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Uddhav thackarey interview: उद्धव ठाकरे गरजे! मोदी एक नम्बर के झोठेबाज!! याद रखो मोदी, गुजरात मे औरंगजेब भी जन्मा था, लेकिन मराठाओं के सामने एक न चली…

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 पीएम मोदी को उद्धव ठाकरे की चेतवानी -औरंगजेब का जन्म गुजरात में हुआ। वह भी महाराष्ट्र जीत नहीं पाया। औरंगज़ेब के तंबू का कलस काटने का शौर्य मराठाओं में कर दिखाया था। मोदी, उनके ही वंशज आज भी महाराष्ट्र में जीवंत है।

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शिवसेना पक्ष प्रमुख उद्धव ठाकरे (Uddhav thackarey interview) ने जोरदार प्रचार से महाराष्ट्र में तूफ़ान पैदा कर दिया है। चुनाव के कुरुक्षेत्र पर उद्धव ठाकरे को अर्जुन की तरह लड़ते हुए पूरा देश देख रहा है। महाराष्ट्र में दौरा कर रहे हैं। इस बीच में जोरदार साक्षात्कार (Uddhav thackarey interview) देते हुए उन्होंने अनेक विषयों पर दृढ़ मत रखें। “लोकतंत्र बचाने के लिए यह महाभारत शुरू है” स्वतंत्रता कायम रखने के लिए यह लड़ाई है” ऐसा उद्धव ठाकरे ने कहा। उद्धव ठाकरे ने दिल्ली की मुगलाई पर जोरदार हमला किया। “दिल्ली के दो खच्चरों को महाराष्ट्र के पानी में सिर्फ पवार- ठाकरे दिखाई दे रहे हैं। हम उन खच्चरों को हमेशा के लिए पानी पिलाएंगे।” मोदी को अब तक महाराष्ट्र का प्रेम मिला है अब महाराष्ट्र का श्राप क्या होता है उसका अनुभव करें। ऐसा चेतवानी उद्धव ठाकरे ने दी। उद्धव ठाकरे के यह साक्षात्कार दो भागों में प्रसिद्ध किया जा रहा है।

■ देश में लोकसभा चुनाव का महाभारत शुरू है। महाभारत का युद्ध 21 दिन तक चला, ऐसा कहा जाता है लेकिन चुनाव का यह महाभारत काफी लंबा खींच गया है और पूरे देश में घोर युद्ध की स्थिति है। ऐसा वातावरण बन गया है। इस महाभारत में सबसे ज्यादा लक्ष्य कहां होगा.. तो वह महाराष्ट्र में है। महाराष्ट्र में खासकर शिवसेना के पक्षप्रमुख उद्धव ठाकरे और उनके नेतृत्व वाली शिवसेना की इस महाभारत में कौन सी भूमिका में होगी, इस बारे में पूरे देश का ध्यान लगा हुआ है। क्या कहेंगे?

उ- आपने जो उल्लेख किया कि अभी का चुनाव महाभारत की तरह शुरू है। यह सही है। उस समय महाभारत में द्रौपदी का वस्त्रहरण हुआ था और इस समय अपने देश के लोकतंत्र का वस्त्रहरण हो रहा है। इसलिए यह लोकतंत्र बचाने की लड़ाई है स्वतंत्र की लड़ाई एक अलग भाग था उस समय हम नहीं थे, जिन-जिन लोगों ने संघर्ष किया, बलिदान दिया, उन सभी क्रांतिवीरों और त्याग करने वाले सभी स्वतंत्रता सैनिकों ने अपार कष्ट कर बहादुरी का परिचय देते हुए यह स्वतंत्रता दिलाई। इस स्वतंत्रता को कायम रखने का काम हमें करना चाहिए।

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■उद्धवजी, आप लंबी यात्रा के बाद मुंबई में वापस आ गए हैं। आप कई दिनों से चिलचिलाती धूप में महाराष्ट्र के कोने कोने में दौरा कर रहे हैं। सिर्फ शिवसेना उम्मीदवार ही नहीं, बल्कि कांग्रेस, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी, हर उम्मीदवार को जरूरत अनुसार आप समय दे रहे हैं। पिछले चुनाव में आपके सीने पर धनुष-बाण था, तो आज मैं आपके सीने पर ‘मशाल’ देख रहा हूँ। धनुष बाण से मशाल, यह जो बदलाव हुआ है उसका इस चुनाव में आपको क्या असर दिख रहा है?

