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MUMBAI: मुंबई मनपा के विकास कार्य ठप , फॉलोअप के लिए प्रशासन के पास नहीं विशेष तंत्र

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मुंबई। मुंबई मनपा ने भले ही इस साल 52 हजार 619.07 करोड़ का भारी भरकम बजट पेश किया है लेकिन पिछले साल के 45 हजार 949.21 करोड़ रुपए के मंजूर बजट में से केवल 37 फीसदी ही निधि का विनियोग हुआ है। इसमें अपने वार्ड में मंजूर कामों को करने के लिए फॉलो अप करने के लिए नगरसेवक ओके ना होने से कई विकास कार्यों के अधर में लटकने की संभावना है। इसके अलावा वर्तमान में विकास कामों को पूरा करने के लिए ‘विशेष तंत्र’ भी नहीं है। ऐसे में मनपा के सामने 31 मार्च तक शेष 60 फीसदी बजट खर्च करने की चुनौती खड़ी हो गई है। अगले डेढ़ महीनों में यदि इस निधि का व्यय नहीं किया गया तो 31 मार्च को यह निधि ‘लैप्स’ हो जाएगी।

ज्ञात हो कि पिछले साल मुंबई मनपा का बजट 4 फरवरी को ही पेश किया गया था। उस समय मनपा में जनता द्वारा चुने गए नगरसेवक भी कार्यरत थे। इसलिए पिछले साल की बजट में नगरसेवकों द्वारा अपने-अपने वार्डों में सुझाए गए कई विकास कार्यों को शामिल किया गया था। इस बीच 7 मार्च 2022 को नगरसेवकों का कार्यकाल समाप्त होने के बाद से मनपा के सभी कामकाज की जिम्मेदारी प्रशासक के कंधों पर है। इसलिए बजट में प्रस्तावित काम के साथ ही परियोजनाओं का क्रियान्वयन केवल संबंधित विभागों और वार्ड स्तर के अधिकारियों के माध्यम से हो रहा है। विशेष यह है कि चर्चा यह भी है कि ‘पूर्व नगरसेवकों’ को प्रशासन की ओर से भी खासा प्रतिसाद नहीं मिल रहा है। इसलिए निधि विनियोग करने में मनपा को चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा। इसी में इस साल पूरा बजट प्रशासक द्वारा पेश किए जाने से जनता की कई जरूरी जरूरतों को पूरा करना कठिन होगा।

हर साल स्थायी समिति को बजट से मिलने वाली करीब 500 से 800 करोड़ की निधि से नगरसेवकों की मांगों के अनुसार उन्हें करोड़ों की निधि अपने वार्डों में विकास कार्यों के लिए मिलती है। हालांकि इस साल नगरसेवकों के नहीं होने के कारण ये निधि उपलब्ध नहीं होगा।पिछले साल भी नगरसेवकों का कार्यकाल समाप्त होने के कारण मंजूर 650 करोड़ की निधि निरस्त कर दी गई थी। इससे नगरसेवकों को बड़ा झटका लग रहा है। इसी में नगरसेवक पद नहीं होने के बावजूद नागरिकों की मानसिकता है कि उनके वार्डों का काम स्थानीय नगरसेवक द्वारा ही करेंगे। इसलिए मतदाताओं की मांगों को पूरा करते समय ‘पूर्व नगरसेवक’ पस्त होने लगे हैं। निधि की कमी के कारण आगामी चुनाव का सामना करने में कड़ी मशक्कत करनी पड़ेगी।

मनपा प्रशासन का कहना है कि संबंधित विभाग द्वारा निर्धारित विकास कार्यों को बजट के प्रावधानों के अनुरूप कराया जा रहा है। वित्तीय वर्ष के अंत में हर साल 31 मार्च तक 90 प्रतिशत से अधिक निधि व्यय की जाती है। कई विकास कार्य अंतिम चरण में होने से मार्च के अंत तक निधि विनियोग बढ़ जाएगा। इसलिए मनपा प्रशासन का कहना है कि इस बार भी निधि खर्च में कोई दिक्कत नहीं है। इसके अलावा एक भी नगरसेवक नहीं है, फिर भी इस बार मनपा ने नागरिकों से बजट को लेकर राय मंगाई थी। मनपा का कहना है कि इसके अनुसार एक हजार में आधे से ज्यादा सुझावों पर बजट में विचार किया गया है।

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