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अगले 7 से 8 वर्षों में मुंबई का आधा तटीय इलाका अरब सागर में समा जाएगा।

वैश्विक जलवायु परिवर्तन का खतरा दिनों दिन बढ़ता जा रहा है। वैश्विक स्तर पर तापमान में एक अंश सेल्सियस की वृद्धि हुई है जिसके चलते समुद्र का जलस्तर बढ़ रहा है। यही स्थिति बनी रही तो अगले 7 से 8 वर्षों में मुंबई का आधा तटीय इलाका अरब सागर में समा जाएगा। यह दावा शोधकर्ताओं ने किया है।
आरएमएसई ने इसी साल जुलाई महीने में एक अध्ययन किया था। इस शोध में पाया गया है। कि मुंबई का मरीन ड्राइव, हाजी अली दरगाह, जेएनपीटी, बांद्रा-वर्ली सी लिंक, वेस्टर्न एक्सप्रेस हाईवे जैसे कई इलाके समुद्र में समा जाने के मुहाने पर हैं। आरएमएसई ने यह विश्लेषण आईपीसीसी के छठवीं क्लाइमेट एसेसमेंट रिपोर्ट के आधार पर किया है। ग्लोबल वार्मिंग के कारण समुद्र का दायरा दिन-ब-दिन बढ़ रहा है। अगले 8 वर्ष यानी 2030 तक मुंबई ही नहीं बल्कि देश के कई तटीय इलाकों के शहरों पर पानी में डूब जाने का खतरा मंडरा रहा है। मुंबई, कोच्चि, पारादीप, चेन्नई, विशाखापट्टनम, भावनगर और तिरुवनंतपुरम के तटीय इलाके समुद्र में डूब जाएंगे। कईयों को अपना घर- बार, काम- धंधा छोड़ना पड़ सकता है। लोगों को रहने के लिए दूसरी जगह तलाशनी पड़ सकती है।
अर्थव्यवस्था डगमगाने का खतरा
शोधकर्ताओं की मानें तो वर्ष 2050 तक यह स्थिति और भयानक हो सकती है। समुद्र का जल स्तर बढ़ने से वह कई इलाकों को अपनी चपेट में ले लेगा। कई इमारतें और सड़कें पानी में डूब जाएंगी। वर्ष 2050 तक तापमान में लगभग 2 अंश सेल्सियस की बढ़ोतरी होने से प्राकृतिक आपदाओं में इजाफा होगा। खासकर उन क्षेत्रों में समस्या विकट होने की संभावना जताई जा रही है, जहां बंदरगाह और व्यापारिक केंद्र हैं। इससे आर्थिक व्यवस्था डगमगा सकती है।

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