उ- धनुष बाण से मशाल ..यह क्यों हुआ? किसने किया? लोकतंत्र का एक प्रकार की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। संविधान का पालन नहीं हो रहा है। दलबदल के बाद अपात्रता का केस… आज तक उसका निर्णय नहीं लगा। बार-बार कोर्ट कोर्ट फटकार लगाई, खड़े बोल सुनाए। तत्कालीन राज्यपाल जो यहां पर बैठे थे उन्हें सद्गृहस्थ कहें या क्या कहें? उन्होंने अधिवेशन बुलाया वह कैसे गलत था, उसके बाद आयोग का निर्णय कैसे गलत था, चुनाव आयोग को भी वह निर्णय लेने का अधिकार है क्या? इसका कारण सर्वोच्च न्यायालय ने बताया है। पक्ष किसी का होगा, यह तुम लोकप्रतिनिधि के आधार पर तय नहीं कर सकते, मतलब क्या, जो मैंने कहा कि लोकतंत्र का वस्त्रहरण शुरू है और उससे भी आगे अभी तक इसका निर्णय आया नही। सब तरफ गड़बड़ शुरू है।

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■ सर्वोच्च न्यायालय में भी समय टालने का काम चल रहा है…

उ- सर्वोच्च न्यायालय में हमें न्याय मिलेगा, इसका मुझे पूरा विश्वास है। क्योंकि ऐसा संविधान में उल्लेखित है। कलम 10! , सर्वोच्च न्यायालय का निर्णय बाकी रहते हुए भी प्रधानमंत्री ने हमारे शिवसेना को, मतलब मेरी शिवसेना को, जो शिवसेना बालासाहेब की द्वारा स्थापित की गई, जिसका नाम मेरे दादाजी ने रखा था, उसे नकली शिवसेना कह रहे हैं, इसका मतलब साफ-साफ समझ में आ रहा…. चुनाव आयोग उनका नौकर है। आयोग ने भी, जैसा वह बोले वैसा काम किया है। अब सर्वोच्च न्यायालय भी हमें यह नाम और चिन्ह ना दे, ऐसा अप्रत्यक्ष दबाव हमारे प्रधानमंत्री सर्वोच्च न्यायालय पर ला रहे हैं क्या? ऐसा प्रश्न उठने लगा है।

■ …मतलब पूरे सिस्टम पर दबाव?

उ- नष्ट कर दिया, दूसरा क्या कहा जाए?

■ दहशत है?

उ-हाँ!

■ देश में महाभारत की लड़ाई धर्म के लिए, सत्य के लिए लड़ी गई… और महाभारत लड़ाई में दो प्रमुख पात्र पर हमेशा चर्चा होती है…कृष्ण तो हैं ही, लेकिन अर्जुन और अभिमन्यु! विरोधी लोग ऐसा कह रहे हैं कि उद्धव ठाकरे का अभिमन्यु हो गया…

उ- सही है, लेकिन अभिमन्यु भी वीर था। वह डरपोक नहीं था। आज यह जो आईडी, इनकम टैक्स, सीबीआई के जरिए चक्रव्यूह रच रहे हैं यह डरपोक लोग हैं। इनमें अभिमन्यु जैसा लड़ने का धैर्य नहीं है। अभिमन्यु चक्रव्यूह को तोड़ने घुसे। यह बाहर ही बाहर लोगों को एक दूसरे से लाडवा रहे हैं। मतलब शिवसेना को तोड़ा, शिवसेना में मारामारी करवाने का प्रयत्न किया। राष्ट्रवादी को तोड़ा, परिवार तोड़ रहे हैं, परिवार में कलह निर्माण करने का काम कर रहे हैं, पक्ष में झगड़ा लगा रहे हैं, यह सब तो कौरवों के काम है ना? यह कौरव नीति जो है, वो कौरव नीति अंततः हारने वाली है। क्योंकि कौरव उस समय सौ थे, पांडव पांच थे लेकिन पांच पांडवों ने सौ कौरवों को हराया था। क्योंकि पांडव सत्य के लिए और धर्म के लिए लड़ रहे थे, इसलिए खुद श्रीकृष्णा भी इन पांडवों की तरफ से थे।

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■ यह युद्ध भी हम जीत रहे है?

उ–निश्चित ही !

■ राज्य मे समग्र प्रचार कैसा चल रहा है। आप खुद भी  पिछले कुछ समय से, मतलब चुनाव की घोषणा होने से पहले से महाराष्ट्र मे दौरा कर रहे है। तैयारी के साथ दौरा कर रहे है। इस समय राज्य मे सबसे अधिक दौरा करने वाले नेता आप है। प्रचार की यह दिशा कैसी है?

