है। पुराने वाहनों को कबाड़ में भेजने की नीति तो लागू की गई है। लेकिन उसके लिए स्क्रेपिंग सेंटर ही अभी तक नहीं बने हैं।
राज्य परिवहन आयुक्त विवेक भीमनवार के अनुसार स्क्रेपिंग सेंटर बनाए जाएंगे। इसके लिए अगले कुछ दिनों में आवेदन आमंत्रित किए जाएंगे। केंद्र द्वारा तय किए गए ऑनलाइन पोर्टल पर वाहनों का रजिस्ट्रेशन होगा। उसके बाद इन वाहनों को हटाने की प्रक्रिया शुरू होगी। फिलहाल केंद्र के लिए कोई आवेदन नहीं आया है। दूसरे राज्यों में इस तरह की सुविधाएं उपलब्ध हैं। राज्य में दौड़ रहे 15 साल से ज्यादा पुराने कुछ वाहनों को कबाड़ में भेजा गया है। सरकारी स्वामित्व वाले सभी वाहनों को स्क्रैप किया जाएगा। निजी स्वामित्व वाले वाहनों के पास स्क्रैपिंग सहित अन्य विकल्प उपलब्ध हैं।