मुंबई। जिंदगी के हर मोड़ पर खुद को साबित करने वाली महिलाएं किडनी दान करने में भी सबसे आगे हैं, जिसमें मां, पत्नी, बहन का समावेश है। इसी तरह के एक मामले में महिला दिन (Mother donate Kidney on women’s day) पर एक मां की ममता दिखी। ममता में डूबी उस मां ने क्रोनिक किडनी डिजीज (Chronic kidney disease)से पीड़ित 30 वर्षीय बेटी को अपना गुर्दा दान (kidney donation) कर दी। इसके बाद कहीं जाकर बेटी की जिंदगी बच सकी है।
नई मुंबई के वाशी में रहने वाली नेहा सिंह (३०) को अगस्त २०२१ में क्रोनिक किडनी डिजीज (सीकेडी) का पता चला था। वह कई महीनों से डायलिसिस पर थी। इसी बीच उसे तेज बुखार से गुजरना पड़ा था। स्थानीय डॉक्टरों ने उसका इलाज शुरू कर दिया था। लेकिन उसका बुखार कम ही नहीं हो रहा था। इसलिए परिवार वालों ने उसे मेडिकवर अस्पताल में भर्ती कराया। अस्पताल में किए गए चिकित्सा जांच में मरीज टीबी से ग्रसित पाया गया।
टीबी के कारण स्थगित करना पड़ा किडनी प्रत्यारोपण
अस्पताल में नेफ्रोलॉजिस्ट और किडनी ट्रांसप्लांट विशेषज्ञ डॉ. अमित लंगोट ने कहा कि क्रोनिक किडनी डिजीज के कारण मरीज को गुर्दा प्रत्यारोपण की आवश्यकता थी। लेकिन टीबी के कारण संक्रमण फैलने के खतरे को देखते हुए गुर्दा प्रत्यारोपण को स्थगित करना पड़ा। इस बीच मरीज को दवाओं पर रखा गया और एक साल तक उसका इलाज किया गया। इस बीच मरीज की मां ने किडनी दान करने की इच्छा जताई। उसके बाद मरीज की किडनी ट्रांन्सप्लांट सर्जरी की गई।
चुनौतीपूर्ण थी सर्जरी
डॉ. अमित ने कहां कि मां का ब्लड ग्रुप बी पॉजिटिव और बेटी का ब्लड ग्रुप ए पॉजिटिव था। इसलिए यह प्रत्यारोपण सर्जरी करना काफी चुनौतीपूर्ण था। हमने माता-पिता की काउंसलिंग की और उन्हें सूचित किया कि ट्रांसप्लांट करना काफी जरूरी है। उसकी मां तुरंत अपनी किडनी दान करने के लिए आगे आई। ट्रांसप्लांट से पहले और बाद में नेहा को इम्यूनो सप्रेसेंट दवाएं दी गई और एक हफ्ते के बाद एक नई किडनी के साथ उन्हें छुट्टी दे दी गई। उन्होंने कहा कि हिंदुस्थान में हर साल लगभग १.८ लाख लोग किडनी की समस्या से पीड़ित होते हैं।
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