मुंबई। महाराष्ट्र की राजनीति में भाजपा और शिंदे गुट (BJP and Shinde faction in Maharashtra politics) के बीच तनातनी ने एक बार फिर से हलचल मचा दी है। ऐसा प्रतीत हो रहा है कि भाजपा अपने राजनीतिक समीकरणों के जरिए शिंदे गुट में फूट डालने की रणनीति पर काम कर रही है। उदय सामंत का उभरना और मंत्रिमंडल व पालक मंत्रियों की सूची में शिंदे गुट के कुछ नेताओं की अनदेखी, इन अटकलों को और बल देता है।
भाजपा की रणनीति:
भाजपा ने हाल ही में पालक मंत्रियों की सूची जारी की, जिसमें शिंदे गुट के कई प्रमुख नेताओं को नजरअंदाज किया गया। खासकर, दादा भुसे और भरत गोगावले जैसे वरिष्ठ नेताओं का नाम शामिल न करना, शिंदे गुट के लिए बड़ा झटका है। इससे नाराजगी इतनी बढ़ गई कि गोगावले ने अपनी असहमति खुलकर जाहिर की और उनके समर्थक सड़कों पर उतर आए।
शिंदे की नाराजगी:
शिंदे गुट की इस अनदेखी के चलते मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे असंतोष के संकेत दे रहे हैं। पहले गृह विभाग न मिलने और अब उनके गुट के नेताओं की अनदेखी ने उनकी स्थिति कमजोर कर दी है। उनके अचानक अपने गांव जाने को भी उनकी नाराजगी और भाजपा से बढ़ते मतभेद का संकेत माना जा रहा है।
उदय सामंत का बढ़ता कद:
उदय सामंत का भाजपा के करीब आना और फडणवीस के साथ दावोस दौरे पर जाना, शिंदे के लिए नई चुनौती खड़ी कर सकता है। सूत्रों के मुताबिक, भाजपा सामंत को बढ़ावा देकर शिंदे गुट को कमजोर करने की रणनीति पर काम कर रही है।
भाजपा की कोशिशें:
हालांकि, स्थिति संभालने के लिए भाजपा ने चंद्रशेखर बावनकुले और गिरीश महाजन को शिंदे को मनाने के लिए भेजा है। लेकिन शिंदे की लगातार अनदेखी से यह देखना दिलचस्प होगा कि वे इस स्थिति को कैसे संभालते हैं।
महाराष्ट्र की राजनीति में भाजपा और शिंदे गुट के बीच यह तनाव महायुति के भविष्य के लिए चुनौती बन सकता है। यदि यह तनाव सुल