उ-दो महत्वपूर्ण मुद्दे है। एक स्वाभाविक है कि पिछले दस वर्षों से मै जानबूझकर मोदी सरकार नाम का उल्लेख कर रहा हु , क्योंकि मुझे मोदी सरकार नहीं चाहिए, मुझे भारत सरकार चाहिए। लेकिन अब मोदी सरकार की पोल खुलने लगी है। मै भाषण के मुद्दे यहा नहीं बता रहा हूं। लेकिन मै इस सरकार को गजनी सरकार कहता हूं।

■गजनी सरकार ?

उ- वर्ष 2014 मे जो कुछ बोला वो उन्हे 2019 मे याद नहीं रहा, वर्ष 2019 मे जो कुछ बोल वो उन्हे याद नहीं है। और आज जो कुछ बोल रहे है वो कल याद नहीं रहेगा। उन्हे ऐसे लगता है कि उनकी स्मरण शक्ति पर जो प्रभाव पड़ा है वह जनता पर भी हुआ है। लेकिन ऐसा नहीं है। क्योंकि जनता दो बार मतलब दस वर्ष मूर्ख बनी, लेकिन वो जो कहते है न, ‘तुम लोगों को एक बार ही मूर्ख बना सकते हो। कुछ लोगों को तुम हमेशा मूर्ख बना सकते हो, लेकिन सभी को हमेशा मूर्ख नहीं बना सकते …. ‘अब जनता जागृति हो गई  है जनता आक्रोशित हो उठी है। उनकी जो सभी कुछ झूठी कहानियां थी .. किसानों का उत्पादन दोगुना होगा, प्रत्येक को घर मिलेगा …. प्रधानमंत्री किसान सम्मान योजना आदि आदि यह सब धोखा ही तो है, उसके बराबर मे भ्रष्टाचारियों को एकसाथ ले रहे है। पक्ष फोड़ रहे है। यह गद्दारी महाराष्ट्र कभी सहन नहीं करेगी। महाराष्ट्र ने गद्दारी कभी सहन नहीं की है। हाल ही के दिनों मे अपने धराशिव के सांसद ओमराजे ने खूब बढ़िया उदाहरण दिया। 300 -400 वर्ष जो कुछ हुआ .. हुआ , लेकिन अभी भी खंडूजी खोपड़े यह नाम लेने पर आप क्या कहते? गद्दार! लेकिन बाजीप्रभु देशपांडे ,तानाजी मालुसरे, कान्होजी जेधे इनका नाम लिया तो एक कट्टर शिवसैनिक, मतलब 300 -400 साल बीतने के बाद भी खोपड़ी के ऊपर गद्दारी का जो शिक्का है उसे कोई पोंछ नहीं पाया, तो इन डरपोकों की क्या अवस्था होगी !

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■यह जो डरपोक और गद्दार विषय है, महाराष्ट्र मे पिछले दो वर्षों से चल रहा है यह जनता के बीच आपके प्रचार के माध्यम से पहुच रहा है क्या?

उ-बहुत तेजी से वह लोगों के बीच पहुच रहा है .. और तुमने पहले जो उल्लेख किया कि मेरी छाती पर मशाल का, वैसी ही जनता के हृदय मे भी मसाल धधक रही है। क्योंकि वह एक आग है। अब  हमारे साथ हुए विश्वासघात ! आप कारण देखो।वर्ष 2014 और 2019 मे प्रधानमंत्री पद पर मोदी पहुंचे,उसमे महाराष्ट्र का सबसे बड़ा योगदान था। 40 से अधिक सांसद सिर्फ महाराष्ट्र ने चुनकर दिया था। और महाराष्ट्र ने इतना भर भर कर देने के बाद भी तुमने सिर्फ शिवसेना से गद्दारी नहीं की, बल्कि आपने महाराष्ट्र के साथ भी विश्वासघात किया है। क्योंकि शिवसेना एक मात्र मराठी अस्मिता का जतन करने वाली है। हिंदुतत्व को जागृति करने वाली है। यह उस शिवसेना के साथ गद्दारी ही है , लेकिन इनके साथ साथ महाराष्ट्र के साथ विश्वासघात हुआ है। यह मै इसलिए कह रहा हूं कि महाराष्ट्र के अनेक उद्योग धंधे मोदी ने अपने गांव मे मतलब गुजरात ले गए। महाराष्ट्र मे आने वाले उद्योग धंधे गुजरात ले गए। मुंबई का हीरा बाजार ले गए ,आर्थिक केंद्र ले गए ,मेडिकल डिवाइस पार्क ले गए ,वेदांता फॉक्सकोन वहां ले गए ..

 

 

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