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कांग्रेस से जी हजुरी करके भी उद्धव ठाकरे को कुछ नहीं मिला भाजपा प्रदेश मुख्य प्रवक्ता केशव उपाध्ये द्वारा तीखी आलोचना

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मुंबई। मुख्यमंत्री पद के लिए 3 दिनों तक दिल्ली में रहे उद्धव ठाकरे की लाख कोशिशों के बावजूद उनके हाथ कोरा भुसा ही लगा है। भारतीय जनता पार्टी के मुख्य प्रवक्ता केशव उपाध्ये ने शुक्रवार को उद्धव ठाकरे की आलोचना करते हुए कहा कि तीन दिनों की बैठकों के बाद उन्हें खाली हाथ वापस आना पड़ा। भाजपा प्रदेश कार्यालय में आयोजित संवाददाता सम्मेलन में वे बोल रहे थे। इस अवसर पर भाजपा प्रदेश मीडिया विभाग के प्रमुख नवनाथ बन उपस्थित थे। उबाठा की दिल्ली यात्रा से महाराष्ट्र के हिस्से क्या आया यह तो छोड़ दीजिए बल्कि उबाठा के हाथ भी खाली पात्र ही लगा है ऐसा ताना भी उपाध्ये द्वारा मारा गया।

उपाध्ये ने कहा कि महाविकास अघाड़ी की बैठकें सिर्फ सूखे थोथे और भूसे ही हैं, इनमें कोई स्वाद नहीं… कोई रस नहीं… कोई मिठास नहीं। मुख्यमंत्री पद के महत्वाकांक्षी उद्धव ठाकरे ने दिल्ली की चौखट पर कदम रखे, लेकिन कांग्रेस नेता पृथ्वीराज चव्हाण ने कहा कि मुख्यमंत्री पद का फैसला चुनाव के बाद होगा जिसकी अधिक सीटें उनका मुख्यमंत्री ऐसा कहते हुए ठाकरे के हाथ निराशा लगी है। उबाठा सेना ने अपना आत्मसम्मान खो दिया क्योंकि कांग्रेस ने दिल्ली से उद्धव ठाकरे को स्पष्ट संदेश भेजा कि सीट आवंटन में भी कांग्रेस ही बड़ा भाई होगी। विधानसभा की अधिक सीटों पर चुनाव लड़ने के लिए उबाठा ने दिल्ली कूच कि, लेकिन वहां भी निराशा हाथ लगेगी।अमित शाह की तुलना ठाकरे ने अब्दाली के साथ की, वही अमित शाह भाजपा के अध्यक्ष थे तब भी वे मातोश्री पर चर्चा करने आए थे। 2019 में भाजपा ने आपका सम्मान रखते हुए 125 सीटें दीं, अब 100 सीटें पाने के लिए आपको कांग्रेस के दिल्ली सिंहासन के सामने झुकना पड़ रहा है। सीटों के आवंटन में आपको 100 सीटें भी नहीं मिलेंगी, तो दिल्ली की यात्रा से आपको वास्तव में क्या मिला? ऐसे नुकीले प्रश्न भी उपाध्ये ने किए ।
महाराष्ट्र का स्वाभिमान दिल्ली के सामने न रखने की बड़ी बड़ी डींगे हांकने वाले ठाकरे का दावा है कि उन्होंने सोनिया गांधी से मुलाकात की है, लेकिन इस बात पर संदेह है कि क्या उनकी मुलाकात वास्तव में हुई थी। क्योंकि इस मुलाकात की तस्वीरें कहीं नहीं देखी गईं, ऐसा ताना भी उपाध्ये ने मारा है।
महाराष्ट्र में आरक्षण मुद्दे को सुलझाने के लिए जहां महायुति सरकार ईमानदारी से प्रयास कर रही है, वहीं उद्धव ठाकरे दिल्ली जाकर मविआ के घटक दल के प्रमुख नेताओं से चर्चा करेंगे और आरक्षण पर कोई ठोस रुख अपनाएंगे ऐसी आम आदमी की अपेक्षा थी वह भी धूल में मिल गई है।
ठाकरे केवल अपने राजनीतिक हित के लिए दिल्ली गए थे और उन्हें महाराष्ट्र और लोगों के हितों से कोई लेना-देना नहीं था ऐसी कड़ी आलोचना उपाध्ये ने कि है।

 

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